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पिछले दिनों जनजातीय धर्म संस्कृति सुरक्षा मंच, गुवाहाटी ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया। इसमें ईसाई व मुसलमानों के वोट बैंक के लालची राजनीतिक नेताओं से अरुणाचल के हिन्दुओं की रक्षा करने की गुहार लगाई गई है। ज्ञापन मे कहा गया है कि मुसलमानों व ईसाइयोंं के पिछडे़पन के बढ़ते वर्ष 2009 की जनगणना में अल्पसंख्यकों की संख्या को मानक मान कर तुष्टीकरण करने वाले राजनीतिक नेताओं ने कुछ जिलों को चिन्हित किया है। अरुणाचल प्रदेश की भोली भाली तथा असंगठित जनता की आंखों मे धूल झोंकने के लिए बौद्ध, सिख एवं पारसी को भी अल्पसंख्यक श्रेणी मे इंगित किया है। सरकारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि उक्त योजना का लाभ केवल अल्पसंख्यकों को ही मिलेगा। इस योजना के तहत पक्के घर, पेयजल की सुविधा, बिजली एवम शौचालय उपलब्ध कराने का प्रावधान है। अरुणाचल प्रदेश के जिन जनपदों मे योजना लागू की जायेगी वहां मुसलमान, सिख व पारसी नगण्य हंै। बौद्ध समाज वहां का भूमिपूत्र है। इस प्रकार इस योजना का लाभ शुद्ध रूप से ईसाइयोंं को ही मिलेगा।
ज्ञापन मे कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश मे धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 1978 लागू है। इसमें प्रावधान है कि मतांतरण कराने वाले पादरी को निर्धारित समय के अन्दर जिले के उपायुक्त को मतान्तरण की सूचना लिखित रूप से देना अनिवार्य है। यदि कोई पादरी ऐसा नहीं करता है तो उसे एक साल तक की कैद अथवा एक हजार रुपये अथवा दोनों सजा एक साथ भुगतनी हांेगी। किन्तु अरुणाचल प्रदेश मे कहीं भी किसी पादरी ने मतान्तरण की सूचना किसी उपायुक्त को नहीं दी और निर्भय होकर यह षडयंत्र चलाया जा रहा है। राज्य की नाबाम तकी सरकार के आचरण पर आश्चर्य होता है कि अवैध रूप से ईसाई बने लोगों पर सरकार अल्पसंख्यकों के नाम पर पुरस्कार स्वरूप सरकारी धन लुटा रही है।
सरकारी आदेश के अनुसार जिन जिलों में ईसाई व मुसलमानो की संख्या 6 लाख से अधिक है और वे 20 से 25 प्रतिशत के बीच में हैं उनको अल्पसंंख्यक जिला घोषित किया है। किन्तु अरुणाचल प्रदेश मे मुसलमान इन जिलों मे अभी पहुंच नही पाये हंै। इस लिए ये साफ है कि ये सारी सुविधाएं ईसाइयोंं को ही मिलेंगी। इस योजना के तहत गरीबी निवारण, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्कूल, चिकित्सालय़, आंगनवाड़ी, तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं देने का प्रावधान है। उदाहरण के लिए एक ही गांव मे कुछ घर ईसाई बन गए हैं और अधिकांश घर हिन्दू हंै। तो जाहिर है ये सुविधाएं केवल ईसाइयोंं को मिलेंगी।
अरुणाचल प्रदेश के ईसाइयोंं को सरकारी तोहफा यहीं खत्म नही होता है। अल्पसंख्यकों के लिए घोषित प्रधानमंत्री की नवीन 15 सूत्री योजना का पूरा पूरा लाभ इन मतांतरित ईसाइयोंं को शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध कराने पर बल दिया गया है। ज्ञापन के द्वारा राष्ट्रपति महोदय का इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया गया है कि इस देश में ईसाइयोंं एवम् मुसलमानों की संख्या जहां अनुपात के हिसाब से ज्यादा तेजी से बढ़कर हिन्दुआंें के मुकाबले अधिक हो गई है वहीं भारतवर्ष की संप्रभुता को खतरा पैदा हुआ है।
केन्द्र सरकार का तर्क है कि राष्ट्रीय श्रम विकास योजना, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान, और सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम, ये तीनांे योजनाएं ईसाइयोंें एवम मुसलमानों को कोई अतिरिक्त लाभ नही पहुंचाती हैं। इसीलिए बहुआयामी विकास योजना लायी गयी हैं। इतना ही नहीं दिल्ली ने राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिया है कि ईसाई व मुसलमानों के त्वरित विकास के लिए प्रधानमंत्री के नवीन 15 सूत्रीय कार्यक्रम को अठाहरवीं योजना की अवधि के अन्दर ही कड़ाई से लागू किया जाय। ये सारी राष्ट्रघातक योजनाएं सच्चर समिति की सिफारिश पर शुरू की जा रही हैं, जिसका पूरे देश मे व्यापक विरोध हुआ है। किन्तु ईसाई व मुस्लिम मतों की लोभी केन्द्र सरकार इस समस्या की गंभीरता को अनदेखा करने की ठाने हुए है। अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 1978 मे स्पष्ट कहा गया है कि मोम्पा,मेम्बा़,शरदुक्पऩ,खाम्ती़,खम्बा और सिंग्फो जनजातियां बौद्ध हंै। नोक्तो तथा आका समुदाय वैष्णव हिन्दू हैं और डोनी पोलो के मानने वाले प्रकृति पूजक है।ं अरुणाचल की नाबाम टकी सरकार ने बौद्ध धर्म मानने वालों को हिन्दू जनजातियों से अलगकर ईसाई व मुसलमानों के साथ खड़ा कर दिया है।
यह प्रस्ताव अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-1978 की अवमानना करता है। भारतीय संविधान के पंथनिरपेक्ष प्रावधानों तथा समानता के अधिकार के विरुद्ध है। वह ज्वालामुखी बने उत्तर पूर्वांचल मे दोबारा आग लगायेगा। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से अनुुरोध किया गया है कि वे सरकारी खजाने का राष्ट्रघाती नीतियो पर अपव्यय करने से केन्द्र सरकार को रोकें। चीन की सीमा पर बसे अरुणाचल के लोगों के राष्ट्र प्रेम को धक्का पहुंचाने वाला कोई कार्य नही होना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकार को भी सख्त निर्देश दिया जाये कि वह किसी भी प्रकार का अलगाववादी तथा राष्ट्रद्रोही कदम न उठाये जिससे राष्ट्र की सार्वभौमिकता खतरे मे पड़ जाये। अत़: तथाकथित बहुआयामी विकास योजना को तत्काल रोका जाय अथवा इसे पूरे राज्य मे सबके हित के लिए लागू किया जाए। जगदम्बा मल्ल
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