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केरल के कण्णूर जिले में मास्टर के. टी. जयकृष्णन के बलिदान दिवस के अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने 1 दिसम्बर को एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। तभी भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) के बदमाशों ने खूनी खेल शुरू कर भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता विनोद को बुरी तरह से घायल कर दिया गया जिनकी पेरियारम मेडिकल अस्पताल में मृत्यु हो गई। वहीं कार्यकर्ता लक्ष्मणन और कुन्हीरमन की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
हथियारों से लैस क म्युनिस्टों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के वाहनों को उस समय अचानक रोककर हमला बोल दिया जब वे बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहंुच रहे थे। इस दौरान उन सभी पर गोली चलाकर और देसी बम विस्फोट कर जानलेवा हमला किया गया। इसके बाद कार्यकर्ताओं के वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इसके विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने 2 दिसम्बर को कण्णूर जिले में बंद का आह्वान भी किया, जो कि बेहद सफल रहा। कण्णूर में कम्युनिस्टों के आतंक का बोलबाला है और वहां पर वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता रहा है। इनमें से अनेक तो वे ही कार्यकर्ता थे, जो पहले माकपा के कैडर थे, लेकिन कम्युनिस्टों की हिंसक विचारधारा की असलियत देखकर उनसे मुंह तोड़कर रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक बने थे। ल्ल प्रदीप कृष्णन
अशोक खेमका को हरियाणा सरकार ने थमाई चार्जशीट
अधिकार से बाहर जाकर राबर्ट वाड्रा जमीन मामले में कार्रवाई करने का आरोप खेमका के पीछे से घर पर बेटे को जबरन दी गई चार्जशीट
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी और रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच गुड़गांव स्थित शिकोहपुर में 3.5 एकड़ भूमि की म्यूटेशन रद्द कर रातों-रात सुर्खियों में आए हरियाणा के आईएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका के खिलाफ हरियाणा सरकार ने चार्जशीट दाखिल की है। उन्हें 15 दिनों के भीतर इसका जबाव देना है। खेमका पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने का आरोप है। खेमका पर कार्रवाई कर वाड्रा और डीएलएफ कंपनी की साख को भी क्षति पहंुचाने का आरोप है।
पिछले साल अक्तूबर माह से सुर्खियों में रह आए खेमका पर आखिरकार सरकार का चाबुक चल ही पड़ा। 4 दिसम्बर को हरियाणा सरकार की तरफ से सात पन्नों वाली चार्जशीट उनके घर भेज दी गई। उस समय खेमका घर पर नहीं थे और उनके नाबालिग बेटे को कर्मचारी चार्जशीट थमाकर चला गया। इस रवैये का भी खेमका ने विरोध किया है। चार्जशीट में खेमका पर आरोप है कि उनका 11 अक्तूबर, 2012 को चकबंदी महानिदेशक के पद से तबादला हो गया था, लेकिन वह चार दिनों तक अपने पद पर बने रहे। फिर 15 अक्तूबर को डीएलएफ मामले में म्यूटेशन रद्द करने का उन्होंने आदेश जारी कर दिया। इससे उन पर बदनीयती का आरोप लगा है और कहा गया है कि उन्होंने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह काम किया। चार्जशीट के मुताबिक राबर्ट वाड्रा के मामले में पलवल, फरीदाबाद, मेवात और गुड़गांव के उपायुक्त को स्टाम्प ड्यूटी की जांच के आदेश देना भी गलत था। चकबंदी महानिदेशक के पद पर रहते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को उनका निर्देश देना भी गलत बताया गया है। वहीं मीडिया के समक्ष आकर सरकार के फैसले और नीतियों की निंदा किए जाने से हरियाणा सरकार काफी पहले से उन्हें सबक सिखाने का मन बना चुकी थी।
21 साल के सेवाकाल में खेमका का 48 बार तबादला हो चुका है। यही नहीं सरकार खेमका को एक अन्य चार्जशीट सौंपने की तैयारी में है। मामला राज्य बीज विकास निगम में महानिदेशक रहते हुए गेंहू के 87000 क्ि वंटल बीज बिक्री का है।
खेमका ने भी खोला मोर्चा
सरकार के खिलाफ खेमका ने भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने 5 दिसम्बर को आरटीआई के तहत मुख्य सचिव से उन अधिकारियों की सूची मांगी है जिन्हें पिछले 10 वर्षों में चार्जशीट दी गई है।
यह भी पूछा है कि उन्हें चार्जशीट कैसे दी गई और नाबालिग बेटे को चार्जशीट उनकी गैर मौजूदगी में क्यों दी गई?
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