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मत दिनों फिल्म अभिनेता संजय दत्त को पुणे की यरवदा जेल से एक बार फिर एक महीने पैरोल की छुट्टी मिल गया। इससे पहले भी अक्तूबर माह में वह एक महीने के पैरोल पर जेल से बाहर आए थे। जेल प्रशासन के इस निर्णय से लोगों में जमकर आक्रोश है। संजय दत्त को दो माह में दूसरी बार पैरोल पर रिहा करने का जगह-जगह पर जबरदस्त विरोध हो रहा है, लोगों में विरोध का कारण यह भी है कि संजय दत्त को पत्नी मान्यता दत्त की बीमारी के कारण अवकाश दिया गया है, जबकि मान्यता को संजय के पैरोल देने के ठीक एक दिन पहले एक फिल्म पार्टी में जश्न मनाते हुए देखा गया था। संजय पर सरकार की इस मेहाबानी के आइने में साध्वी प्रज्ञा का मामला देखें तो उन्हें गम्भीर बीमारी की हालत में भी पैरोल नहीं दी गई। जबकि मान्यता की फर्जी बीमारी की आड़ में संजय एक महीने के लिए बाहर आ गए।
सरकार के इस दोहरे रवैये की चहुंओर जमकर निन्दा हो रही है। 1993 के सिलसिलेवार मुंबई विस्फोट कांड मामले में हथियार अधिनियम की धाराओं के तहत पांच साल की सजा काट रहे संजय दत्त को सजा काटने की शुरुआत से अब तक भिन्न-भिन्न कारणों को लेकर जेल प्रशासन पैरोल देता रहा है, जबकि लोगों का सवाल है कि साध्वी प्रज्ञा के मामले में जो कि हर दृष्टि से उचित जान पड़ता है , सरकार पैरोल नहीं देती ।
सरकार की इस दोगली नीति पर विहिप प्रवक्ता श्री प्रकाश शर्मा का कहना है कि जेल प्रशासन और वहां की सरकार द्वारा जिस प्रकार मुंबई धमाकों के आरोपी संजय दत्त को पैरोल दी जा रही है उससे आम जनमानस में यह धारणा उत्पन्न हो रही है कि न्याय व्यवस्था में भी कुछ विशेष लोगों के लिए अलग मापदण्ड है,क्योंकि वह फिल्म अभिनेता और कांग्रेस नेता के पुत्र हैं, कंाग्रेसी सासंद बहन के भाई हैं इसलिए उनको यह तमाम सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि साध्वी प्र्रज्ञा, जो कि कैंसर से गंभीर रूप से पीडि़त हैं, ने कई बार जेल प्रशासन से इलाज के लिए अवकाश मंागा है, लेकिन न तो सरकार और न ही जेल प्रशासन ने इस ओर कोई सार्थक कदम उठाया है। प्रतिनिधि
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