|
रक्षा मंत्रालय ने सरकारी स्वामित्व वाली एचएएल को विमानों की आपूर्ति के लिए 10 हजार करोड़ रुपए के ठेकों में बिचौलियों को शामिल करने और रिश्वतखोरी के आरोपों में सीबीआई जांच के आदेश के चलते रोल्स रॉयस के साथ सभी मौजूदा और भविष्य के सौदों पर रोक लगा दी है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से लंदन की कंपनी रोल्स रॉयस से वह रकम भी वसूलने के लिए कार्रवाई करने को कहा गया है जो उसने कमीशन एजेंटों को दी थी। उल्लेखनीय है कि रोल्स रॉयस ने पिछले वर्ष सितंबर में एचएलएल को एक पत्र लिखकर कबूल किया था कि उसने सिंगापुर के अशोक पाटनी और उसकी कंपनी आशमोरे प्राइवेट लिमिटेड को भारत में अपना व्यावसायिक सलाहकार नियुक्त किया था। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने एचएएल को सूचित किया है कि उसने सैन्य सौदों को हासिल करने के लिए आशमोर प्राइवेट लिमिटेड को कमीशन दिया था। यह राशि 10 से 11.3 प्रतिशत थी। एचएलएल और आशमोर प्राइवेट लिमिटेड ने 2007 से 2011 के बीच 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार किया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच लंबित रहने के कारण रोल्स रॉयस के साथ सौदों पर रोक लगा दी गई है।
कंपनी द्वारा सौदे के लिए कमीशन देना भारत में सरकारी खरीद संबंधी नियमों का उल्लंघन है। नियमों के तहत रक्षा मंत्रालय के साथ सौदे करते समय बिचौलियों या कमीशन एजेंटों की मदद लेने पाबंदी है। इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने के बाद रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिश कंपनी को काली सूची में डाउलने के लिहाज से कानूनी राय जाननी चाही थी, लेकिन भारतीय वायुसेना का विचार था कि रोल्स रॉयस के साथ रखरखाव संबंधी एक करार पर हस्ताक्षर में देर होने से देश की रक्षा तैयारियों पर असर पड़ेगा।
वायु सेना को ए.जे.टी. हॉक, जगुआर, एवरो, किरण, एमके 2 और सी हैरियर सैन्य विमानों व सी किंग हैलीकॉप्टरों में छह किस्म के विमान इंजनों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एक महत्वपूर्ण करार करना था। सूत्रों ने कहा कि भारत ब्रिटेन से भी जानकारी लेगा, जहां ह्यसीरियस फ्रॉड ऑफिसह्ण चीन और इंडोनेशिया से संबंधित मामलों में रोल्य रॉयस के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच कर रहा है। कंपनी ने एचएएल को यह भी बताया कि उसने आश्मोरे और उसके मालिक से 2013 में रिश्ता तोड़ लिया था।
सूत्रों के मुताबिक एचएएल को हाल ही में मिले एक पत्र से रिश्वतखोरी के आरोप सामने आए, जिनमें दावा किया गया है कि एचएएल और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को बड़े ठेके पाने के लिहाज से रिश्वत दी गई थी। रक्षा मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार एचएलएल के सतर्कता प्रकोष्ठ की आंतरिक जांच में प्रथमदृष्टया आरोप साबित हुए हैं, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सीबीआई से कहा जाएगा कि रोल्स रॉयस द्वारा एजेंटों को कमीशन के भुगतान की जांच की जाए और किसी तरह की आपराधिक संलिप्पता को साबित किया जाए। मंत्रालय ने ब्रिटिश कंपनी को कोई आदेश जारी करने से पहले विधि मंत्रालय से कानूनी सलाह लेने का भी फैसला किया है।
रोल्य रॉयस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को जगुआर विमानों के कलपुर्जों को खरीदने और उसके रखरखाव के लिए करार को अंतिम रूप देना था। वायु सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि करार को अंतिम रूप देने में देर होने से जगुआर विमान का बेड़ा संकट में पड़ जाएगा। जिसकी वजह से देश की रक्षा तैयारियों पर असर पड़ेगा। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को अवगत करा दिया गया। वायुसेना बल के हितों का संरक्षण करने के लिए जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाने का आग्रह किया गया है। प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ