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आज
जनता क्रान्ति दल के महामंत्री
श्री दलबदल सिंह ह्यधुरन्धरह्ण
बस्ती में चले आ रहे हैं
बस्ती वाले बस्ती को फिर
दुल्हन की तरह सजा रहे हैं
मैं जानता हूं-
धुरन्धर हूं-
धुरन्धर जी भी
बस्ती के अरमानों से खेंलेंगे
बस्ती वाले धुन्धर जी का भी
ह्यआपके लिए यह कर दूंगा,ह्ण
ह्यआपके लिए वो कर दूंगा,ह्ण
झेलेंगे!
फिर धुरन्धरजी भी
औरों की तरह खेलेंगे-खायेंगे,
तत्पश्चात्
मुंह मटकाते हुए चले जाएंगे!
फिर कल कोई और आएगा
परसों कोई और दोस्तों!
आखिर कब तक
चलेगा ये दौर?
आखिर कब तक
खेलते रहेंगे ये तथाकथित उद्धारक
हमारे अरमानों से?
इनके झूठे वादों को
अपने कानों से?
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