आतंकवाद की जन्मदाता, पोषक और संरक्षक कांग्रेस काहिन्दुत्व विरोधी प्रलाप
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राजनीतिक फायदे के लिए गृहमंत्री ने दे दिया
समाज और देशघातक बयान
मुस्लिम तुष्टीकरण के नशे में भारत का विभाजन स्वीकार करने वाली ए.ओ.ह्यूम (अंग्रेज शासक) द्वारा निर्मित कांग्रेस के आधुनिक संस्करण सोनिया कांग्रेस के नेता और देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपने दल के जन्मजात संस्कारों पर चलते हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में संघ, भाजपा और इनके शिविरों में भाग लेने वाले हिन्दू युवकों अर्थात् समस्त हिन्दू समाज को आतंकवादी घोषित कर दिया है। गत दिनों दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार के विरुद्ध प्रदर्शन करने वाले देशभक्त युवक-युवतियों की तुलना देशद्रोही नक्सलवादियों से करने वाले हमारे गृहमंत्री ने किसके इशारे पर संघ और भाजपा पर आतंकवाद का प्रशिक्षण देने जैसा घृणित, बेबुनियाद और गैरकानूनी आरोप लगाया है यह तो वही जानें। परंतु उनके इस गैर-जिम्मेदाराना बयान से यह तो साबित हो ही गया है कि शिंदे को देशभक्ति और देशद्रोह का अंतर संघ की शाखा जाने वाले किसी बाल स्वयंसेवक से ही सीखना पड़ेगा। शिंदे शायद खुश हों कि उनके बयान पर पाकिस्तानी आतंकवादी सरगना हाफिज सईद ने उनकी तारीफ के पुल बांध कर भारत को आतंकी देश साबित कर दिया है।
कभी भारतीय शेयर बाजार में आतंकवादियों की हिस्सेदारी पर 'शोध' करने वाले हमारे गृहमंत्री ने कांग्रेस को राजनीतिक फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से एक झूठा, अनर्गल और अनैतिक बयान देकर न केवल कांग्रेसियों की देशभक्ति को ही कटघरे में खड़ा किया है, अपितु उनके जेहन में समाए हुए वोट प्रेरित हिन्दू-द्रोह को भी उजागर कर दिया है। इस विशाल देश के जिम्मेदार गृहमंत्री के बयान के इन अंशों को जरा गौर से देखें 'भाजपा और संघ के शिविरों में हिन्दू आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और मालेगांव के धमाकों के पीछे संघ का हाथ होने के सबूत मिले हैं…हमारे पास रपट आई है कि संघ के लोगों ने कई जगह बम लगाए, इसके लिए हमें सतर्क रहना होगा। संघ और भाजपा के लोग सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात कर विघटन वाला काम कर रहे हैं।' अब सवाल पैदा होता है कि यदि संघ वाले इतना कुछ खतरनाक कर रहे हैं तो फिर गृहमंत्री क्या कर रहे हैं? किसी सोची-समझी राजनीतिक चाल के तहत दिए गए बयान के समर्थन में सोनिया/राहुल भक्तों दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और राशिद अल्वी ने भी घंटियां/घड़ियाल बजाने शुरू कर दिए हैं।
संघ शिक्षा वर्गों में स्वयंसेवकों को दी जाती है
नि:स्वार्थ देशभक्ति की शिक्षा
पाकिस्तानी आतंकवादियों और भारत के मजहबी कट्टरवादियों की वाहवाही लूटने वाले गृहमंत्री जरा समझ लें कि संघ प्रशिक्षण शिविर नहीं लगाता, बल्कि शिक्षा वर्गों का आयोजन करता है। गृहमंत्री के हमदर्द तत्वों द्वारा चलने वाले प्रशिक्षण शिविरों में तो आतंकवाद सिखाया जाता है, जो पाक अधिकृत कश्मीर में आज भी जारी हैं, जबकि संघ द्वारा संचालित शिक्षा वर्गों में राष्ट्रवाद, देशभक्ति, समाज सेवा की शिक्षा दी जाती है। अपने राष्ट्र और समाज के लिए सर्वस्व अर्पण कर देने के संस्कारों से युक्त इन शिक्षा वर्गों में भारत के गौरवशाली इतिहास, सार्वभौम भारतीय संस्कृति, उज्ज्वल राष्ट्र जीवन और राष्ट्रीय महापुरुषों/संतों/वैज्ञानिकों/परतंत्रता के विरुद्ध लड़ने वाले वीर योद्धाओं का ज्ञान दिया जाता है। शारीरिक व्यायाम के साथ देशभक्ति और प्रभु भक्ति के गीतों के साथ चरित्रवान नागरिक तैयार किए जाते हैं। यही वजह है कि संघ की शाखाओं और वर्गों में तैयार हुए स्वयंसेवक देश की सुरक्षा, सम्मान और सेवा के प्रत्येक मोर्चे पर डट जाते हैं। आपातकाल जैसी तानाशाही के समय स्वयंसेवकों की नि:स्वार्थ और बलिदानी भाव से ओत-प्रोत भूमिका को सब जानते हैं।
सुशील कुमार शिंदे के गृह राज्य महाराष्ट्र में ही 1925 में प्रारंभ हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं देश की प्रत्येक तहसील के ग्रामों तक लगती हैं। शिंदे के ताजे 'शोध' के अनुसार तो इन 88 वर्षों में सारा देश हिन्दू आतंकवाद की आग में झुलस गया होता। आज प्रत्येक वर्ष देश के सभी प्रांतो में 50-55 स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग (20 दिन) और प्राथमिक शिक्षा वर्गों (10 दिन) का आयोजन होता है। इन वर्गों में प्रत्येक वर्ष 50-60 हजार नागरिक, ज्यादातर युवक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की शिक्षा लेते हैं। यह शिक्षा वर्ग संघ स्थापना के साथ ही प्रारंभ हो गए थे। एक मोटे अनुमान के अनुसार अब तक इन 88 वर्षों में चालीस लाख से ज्यादा स्वयंसेवकों ने इन वर्गों में भाग लिया है। गृहमंत्री जरा अपने सिर पर खुजली करते हुए यह बताएं कि यदि यह सभी हिन्दू युवक उनकी कल्पनानुसार हथियार बंद आतंकवादी बन गए होते तो क्या होता? गृहमंत्री ने अपने बेतुके बयान से उन असंख्य देशभक्त सेवाव्रतियों का अपमान किया है जो अपना समय और धन लगाकर डेढ़ लाख से भी ज्यादा सेवा प्रकल्प चला रहे हैं, जिनमें करोड़ों देशवासियों की अहोरात्र सेवा हो रही है।
कांग्रेसियों का मुस्लिम तुष्टीकरण बढ़ा रहा है
भारत विरोधियों का बल
अत्यंत दु:ख की परंतु चिंताजनक बात तो यह है कि हमारे देश के गृहमंत्री महाराष्ट्र के होकर भी शिवाजी और अफजल खां में कोई फर्क नहीं समझते। करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं पर कुठाराघात करने वाले उनके वक्तव्य से जहां देशभक्त राष्ट्रीय समाज को मानसिक कष्ट पहुंचा है वहीं विदेशनिष्ठ देशद्रोहियों और विदेशस्थित भारत विरोधी आतंकी सरगनाओं की बांछें खिल गई हैं। विश्व कुख्यात आतंकी संगठन लश्करे तोएबा के संस्थापक और 26/11 के मुम्बई नरसंहार के 'मास्टर माइंड' हाफिज सईद (दिग्विजय के हाफिज सईद साहब) के वक्तव्य के बाद शिंदे के वक्तव्य से देश को हुए भारी कूटनीतिक नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाफिज ने आग उगली है 'पाकिस्तानी संगठनों द्वारा भारत में आतंक फैलाने का भारत का दावा मात्र दुष्प्रचार है। पाकिस्तान में सभी तरह की आतंकी घटनाओं के लिए भारतीय संगठन शामिल रहे हैं। शिंदे के बयान के बाद क्या अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भाजपा और संघ पर प्रतिबंध लगाएगा। क्या नरेन्द्र मोदी के ऊपर अमरीका इनाम घोषित करेगा।' हाफिज सईद ने पाकिस्तान सरकार से मांग भी कर दी है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारत को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए दबाव डाले।
शिंदे के कुंठित और तंग दिमाग की उपज इस बयान से उन हिन्दुत्व विरोधी और पाक प्रायोजित आतंकवाद के समर्थकों के हौंसले भी बुलंद हो गए हैं जो आए दिन संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठनों को गालियां देते रहते हैं। इस्लामिक संस्था दारुल उलूम ने गृहमंत्री के बयान को हाथोंहाथ उठाते हुए संघ के शिविरों और ठिकानों की जांच की मांग उठाई है। मौलाना अबुल कासिम, मौलाना अहमद खिजरशाह, मुफ्ती अरशद फारुकी जैसे कट्टरवादियों ने मांग उठाई है कि दहशतगर्दी के असली कसूरवारों को सजा दी जाए और बेकसूरों को छोड़ा जाए। जाहिर है कि शिंदे के बेतुके वक्तव्य ने उन सैकड़ों हत्यारे जिहादियों को बेकसूर साबित करने की मुहिम छेड़ दी है जिन्होंने भारत की संसद, दिल्ली, मुम्बई, जयपुर, नागपुर और पंजाब व जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक शहर में आतंकी विस्फोटों से हजारों लोगों को मौत के घाट उतारा। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी संघ को आतंकी संगठन नहीं कहा है। जिन विस्फोटों में स्वयंसेवकों के शामिल होने की बात शिंदे ने की है उनकी न्यायिक प्रक्रिया अभी पूर्ण नहीं हुई और झूठे आरोपों पर बहस जारी है। अभी न्यायालय का कोई फैसला नहीं आया।
हिन्दुत्व विरोधी बयान के साथ ही क्यों की गई
राहुल गांधी की ताजपोशी?
राष्ट्र साधना में जुटे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आतंक फैलाने का आरोप लगाने से पहले कांग्रेसी नेताओं को अपने गिरेबां में झांक लेना चाहिए। भारत विभाजन करवाने और लाखों हिन्दुओं के कत्लेआम की जिम्मेदार मुस्लिम लीग से समझौता कौन करता है? कानू संन्याल जैसे हिंसक नक्सलवादियों को सिर पर किसने चढ़ाया? पंजाब में खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाला को किसने खड़ा किया था? दिल्ली में हजारों सिखों की मौत का जिम्मेदार कौन है? कश्मीरी आतंकियों से वार्तालाप के लिए कौन गिड़गिड़ाता है? दिल्ली में गिलानी जैसे पाकिस्तानी एजेंटों को सभाएं करने की इजाजत कौन देता है? बाटला हाउस घटनाक्रम में मारे गए आतंकियों के घरों में जाकर हमदर्दी किसने जताई थी? दिल्ली में पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक के भारत विरोधी वक्तव्यों पर मौन क्यों साधा गया? अफजल की फांसी किसने लटका रखी है? गृहमंत्री के बयान से देश को हुआ नुकसान वैसा ही है जैसा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा शर्म उल शेख में बलूचिस्तान, पाकिस्तान में हो रही हिंसा में भारत के हाथ पर चर्चा करना मान लेने पर हुआ था? हमारे सत्ताधारियों की इस कायर मानसिकता का लाभ पाकिस्तान को मिल रहा है। यही अदूरदर्शी नीतियां आतंकवादी संगठनों को बल प्रदान कर रही हैं।
देश की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को खतरे में डालने वाला यह वक्तव्य कांग्रेस के चिंतन शिविर में राहुल गांधी के उपाध्यक्ष के रूप में ताजपोशी के समय ही क्यों आया? उत्तर साफ है 2014 में होने वाले चुनाव में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया जाएगा। इस रास्ते की रुकावट बनेगी भाजपा। अनुभवहीन और भारतीय जीवन मूल्यों से पूर्णतया अनभिज्ञ राहुल गांधी भाजपा की नेतृत्व पंक्ति के आगे कहीं टिक नहीं सकते। इस कांग्रेसी खौफ को खत्म करने के लिए 'हिन्दू' आतंकवाद का खौफ पैदा करना जरूरी समझा गया। इसी राजनीति के जरिए कांग्रेसी नेता भाजपा और नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रवादी छवि को बदनाम करने का अभियान छेड़ेंगे। गृहमंत्री शिंदे जैसे कांग्रेसी नेता कल को नरेन्द्र मोदी की तुलना हाफिज सईद से कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। शायद इसीलिए राहुल गांधी ने कहा है कि 'कांग्रेस में ही हिन्दुस्थान का डीएनए है।' वैसे सच्चाई इससे उल्टी है। कांग्रेस में ही विदेश का डीएनए है (इंग्लैंड के ह्यूम से लेकर इटली की सोनिया गांधी तक), कुछ भी हो अगर कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में हिन्दू आतंकवाद का मुद्दा उठाया और इसके विरोध में 'हिन्दू' शक्ति प्रखर हो गई तो कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
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