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जलपाईगुड़ी (प.बं.) स्थित इंडोंग चाय बागान में गत दिनों स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में हवन-यज्ञ, भजन-कीर्तन एवं धर्मसभा के कार्यक्रम सम्पन्न हुये। कार्यक्रम में विभिन्न जनजातियों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए सादरी जनकल्याण समिति के संस्थापक श्री संतलाल नायक ने कहा कि निहित स्वार्थों के चलते कुछ लोग हमें 'आदिवासी' कहकर हम सबको समाज की मूल धारा से अलग करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धोखे एवं लालच के कारण अपने समाज के लोग दूसरे मत-पंथ में मतांतरित हो जाते हैं, यह बिल्कुल उचित नहीं है।
आर्य समाज के स्वामी वसुमित्र महाराज ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद समाज में शुद्धि आंदोलन के पुरोधा रहे। उनके अथक प्रयास से समाज में समानता और सद्भाव कायम रहा। ऊंच-नीच का भेद समाप्त कर सब एकत्रित रहे। साध्वी सरस्वती देवी ने कहा कि बहनों को भी वेदपाठ का अधिकार है, वे किसी भी समाज की क्यों न हों? धर्मसभा को संथाल समाज के श्री गणेश हांसदा, स्वामी कबीरदास महाराज आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह श्री सत्यनारायण मजूमदार विशेष रूप से उपस्थित थे। धर्मसभा का आयोजन धर्मरक्षा समिति एवं धर्म जागरण समन्वय विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। सभा का संचालन श्री इन्द्रदेव उरांव ने किया। यहां 40 ईसाई जनजाति परिवार पुन: अपने स्वधर्म (हिन्दू) में वापस लौटे।
सुबह के समय बड़ी संख्या में स्थानीय माताओं-बहनों ने सिर पर कलश रखकर शोभायात्रा निकाली और पूरे गांव की परिक्रमा की। इसके बाद सभी ने कलश में भरे पानी को कार्यक्रम स्थल पर बने कुंड में डाल दिया। इस एकत्रित हुए पानी में सादरी समाज के धर्मगुरु श्री चंद्रपति चिकवराइक ने रामशिला को रख दिया। पानी में रखी रामशिला के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। बासुदेब पाल
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