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गत दिनों सूरत (गुजरात) में ग्राम विकास जुड़े कार्यकर्ताओं का दो दिवसीय अभ्यास वर्ग आयोजित हुआ। इसमें देश के सभी राज्यों से आए करीब 300 कार्यकर्ताओं ने ग्राम विकास के विविध प्रयोग बताए और अपने अनुभव का आपस में आदान-प्रदान किया । वर्ग के दूसरे दिन कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी का मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कहा कि जब अपने निजी विकास की बात आती है, तब हम खुद के बलबूते पर उस लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हंै, लेकिन जब अपने ग्राम के विकास की बात है, तब हम सरकार अथवा अन्य किसी की सहायता की अपेक्षा करते हंै। अगर हमें अपने समाज का जीवनस्तर ऊं चा करना है, तो हमें खुद ही प्रयास करने पडें़गे। जब हम प्रयास करेंगे तो बाकी समाज स्वयं ही आपके साथ जुड़ जाएगा। ग्रामवासी स्वयं ही अपने ग्राम का विकास करें, यही संघ की सोच है। उनको प्रेरणा देना और सहायता करना यह हमारा कार्य है। भैयाजी ने कहा कि देश स्वतंत्र होने से पहले हर गांव में पंचायत व्यवस्था होती थी। गांव से ही मिलने वाले धन के जरिए पंचायतें अपने गांव का विकास करती थीं और समस्याओं का समाधान करती थीं। परन्तु स्वतंत्रता के बाद आई सरकारों ने कल्याणकारी राज्य के नाम से सभी व्यवस्थाओं का केंद्रीकरण किया। इस कारण से लोगों ने अपनी खुद की जिम्मेदारी भूल कर हर छोटी-छोटी बात के लिए सरकार की ओर देखना शुरू किया। हमें यह स्वभाव छोड़कर ग्राम विकास के लिए संगाठित प्रयास करने चाहिए। हमें हमारे भारत को भारत ही रखना होगा। अपने विचारों में कोई कमी नहीं है उसका रूप बदलने की जरूरत है। इस अवसर पर अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
ह्यबाबर मुसलमानों का इतिहास नहीं हैह्ण
गत दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में ह्यभारतीय मुसलमानों की दशा और दिशाह्ण विषय पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी को मशहूर इस्लामी विचारक सैयद मोहम्मद हाशमी मियां अशरफी, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने भी सम्बोधित किया। गोष्ठी में बड़ी संख्या में मुस्लिम बंधु उपस्थित थे। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सैयद मोहम्मद हाशमी मियां ने कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता है। सऊदी अरब की वहाबी विचारधारा के कारण आतंकवाद बढ़ा है।
हाशमी मियां ने कहा बाबर मुसलमानों का इतिहास नहीं है। भारत में दो प्रकार के मुसलमान आए, एक, जमीन के लिए और दूसरे, दीन के लिए। गोरी और बाबर के रूप में जो लोग आए वे जमीन के लिए आए। ऐसे लोग हमारे नेता नहीं हो सकते हैं और यह हमारा इतिहास भी नहीं है। जो जमीन के लिए आया वह जहीरुद्दीन है और जो दीन के लिए आया वह ख्वाजा मोईनुद्दीन है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती हमारे नेता हैं। वतन से मोहब्बत करना, यही जन्नत का रास्ता है।
श्री इन्द्रेश कुमार ने मुसलमानों को वतनपरस्त, खुद्दार बनकर जीने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने मुसलमानों को केवल वोट के रूप में देखा और उनकी खरीद-फरोख्त की। हमारा यह मानना है कि मुसलमान हिन्दुस्थान का नागरिक है, खुद्दार इन्सान है, वोट बैंेक नहीं ।
ईबादत के रास्ते अलग होने पर भी हम वतन से, पुरखों से, तहजीब से, जुबान से, रहन -सहन से हिन्दुस्थानी हैं। मजहब बदलने से वतन, पुरखे और तहजीब नहीं बदलती।
हाल ही में एक अंग्रेजी पत्रिका में छपे स्वामी असीमानंद के साक्षात्कार का जिक्र करते हुए श्री कुमार ने खुली चुनौती देते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार की पूछताछ के लिए तैयार हैं, लेकिन शर्त भी रखी कि यह खुली बहस हो जिसमें उनके साथ पी.चिदम्बरम, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी जैसे नेता और मीडिया के लोग भी शामिल हों और पूरी पारदर्शिता में यह बहस चले तो सच्चाई सामने आ सकती है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मंच के राष्ट्रीय संयोजक मो. अफजाल ने कहा कि हम हिन्दुस्थानी हैं और इस हिन्दुस्थानियत को मजबूत करने से ही हम अच्छे हिन्दू या मुसलमान हो सकते हैं। हम सबसे पहले हिन्दुस्थानी हैं, बाद में हिन्दू या मुस्लिम हैं, लेकिन सरकार और सियासत हमें बांटने की राजनीति कर रही है। इसको समझना होगा।
ल्ल रायपुर से विराग पाचपोर
ह्य1984 के दोषियों को फांसी दोह्ण
़़11 फरवरी को राष्ट्रीय सिख संगत दिल्ली प्रदेश की ओर से 1984 में हुए सिखों के नरसंहार के विरोध में एक धरना जंतर-मंतर पर दिया गया। राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरचरन सिंह गिल के नेतृत्व में दिल्ली के अनेक बंधुओं ने इसमें भाग लिया। इस अवसर पर श्री गिल ने कहा कि 1984 का सिख नरसंहार भारत के लिए एक कलंक है एवं इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। हम कांग्रेस सरकार से मांग करते हैं कि दोषियों को जल्दी से जल्दी दण्डित किया जाए व जैसा कि राहुल गांधी ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि कुछ कांग्रेसी इस हत्याकाण्ड में लिप्त थे तो उनके नामों का खुलासा किया जाए। हम चैन से बैठने वाले नहीं हैं व इस जघन्य अपराध के लिए दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए। धरने को श्री देवेन्दर सिंह गुजराल, श्री आऱ पी़ सिंह, श्री अविनाश जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया।
धरने के उपरान्त सरदार गुरचरन सिंह गिल एवं सरदार देवेन्दर सिंह गुजराल के नेतृत्व में एक शिष्टमण्डल ने एक ज्ञापन राष्ट्रपति महोदय को राष्ट्रपति भवन में दिया। इसमें 1984 के सिख कत्लेआम के पीडि़त परिवारों के लिए न्याय एवं दोषियों को दण्डित करने के लिए मांग की गई है। ल्ल प्रतिनिधि
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