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-पाञ्चजन्य ब्यूरो –
आम चुनाव की घोषणा से ठीक दो दिन पहले सोनिया-मनमोहन सरकार ने सिर्फ मुसलमानों को लुभाने के लिए कई फैसले लिए। 3 फरवरी को हड़बड़ी में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की बैठक बुलाई गई और यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली की 123 उन सम्पत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपा जाएगा,जिन पर उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
दूसरा फैसला मुसलमान छात्रों से जुड़ा हुआ है। निर्णय लिया गया है कि मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 5 से 14 वर्ष के मुस्लिम छात्रों को ह्यसेहत कार्डह्ण जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ये छात्र वर्ष में दो बार अपने शरीर की नि:शुल्क चिकित्सकीय जांच करा सकते हैं। इससे पहले इसी सरकार ने निर्णय लिया था कि आईबी और सीआईएसएफ की भर्ती में 2002 के गुजरात दंगा पीडि़तों को उम्र में 5 साल की छूट दी जाएगी।
मुसलमानों पर मेहरबानी क्यों?
केन्द्र सरकार ने 3 मार्च 2014 को निर्णय लिया है कि दिल्ली की 123 अति महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित 123 भू सम्पत्तियों को अब दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) व सरकार के लैण्ड एण्ड डेवलपमेंट आफिस(एलएनडीओ) के कब्जे से छुड़ा कर दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपा जाएगा। अरबों-खरबों रुपयों की इन सम्पत्तियों में से कई संपत्तियां तो अति सुरक्षा वाले राजधानी के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में भी हैं।
आइए पहले इन भू संपत्तियों से जुड़े इतिहास को देखते हैं। बात वर्ष 1970 की है जब अचानक दिल्ली वक्फ बोर्ड ने एकतरफा निर्णय लेते हुए इन सभी सम्पत्तियों को एक ह्यनोटिफिकेशनह्ण जारी कर ह्यवक्फ सम्पत्तियांह्ण घोषित %E
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