|
-विवेक बंसल-
खंडित होकर स्वतंत्र हुए भारत के सामने सबसे पहला पीड़ादायक प्रसंग महात्मा गांधी की जघन्य हत्या के रूप में प्रस्तुत हुआ। आजादी के बाद देश के विकास में सभी राष्ट्रभक्त शक्तियों का सहयोग लेकर आगे बढ़ने का दायित्व सत्ताधारियों पर था, किन्तु गांधी हत्या का प्रयोग सरकार ने अपनी दलगत राजनीति की स्वार्थपूर्ति के लिए किया। गांधी हत्या से एक दिन पहले 29 जनवरी, 1948 को प्रधानमन्त्री पं़ नेहरू ने अमृतसर की सभा में घोषणा की थी कि 'हम संघ को जड़-मूल से नष्ट करके ही रहेंगे।' यह संघ को कुचल डालने का षड्यंत्र था। गांधी हत्या का आरोप लगाकर बिना किसी सबूत के 4 फरवरी, 1948 को संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। देशभर में भयानक विषाक्त वातावरण फैलाया गया । हिंसा, लूटपाट व आगजनी का तांडव सर्वत्र भड़काया गया । समाज विरोधी सारी शक्तियों को खुली छूट दे दी गई। परिणामस्वरूप देशभर में मानवता चीत्कार करने लगी और पशुता हुंकारने लगी। �%
टिप्पणियाँ