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-अजय मित्तल-
2 मार्च की रात जैसे ही बंगलादेश में खेले जा रहे भारत-पाक क्रिकेट मैच में शाहिद अफरीदी ने दो छक्के लगाकर पाकिस्तान को जीत दिलाई, मेरठ छावनी के लालकुर्ती इलाके के हंडिया मोहल्ले में 20-22 युवक पाकिस्तानी झंडा लेकर उछलते-कूदते निकल पड़े। इन्होंने बेखौफ होकर पूरा गला फाड़ते हुए ह्यपाकिस्तान जिंदाबादह्ण के नारे लगाये। एक विवाह-बारात में शामिल लोगों ने इस पर आपत्ति जतायी तो इन लोगों ने बारात पर हमला कर दिया। पुरुषों के साथ महिलाओं को भी पीटा गया। पुलिस के पहुंचने पर उसके सामने भी अपनी देशद्रोही गुंडागर्दी दिखाते हुए ये लोग आसानी से भाग निकले। पुलिस ने इन्हें दबोचने का जरा भी प्रयास नहीं किया। बाद में भाजपाई कार्यकर्ताओं की अगुवाई में लालकुर्ती थाने पर पीडि़त पक्ष ने एक युवक को नामजद करते हुए अज्ञात में 22 आरोपियों के खिलाफ शिकायत दी।
प्रशासन में एक सूत्र ने पुलिस की निष्क्रियता के बारे में बताते हुए कहा कि यदि उक्त देशद्रोही तत्वों पर कार्रवाई की गयी तो उत्तर प्रदेश का सरकारी तंत्र उन्हें बचाने की निश्चित कोशिश करेगा और पुलिस के किये-धरे पर वैसे ही पानी फेर देगा।
'मुस्लिम लड़कों का सीना चौड़ा'
इस सूत्र ने कुछ दिन पहले ह्यनेताजीह्ण (मुलायम सिंह यादव) द्वारा कहे गये ये शब्द उद्धृत किये- ह्यजब समाजवादी पार्टी की सरकार आती है तो मुस्लिम लड़कों का सीना चौड़ा हो जाता है, उन्हें लगता है कि उनका राज आ गया।ह्ण अखिलेश यादव मंत्रिमंडल के मंत्री आजम खान तो गाहे-बगाहे कहते रहते ही हैं कि ह्यहम तो कौम के फरमाबरदार हैं, चौकीदार हैं, कौम की खातिर सब कुछ करने को तैयार हैं।ह्ण सूत्र ने कहा कि निष्पक्षता की अपनी संवैधानिक शपथ भूले हुए जब माननीय मंत्री के ऐसे शब्द पुलिस-प्रशासन के लोग पढ़ते रहते हैं तो उन्हें यह स्थायी संदेश-निर्देश मिल जाता है कि ह्यकौमह्ण के बंदों पर आसानी से हाथ नहीं डालना।
मेरठ छावनी-स्थित उक्त हंडिया मोहले में इसके पूर्व भी ह्यपाकिस्तान जिंदाबादह्ण के नारे लगे हैं। पर हर बार मामला दब जाता है। यहां लगभग स्थायी तनाव की स्थिति बनी रहती है। तीन मास पूर्व यहां एक युवती के अपहरण की कोशिश हुई थी। लोगों के विरोध करने पर 20-25 लड़कों के गिरोह ने डंडे चलाये थे। पुलिस का रुख तब भी नरम रहा था।
शहर में भी पाकिस्तान का नारा
प्राप्त समाचार के अनुसार मेरठ शहर में भी ह्यभूमिया का पुलह्ण नामक इलाके में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगा। यहां भी गलियों में निकल कर जश्न मनाया गया और मिठाई बांटी गयी। पर जैसा समाजवादी सरकार में दस्तूर है, पुलिसिया कार्रवाई शून्य रही।
मेरठ बाईपास मार्ग पर स्थित सुभारती विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने भी पाकिस्तानी क्रिकेट टीम द्वारा भारत को हराये जाते ही 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारों के साथ परिसर में जश्न मनाना शुरू कर दिया। उनकी यह हरकत अन्य छात्रों को नागवार लगी। उन्होंने विरोध किया तो कश्मीरी छात्र हिंसा व तोड़फोड़ पर उतर आये। उन्होंने हॉस्टल का फर्नीचर व शीशे तोड़ डाले। यही नहीं, उन्होंने देशभक्त छात्रों से हाथापाई भी की।
विश्वविद्यालय के कुलपति मंजूर अहमद ने मामले में पूरी ढिलाई दिखायी। पहली तो यह कि उन्होंने पुलिस में रपट न करके अपनी आंतरिक जांच का दिखावा कर कुल लगभग 250 कश्मीरी छात्रों में से 66 को वाहनों में भरकर पुलिस के साथ दिल्ली/ नोएडा भिजवा दिया। दूसरी यह कि उन्होंने उनके कृत्य को देशद्रोह न मानकर केवल हुड़दंग माना। वे बोले कि उनके कारण जो तनाव पैदा हो गया था, उसे देखते हुए उन्हें पुलिस अभिरक्षा में बाहर भेजा है, स्थिति सामान्य होने पर वापस बुला लिया जाएगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी जोड़ा कि 66 छात्र निलम्बित कर दिये गये हैं तथा वे सब दिल्ली से कश्मीर लौट गये हैं। कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के कथनों में ही अंतर है। वह केवल दिल्ली/नोएडा भेजने की बात कर रहे हैं, और कुछ समय बाद (बगैर कोई कानूनी कार्रवाई किये) वापस बुलाने को कह रहे हैं। वि.वि. प्रशासन के अनुसार सब कश्मीर भेज दिये गये हैं। इसी तर्ज में मेरठ के एस.एस.पी. ओंकार सिंह ने भी पत्रकारों से कहा कि छात्र अपने घरों पर लौट गये। किन्तु पुलिस सूत्र बताते हैं कि अधिकांश राष्ट्रद्रोही छात्र दिल्ली/नोएडा में होटलों पर ठहराए गये हैं। यदि ऐसा है तो उनके होटलों का बिल कौन चुका रहा है? यूपी पुलिस/ सरकार, विश्वविद्यालय प्रशासन या खुद कुलपति मंजूर अहमद? यह तो नहीं लगता कि मुफ्त शिक्षा पाने वाले ये छात्र होटलों का पैसा चुकाएंगे।
कश्मीरी छात्रों का पाकिस्तान ने किया स्वागत
मेरठ में पाकिस्तान के क्रि केट मैच की जीत पर जश्न मनाने वाले कश्मीरी छात्रों का पाकिस्तान ने खुली बांहों से स्वागत किया है। छात्रों पर जब देशद्रोह लगा तो पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तसनीम असलम ने इस्लामाबाद में कहा कि इन छात्रों को पाकिस्तान मुफ्त उच्चतम शिक्षा प्राप्त करवा सकता है। वहीं आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफि ज सईद ने इन छात्रों का स्वागत किया है।
पढ़ाई का खर्चा देता है प्रधानमंत्री कार्यालय
ह्यपाकिस्तान जिन्दाबादह्ण का नारा लगाने वाले और पाकिस्तानी जीत (व भारत की हार) पर जश्न मनाने वाले कश्मीरी छात्र मुफ्त में पढ़ाई करते हैं। इनकी विश्वविद्यालयीन तमाम फीस प्रधानमंत्री कार्यालय भरता है। पढ़ाई में तो ये औसत या उससे भी नीचे दर्जे पर बताये जाते हैं। इनके मुकाबले कहीं प्रतिभाशाली और गरीब छात्र इस सरकारी अनुकम्पा से वंचित हैं। कारण यह है कि उन्होंने विशेष समुदाय में जन्म नहीं लिया।
राजद्रोह का मामला वापस
उत्तर प्रदेश सरकार ने 66 कश्मीरी छात्रों पर लगाए राजद्रोह के मामले को 24 घंटे से भी कम समय के भीतर वापस ले लिया। चर्चा है कि अखिलेश सरकार चुनाव के मौके पर मुस्लिम पंथ के लोगों को नाराज कर कोई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहते हैं। उनका कहना है कि इतनी छोटी सी बात के लिए छात्रों पर बड़ी कार्रवाई करना उचित नहीं है। गौरतलब है कि इस कार्रवाई पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने पर इसे कठोर कार्रवाई बताया था। उन्होंने कश्मीरी छात्रों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा था कि इससे युवाओं का भविष्य चौपट हो जाएगा और वे मुख्य धारा से कट जाएंगे।
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