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आवरण कथा ह्यबंगलादेश की सड़कों पर मजहबी पागलपनह्ण से प्रतीत होता है कि भारत के भीतर और बाहर चारों ओर हिन्दुओं पर आक्रमण बढ़ रहे हैं। 5 जनवरी को हुए आम चुनावों के बाद से बंगलादेश में मजहबी पागलपन की लपटों में मानवता झुलस रही है। जगह-जगह पर हिन्दुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी न तो वहां की मौजूदा सरकार ने और न ही और किसी ने इसका प्रतिकार किया है। दूसरी ओर भारत की मीडिया और मानवाधिकार संगठन, जिनकी नजरों से कोई भी खबर या घटना नहीं छूटती उसी मीडिया ने इस विषय को अपनी खबरों में अधिक स्थान देना इसलिए उचित नहीं समझा क्योंकि यह मामला हिन्दुओं से जुड़ा था। सवाल यहां इस बात का है कि अगर ये हमले हिन्दुओं की बजाय मुस्लिमों पर होते तो क्या मीडिया और मानवाधिकार संगठन ऐसे ही शान्त बैठे रहते ?
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं़ प्ऱ)
१ अमरीकी पत्रिकाओं के संवाददाता बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की रपट लेने जा सकते हैं, लेकिन भारत के मीडिया घरानों से कोई भी संवाददाता बंगलादेश में इस घटना की रपट लेने नहीं गया। आखिर ऐसा क्यों? यह वही मीडिया है, जो बोलता है कि हम आपको सभी खबरों से रूबरू करा रहे हैं, लेकिन असलियत कुछ और है।
-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर, अम्बेडकरनगर (उ़ प्ऱ)
१ कोई भी धर्म, मत, पंथ, संम्प्रदाय यह इजाजत नहीं देता कि आप निर्दोषों की हत्या या उन्हें परेशान करें। लेकिन जिस प्रकार बंगलादेश में मुस्लिमों द्वारा हिन्दुओं के घरों, दुकानों को जलाया जा रहा है वह यही प्रतीत कराता है कि यह सब एक विकृत आतंकवाद है और ऐसे लोगों का एक ही उपचार है वह है गोली।
-राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर, स्टेशन रोड-टिमरनी, जिला-हरदा (म़ प्ऱ)
१ हिन्दुओं के लिए समाप्त होती संवेदना न केवल दुर्भाग्य जनक है,बल्कि शर्मनाक है। हिन्दू पर आक्रमण न केवल एक जाति,समुदाय पर किया हमला है,बल्कि संस्कृति पर किया गया हमला है। पाकिस्तान, बंगलादेश सहित दुनिया के अनेकों देशों में हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार जारी हैं। अनेक राजनैतिक दल जब कभी मुस्लिमों के ऊपर कोई अत्याचार होता है तो खूब शोर मचाते हैं लेकिन जब हिन्दू उत्पीड़न होता है तो उस पर अपना मुंह बंद कर लेते हैं।
-एस. कुमार
बी-24-मीनाक्षीपुरम, मेरठ (उ.प्र.)
१ बंगलादेश और पाकिस्तान में हिन्दुओं के अत्याचार की घटनाओं पर विश्व मौन है। इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट मीडिया को इस ज्वलंत मुद्दे पर कोई खास रुचि लेते नहीं नहीं देखा गया। सवाल बनता है कि आखिर ऐसा क्यों ? विश्व समुदाय ने हिन्दू उत्पीड़न को कभी भी गंभीरता से क्यों नहीं लिया? साथ ही यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भी हिन्दू को लेकर कोई भी बात होती है तो कुछ सेकुलर राजनेता साम्प्रदायिकता का शोर मचा कर मूल मुद्दे को दिग्भ्रमित कर देते हैं।
-परेश कुमार
चंडीगढ़
मानवाधिकार संगठन कहां हैं?
बंगलादेश में हिन्दुओं पर वहां के कट्टरवादी मुस्लिम अनेकों रूपों से अत्याचार कर रहे हैं लेकिन न तो बंगलादेश की सरकार और न ही मुस्लिमों के मरने पर शोर मचाने वाले वाले मानवाधिकार संगठन के मुंह से कुछ आवाज आ रही है। क्या बंगलादेश में जिन हिन्दुओं की हत्यायें हो रहीं हैं वे मानव नहीं हैं? या उनके कोई मानवाअधिकार नहीं हैं?
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला, कटिहार (बिहार)
आजम की जिहादी मानसिकता
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां ने हाल ही में मदरसों के प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों के सम्मेलन में मुस्लिमों को एक बार फिर भड़काते हुए कहा कि हम देश की आबादी का पांचवा हिस्सा हैं। हम मुस्लिम दुश्मन का मुकाबला तालीम की धार से कर सकते हैं। उन्होंने मुस्लिमों को आगे भड़काते हुए कहा कि यदि वे दुकड़ों में बंटे तो नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन जाएंगे। लेकिन उन्होंने मुस्लिमों को यह क्यों नहीं बताया कि सबसे बड़े दोषी तो वे खुद हैं, जिनकी 2 साल की सरकार में 100 से ज्यादा दंगे हो चुके हैं, जिनमें सैकड़ों निर्दोषों की जाने गई हैं। ऐसे ही कट्टर मजहबी सोच के मन्त्रियों के चलते प्रदेश की सपा सरकार हिन्दुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है। मुस्लिम परस्त नीतियों के कारण हिन्दू समाज तिरस्कृत रूप से जीने को मजबूर है।
-नरसिंहानन्द सरस्वती
सिद्धपीठ मन्दिर, डासना,गाजियाबाद (उ.प्ऱ)
घातक मुस्लिम प्रेम
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आ रहा है वैसे-वैसे केन्द्र की कांग्रेस सरकार व उत्तर प्रदेश की मुलायम-अखिलेश सरकार मुस्लिमों पर विशेष ध्यान दे रही हैं विकास का नाम लेकर प्रदेश का खजाना अंधा-धंुध उन पर लुटाया जा रहा है। लेकिन वहीं केन्द्र सरकार ने सेना को दिये जाने वाले 7870 करोड़ रुपयों पर रोक लगा दी ताकि वह यह पैसा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मुस्लिमों में बांट सकें और उनके वोट पा सकें।
बड़े आश्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा की अनदेखी कर रही है, जिससे हमारी सेना संसाधनों के अभाव में कमजोर हो रही है परन्तु वोट बैंक की राजनीति के चलते वह मुस्लिमों को बढ़ावा देने के लिए बेवजह धन को लुटा रही है। यदि सरकारें इसी प्रकार साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब एक बार फिर मजहब के आधार पर देश का बंटवारा हो जाएगा।
-आर.के.गुप्ता
बी-1238,शास्त्री नगर, दिल्ली
राहुल का झूठ
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गंाधी ने भाजपा को बिना कोई उदाहरण दिए ह्यभ्रष्टाचार का विश्व चैंपियनह्ण कह दिया, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के सुरेश कलमाडी, शीला दीक्षित, कोयला घोटाले में संलिप्त मनमोहन सिंह,राबर्ट वाड्रा, हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र के बारे में कुछ नहीं कहा ,आखिर ऐसा क्यों? क्या ये लोग ईमानदार हैं? राहुल को जानकारी होनी चाहिए कि जनता ने सब कुछ जान लिया है कि कौन ईमानदार है और कौन झूठा।
-डॉ.शशिकान्त गर्ग
बल्लभगढ़ (हरियाणा)
क्यों नहीं होती विश्व पटल पर पीडि़त हिन्दुओं की चर्चा?
वर्ष 1981 में तटस्थ राष्ट्रों के सम्मेलन में रूसी सूचना केन्द्र, दिल्ली में भाषण दे रहे एक रूसी प्रोफेसर बोदेरवास्की ने बंगलादेश में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे हमलों का प्रश्न उठाया था। 101 तटस्थ राष्ट्रों के गुट में 55 मुस्लिम राष्ट्रों और अन्य गैर मुस्लिम राष्ट्रों के किसी भी नेता ने गैर मुस्लिमों पर होते अत्याचारों और अन्याय के मुद्दों पर प्रश्न नहीं उठाए। विभाजन के समय बंगलादेश में 2 करोड़ हिन्दू थे। आज उनकी संख्या 9 से 10 करोड़ (लगभग) होनी चाहिए थी किन्तु अब उनकी संख्या कुछ लाख रह गयी है, ऐसा क्यों? प्रधानमंत्री शेख हसीना की चेतावनियों के बावजूद हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं। दीनाजपुर, लाल मोनीरहाट और ठाकुर गांव जिलों में बी.एन.पी. कार्यकर्ताओं ने हिन्दुओं के घरों में लूटपाट कर आग लगा दी। पश्चिमी जासोर जिले का नाटोपारा क्षेत्र इन हमलों से अत्यधिक प्रभावित हुआ है। अल्पसंख्यक हिन्दुओं के 485 घरों और 578 दुकानों को बर्बाद कर दिया गया है और 162 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। उत्तरी नाटौर जिला में 50 वर्षीय किसान हरिपद मण्डल की चाकू घोंप कर हत्या कर दी गई। हमारे देश के प्रधानमंत्री को एक मुस्लिम डाक्टर को मात्र पूछताछ के लिए निरुद्ध किए जाने पर रातभर नींद नहीं आई और वे फरमाते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, मानो हिन्दू देश का घटक नहीं है। सपा के मुखिया मुलायम सिंह विलाप करते फिर रहे हैं कि देश में दो लोग परेशान हैं, एक किसान दूसरा मुसलमान? यक्ष प्रश्न यह है कि हिन्दू हितों का प्रश्न दृढ़ इच्छाशक्ति और अटल विश्वास के साथ विश्व पटल पर क्यों नहीं उठाया जाता? 30 लाख फिलिस्तीनियों के कुशलक्षेम के प्रश्न हर मुस्लिम मंच से उठाए जाते हैं। अभी हाल ही में मुजफ्फरनगर के दंगों में मात्र मुस्लिमों के प्रति ज्यादती का रोना सभी तथाकथित मानवाधिकारवादी, ढोंगी, पंथनिरपेक्षी आए दिन उठा रहे हैं, वहीं हिन्दुओं की चर्चा कोई नहीं कर रहा है। पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं के प्रति जघन्य अपराधों, वीभत्स उत्पीड़नों के प्रश्न क्यों नहीं उठाए जाते? क्या हिन्दू मानवाधिकार की परिभाषा से बाह्य है? एक तथाकथित सेकुलरिस्ट ने इसे हिन्दू राष्ट्र से जोड़कर अनावश्यक करार दिया है। क्या सन 1981 का यक्ष प्रश्न आज भी यथावत सामयिक नहीं है? पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को मुस्लिम हितों का प्रश्न मान कर संयुक्त राष्ट्र संघ में या जहां कहीं भी मौका देखता है, उठाता रहता है। अभी हाल ही में नवाज शरीफ ने अमरीकी राष्ट्रपति से कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने की गुहार लगायी। यह बात और है कि अमरीका ने उस पर ध्यान नहीं दिया है। भारत में मुस्लिमों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है और संख्या की दृष्टि से अब वे अल्पसंख्यक भी नहीं हैं। मुसलमान भारत में हिन्दुओं से अधिक सुविधाएं भोग रहे हैं किन्तु उनका विलाप व मांगें समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं।
बंगलादेश और पाकिस्तान आए दिन भारत को भीगी बिल्ली समझकर आंखें दिखाते रहते हैं, घुसपैठ कर भारत की आंतरिक शान्ति एवं सुख रजनी में उल्कापात करते हैं। भारत के माननीयों की बुजदिली का ही परिणाम है कि अत्यधिक घुसपैठ से जनसंख्या असन्तुलन, जाली नोटों के कारण अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट, सिलसिलेवार धमाकों में निर्दोषों की आकाल मृत्यु की अनेकों त्रासदी हम झेल रहे हैं। लेकिन अमरीका में एक दुर्घटना के बाद आज तक आतंकी सिर नहीं उठा सके हैं और आतंक के पर्याय बने ह्यलादेनह्ण को समुद्र में दफन कर दिया, ताकि वे पुन: उसे शहीद मानकर पूजते न रहें। यह साहस भारतीय राजनेताओं में क्यों नहीं है? प्रश्न यह है कि विश्व मंच पर भारत पूर्ण आत्मविश्वास के साथ हिन्दुओं की बात क्यों नहीं उठाता? वे हमारे जवानों की लाशें गिराते हैं, सिर काट ले जाते हैं, हम लाशों की गिनती कर घडि़याली आंसू कुछ क्षण के लिए बहाते हैं। हमारे राजनेताओं को डर है कि अगर उन्होंने हिन्दुओं के हित और उनकी बातों को उठाया तो मुसलमानों का जो एकमुश्त वोट बैंक है वह उन्हें नहीं मिलेगा, इसलिए लालच के कारण वे कभी भी हिन्दुओं के बारे में कोई भी बात करने से डरते रहते हैं। आतंकवादी घटनाओं के आरोप में जेलों में बंद मुसलमानों के सम्बंध में केन्द्रीय गृह मंत्री की टिप्पणी क्या इसका ज्वलन्त उदाहरण नहीं है। आज मुस्लिम हितों के लिए सरकारें कितनी बेचैन हैं। इसका सीधा उदाहरण उत्तर प्रदेश की सपा सरकार का है, जिसने मुजफ्फरनगर दंगों में सिर्फ मुसलमानों को ही मुआवजा देने की नीति को अपनाया लेकिन उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद विवशत: अपने आदेश को वापस लेना पड़ा। लेकिन इस सबके बावजूद भी मुसलमानों को 5-5 लाख रु. की सहायता मिल रही है और हिन्दू पीडि़त और उपेक्षित हैं।
-आर.एन. विश्वकर्मा
बिरसा मुण्डा वनवासी छात्रावास, श्रीरामलला रोड, रावतपुर गांव, कानपुर(उ.प्ऱ)
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