देवी देवताओं के नाम पर भी लॉटरी का धंधा
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उत्तराखण्ड राम प्रताप मिश्र
www.goldennavratana coupan.com पर नए रूप में जारी है 1 नम्बर की लॉटरी का गोरखधंधा
näù´ÉÒ-näù´ÉiÉÉ+Éå के श्रीयंत्र मंगाने के लिए भी लक्की ड्रा कूपन
हर 15 मिनट में होता है 'ड्रा'
näù¶É¦É®ú में फैला हुआ है संजाल
MÉÉä±b÷xÉ नवरत्न रिंग मंगाने के लिए भी लकी ड्रा कूपन स्कीम
nùÉ´ÉÉ है कि नेपाल के शास्त्रीय ज्योतिष द्वारा पूजित यंत्र
¸ÉÒ एजेंसी का पता है-132/191 मुलुंड कालोनी, मुलुंड वेस्ट, मुम्बई-400080
{É®ú पुलिस चुप, कोई जांच नहीं, गोरखधंधा जारी
आधुनिक कम्प्यूटर युग में, अत्याधुनिक इंटरनेट के माध्यम से हिन्दू संस्कृति और सभ्यता की भावनात्मक सौदेबाजी करने का धंधा जोरों पर है। इस काम में अन्तरराष्ट्रीय शक्तियां भी लगी हुई हैं। टेलीविजन और इंटरनेट पर डर-भय दूर करने, व्यापार में सफलता और सुख शांति के लिए 'यंत्रों' की बाढ़-सी तो आ ही रही थी। अब 1 नम्बर की लाटरी में भी देवी-देवताओं के यंत्रों की आड़ ली जा रही है। संभावना है कि इस खेल में लॉटरी माफियाओं के साथ ही ऊंची पहुंच के लोग भी शामिल हैं। सट्टे के इस गोरखधंधे का विस्तार महानगरों, नगरों से होता हुआ अब कस्बों तक पहुंच गया है, जहां भोले-भाले और धर्मभीरू लोग यंत्र मंगाने के नाम पर इस लॉटरी का शिकार हो रहे हैं। अंधविश्वासी लोग लाखों की पूंजी इन लॉटरी संचालकों को सौंप रहे हैं, वह भी इस आशा में कि उन्हें अपने प्रिय देवी-देवता के नाम पर दस के सौ और सौ के हजार रुपए मिलेंगे। इतना ही नहीं, लॉटरी संचालकों की चालाकी देखिए कि वे अपने मास्टर कम्प्यूटर से यह जान लेते हैं कि किस क्षेत्र में किस देवी-देवता के नाम पर लोग ज्यादा पैसे लगा रहे हैं। बस, जिस देवी-देवता के नाम पर कम पैसे लग रहे होते हैं, वह नम्बर खोल दिया जाता है। इस प्रकार भगवान के यंत्रों के नाम पर करोड़ों रुपए की लॉटरी संचालकों के ही नाम खुल जाती है। एक दिन में प्रात: दस बजे से लेकर रात दस बजे तक 49 बार यह लॉटरी खेली जाती है। देहरादून में नेपाल-1 चैनल तथा इंटरनेट पर प्रति 15 मिनट पैसा लगाने वाले अपना परिणाम देख लेते हैं।
उच्चतम न्यायालय द्वारा 1 नम्बर की लॉटरी पर प्रतिबंध लगाने के बाद लॉटरी के व्यापारियों ने नए रूप में यह धंधा करने तथा भारतीय संस्कृति और हिन्दू देवी-देवताओं को बदनाम करने यह एक नया रास्ता खोजा है। हिन्दुओं के बारह देवी-देवताओं के यंत्रों को एक से बारह तक नम्बर देकर उन पर लोगों से पैसा लगवाया जाता है। जिनकी लॉटरी नहीं निकलती, वे जिस देवी या देवता के नाम की लॉटरी निकालना चाहते हैं, उसके प्रति कई बार अश्रद्धा से भर जाते हैं, अपशब्द तक बोल देते हैं। इस संदर्भ में देहरादून से वार्निंग एक्सप्रेस नाम का समाचार पत्र चलाने वाले श्री प्रदीप जैन ने लगभग दो महीने तक खोजबीन की और उक्त 'लॉटरी संचालक' से एक 'यूसर आई डी' और 'पासवर्ड' (उपभोक्ता का पता और गुप्त कोड) प्राप्त कर जांच की तो पाया कि हिन्दू देवी-देवाताओं के नाम पर लॉटरी चलाने और हिन्दुओं का भावनात्मक दोहन कर लूटने का धंधा जोरों पर है। लगभग एक महीने की मशक्कत के बाद स्थानीय अभिकर्ता, जो कि विकासनगर में रहकर कारोबार संचालित करता है, ने बेबसाइट का यूसर आईडी और पासर्वड दिया। इसके लिए श्री जैन पंजाब नैशनल बैंक के खाता संख्या 3073000101212972 में 7 फरवरी को 5 हजार रुपये, 7 फरवरी को ही 3 हजार रुपए तथा 8 फरवरी को 1500 रुपये जमा कराये, जिसकी रसीदें उनके पास हैं। ये पैसा आज तक पूजा सांई राम के खाते में हैं और इन पैसों के बदले श्री जैन को एक भी यंत्र नहीं मिला है। यही स्थिति देहरादून के लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों की भी है, जिन्होंने इन लॉटरी माफियाओं के भय से अपने नाम नहीं बताये। श्री प्रदीप जैन का कहना है कि वे इस मामले का भण्डाफोड़ इसलिए कर रहे हैं ताकि और लोग इस लॉटरी के भुलावे-छलावे में ना आएं, उन्हें आर्थिक नुकसान न हो, साथ ही साथ देवी-देवताओं का अपमान ना हो।
पिछले दिनों देहरादून के विकास नगर क्षेत्र में साइबर क्राइम सेल द्वारा इन लॉटरी कारोबारियों की धरपकड़ की गई थी। वहां नेहरू मार्केट से फारूख पुत्र हाफिजुर्ररहमान सहित 14 लोगों को हिरासत में लिया गया तथा तीन दिन बाद आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया गया। पुलिस ने इनके पास से एक कम्प्यूटर तथा 32 हजार रुपये नगद बरामद दिखाये। विकास नगर क्षेत्र में भगवान के यंत्रों के नाम पर सट्टा चलाने के लगभग एक दर्जन कम्प्यूटर सेंटर थे, पर पुलिस की जानकारी के बाद इनमें काफी कमी आयी है। अब यह कारोबार पहाड़ी कस्बों में स्थानांतरित कर दिया गया हैं। एक आकलन के अनुसार अकेले उत्तराखण्ड से प्रतिदिन लाखों-करोड़ों रुपए का धंधा नेपाल, मुम्बई और दिल्ली में बैठे इस लॉटरी कारोबार के आकाओं तक पहुंच रहा है।
दहशत के लिए विदेशी पैसा?
उ.प्र. प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इन दिनों कट्टरवादी एजेंटों का गढ़ बनती जा रही है। मुस्लिम तुष्टीकरण को ही सेकुलरवाद समझने वाली अखिलेश सरकार इन कट्टरवादियों पर कोई लगाम नहीं लगाना चाहती। इस कारण इन कट्टरवादियों का हौसला बढ़ता जा रहा हैं और कानून-व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा रही है। इसका ताजा उदाहरण है- उर्दू दैनिक सहाफत के दफ्तर पर हमला। दंगाइयों द्वारा सहाफत के संपादक अमान अब्बास को जान से मार देने की धमकी दी गई। संपादक द्वारा कैसरबाग कोतवाली में उक्त दंगाइयों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया परंतु अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पूर्व में भी छायाकारों के ऊपर हमले हुए हैं। इसके अलावा पिछले दिनों लखनऊ के अलग-अलग इमामबाड़ों से निकाले जा रहे ताजियों का अपमान किया गया और ताजियेदारों पर हमले किये गये। 16 जनवरी, 2013 को बजीरगंज लखनऊ के डिप्टी इमामबाड़ा से मोहर्रम की मजलिस के बाद निकलने वाले हुसैनी अजादारों पर भी हमले हुए। 18 जनवरी, 2013 को सुलेमान उर्फ सोनू के निकाले गये जनाजे पर भी गोलियां बरसाई गईं। इस मामले को लेकर 37 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई, पर इनकी भी गिरफ्तारी नहीं हुई। 25 जनवरी, 2013 में लखनऊ में निकाले गये मदहे साहेव जुलूस में भारतविरोधी नारे लगाये गये, साथ ही विवादित क्षेत्रों में पाकिस्तानी झंडे फहराए गए। परंतु इन लोगों के खिलाफ सपा सरकार द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। लखनऊ की बिगड़ती स्थिति को लेकर लोग चिंतित है। शिया और सुन्नी समुदाय के वरिष्ठ लोगों ने पिछले दिनों लखनऊ में एक सनसनीखेज खुलासा किया। उन्होंने बताया कि गत माह सऊदी अरव के इमाम द्वारा लखनऊ आकर कट्टरवादियों के बीच काफी रुपया बांटा गया। यही लोग शिया-सुन्नी संघर्ष को बढ़ावा देना चाहते हैं। लखनऊ में इन दिनों इस बात की भी चर्चा है कि आगामी 3 मार्च को कुछ खद्दरधारी नेता और कट्टरवादी तत्व जेल में बंद आतंकवादियों को छुड़ाने के लिए रैली करने वाले हैं। ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो भयावह स्थिति पैदा हो सकती है।
न उद्योग, न नीति फजीहत हुई पूरी
महाराष्ट्र बा. आंबुलकर
गत दिनों महाराष्ट्र सरकार ने कई वर्षों से लंबित उद्योग नीति की घोषणा कर दी। पर इसे सार्वजनिक करते समय राज्य के उद्योग मंत्री नारायण राणे ने जो दावे किए उसके कारण विपक्ष के साथ ही सरकार के सहयोगियों और पत्रकारों ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाण की मौजूदगी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में औद्योगिक नीति की घोषणा करते समय नारायण राणे ने पत्रकारों, संवाददाताओं को कई मुद्दों पर सवाल पूछने से ही मना कर दिया। उन्होंने पत्रकारों को सलाह भी दी की वे पहले सीख लें कि संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को कैसे प्रश्न पूछने चाहिए। 'उल्लेखनीय है कि नारायण राणे स्वयं मराठी दैनिक 'प्रहार' का संचालन करते हैं।) इस पर संवाददाताओं ने आपत्ति जताई। स्वयं मुख्यमंत्री चव्हाण को बीच-बचाव करना पड़ा, तब जाकर उद्योग नीति घोषित हो पाई।
राज्य के आर्थिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में विगत कई वर्षों से पिछड़ने के बाद तथा राज्य के कई प्रमुख उद्योग तथा परियोजनाएं पड़ोसी राज्य गुजरात और मध्य प्रदेश में स्थानांतरित होता देख राज्य सरकार परेशान थी। इसलिए उसने महाराष्ट्र में कई स्थानों पर जमशेदपुर तथा भिलाई जैसे विकसित औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण करने का संकल्प व्यक्त किया, पर इसे पूरा करने हेतु कैसे, कब और किस तरह प्रयास किये जायेंगे, इसकी कोई चर्चा नहीं की। वास्तविकता यह भी है कि राणे के इस नीति को उनके अधिकारियों, मंत्रीमण्डलीय सहयोगियों और प्रशासनिक अधिकारियों का समर्थन भी नहीं मिल पाया। नारायण राणे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एवं राज्य के उप-मुख्यमंत्री अजित पंवार, जो राज्य के योजना एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री भी हैं, के अनुसार उन्हें औद्योगिक नीति का प्रारूप तक नहीं दिखाया गया। 6 साल बाद बनाई गई औद्योगिक नीति जैसे महत्वपूर्ण तथा नीतिगत दस्तावेज के सार्वजनिक किये जाने के कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तथा योजना मंत्री का अनुपस्थित रहना कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच बढ़ती दरार को भी सामने लाता है।
राज्य की इस औद्योगिक नीति पर तीखे कटाक्ष करते हुये राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एकानाथ खड़से तथा विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष विनोद तावड़े ने सरकार, विशेषकर उद्योगमंत्री नारायण राणे को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इस नीति के माध्यम से उन्होंने उद्योग तथा उद्योजकों को बढ़ावा देने की बजाय उद्योगों के लिये निर्धारित तथा अधिग्रहित भूमि बिल्डरों को देने तथा उनसे पैसे ऐंठने के लिए एक साजिश रची है, जो निंदनीय है। विपक्ष ने राज्य सरकार से सीधे सवाल किया है कि राज्य में कितनी औद्योगिक परियोजनाओं का गठन हुआ है तथा वर्तमान में सरकार के सामने कितने प्रस्ताव हैं। पर इन सवालों का जवाब राज्य सरकार या नारायण राणे के पास नहीं है ।
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