पाठकीय:अंक-सन्दर्भ 16 दिसम्बर,2012
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सम्पादकीय 'विश्वासघात को जनता कभी माफ नहीं करेगी' में 'जुगाड़ राजनीति' पर बड़ी सटीक टिप्पणी की गई है। जुगाड़ राजनीति यानी वह राजनीति जिसे सिद्धान्त और लोक-मर्यादा से कोई लेना-देना नहीं रहता है। इस राजनीति में सिर्फ सत्ता ही सब कुछ होती है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में सोनिया-मनमोहन सरकार ने इसी राजनीति के माध्यम से देश के साथ विश्वासघात किया है।
–ब्रजेश कुमार
गली सं.-5, आर्य समाज रोड, मोतीहारी
जिला–पूर्वी चम्पारण-845401 (बिहार)
द भारी विरोध के बावजूद संप्रग सरकार एफ.डी.आई. का मार्ग खोलने में सफल रही। इसमें सपा और बसपा की सिद्धान्तहीन राजनीति ने बड़ी भूमिका निभाई। सिद्धान्तहीन राजनीति देश के लिए घातक है। जो नेता ऐसी राजनीति करते हैं जनता उन्हें सबक अवश्य सिखाती है। एफडीआई से वही वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होगा जिसके नाम पर मायावती और मुलायम सिंह यादव राजनीति करते हैं।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
द चर्चा सत्र में डा. अश्विनी महाजन ने तकर्ों के साथ सही लिखा है कि मुस्लिम विरोधी है एफडीआई। इस बात में दम है कि रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों में मुस्लिमों की संख्या बहुत अधिक है। यदि खुदरा बाजार में बड़ी कम्पनियां कूदती हैं तो निश्चित रूप से मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका बेरोजगार होगा। हमारे यहां प्लास्टिक का सामान, खिलौने आदि वस्तुएं बेचने वाले अधिकांश मुसलमान हैं। यह अलग बात है कि इनमें से बहुत बंगलादेशी घुसपैठिए हैं। एफडीआई की वजह से ये लोग निश्चित रूप से प्रभावित होंगे।
–इन्द्र बहादुर
खिदिरपुर, कोलकाता (प. बंगाल)
द जिस हड़बड़ी में एफडीआई का फैसला लिया गया और जिस निर्लज्जता के साथ उसे पारित कराया गया उससे साफ पता चलता है कि यह सरकार बाहरी दबाव पर काम कर रही है। खुदरा बाजार की सबसे बड़ी कम्पनी है वाल्मार्ट। यह कम्पनी अपने देश अमरीका की अर्थव्यवस्था को ठीक नहीं कर पाई तो वह भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे ठीक कर देगी? यह सवाल करोड़ों लोगों के मन में पैदा हो रहा है। भारत सरकार को इस सवाल का जवाब देना चाहिए।
–मनीष कुमार
तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)
द एफडीआई पर श्री जितेन्द्र तिवारी की रपट पढ़ी। केन्द्र सरकार ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सामने घुटने टेककर देश का बड़ा नुकसान किया है। एफडीआई से तबाही आएगी। प्रतिदिन करोड़ों लोग हाट-बाजार में छोटा-मोटा सामान बेचकर परिवार पालते हैं। जो काम ये लोग कर रहे हैं वही काम बड़ी कम्पनियां करने लगेंगी तो इनका क्या होगा? कहा जा रहा है कि ये कम्पनियां रोजगार पैदा करेंगी। यह सरासर गलत तर्क है। ये कम्पनियां करोड़ों लोगों को रोजगार नहीं दे सकती हैं। यदि ये कम्पनियां इतना ही रोजगार देतीं तो अमरीका, यूरोप में बेरोजगारी रहती ही नहीं। फिर भारत सरकार इन कम्पनियों को बुलाने के लिए लाल कालीन क्यों बिछा रही है?
–देशबन्धु
आर.जेङ 127, प्रथम तल, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
द प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सपा और बसपा ने अपने चरित्र के अनुरूप ही काम किया है। इन दोनों दलों का एक ही उद्देश्य है समाज को मजहब और जाति के आधार पर बांटो और राज करो। संप्रग सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देकर ये लोग सीबीआई की मार से बचते हैं। ये दोनों ही दल अवसरवादी राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। मायावती और मुलायम दिल्ली में कांग्रेस के साथ हैं, तो उ.प्र. में घोर विरोधी। यह सब सीबीआई का कमाल है।
–प्रदीप सिंह राठौर
एमआईजी– 36/बी, पनकी, कानपुर (उ.प्र.)
उठो हिन्दुओ!
दृष्टिपात में श्री आलोक गोस्वामी की रपट 'पाकिस्तान में जारी है हिन्दू दमन' पढ़कर पाकिस्तानी हिन्दुओं को लेकर चिन्ता हुई। क्या होगा पाकिस्तानी हिन्दुओं का? इस मामले में भारत सरकार को पाकिस्तान सरकार से बातचीत करनी चाहिए। क्योंकि दुनिया के जिस देश में भी कोई हिन्दू प्रताड़ित होता है तो उसकी आस भारत सरकार पर टिक जाती है। यह स्वाभाविक है। इसलिए भारत सरकार को पाकिस्तानी हिन्दुओं के मामले को जोर-शोर से उठाना चाहिए।
–प्रिन्स वर्मा 'मंढ़ावरा'
म.सं. – 457, इन्द्रा कालोनी
मुजफ्फरनगर-251001 (उ.प्र.)
द भारत के तथाकथित सेकुलर नेता हिन्दुओं के मामलों पर संवेदनशून्य हो गए हैं। ये लोग भारत के करोड़ों मुसलमानों को अल्पसंख्यक बताकर उनका तुष्टीकरण करते हैं और पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर बोलने में भी सकुचाते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वे साम्प्रदायिक कहलाएंगे। अपने मान-सम्मान एवं अस्तित्व की रक्षा के लिए हिन्दू समाज हुंकार भरकर खड़ा नहीं होगा तो कालान्तर में वह अतीत की वस्तु बनकर रह जाएगा।
–रमेश कुमार मिश्र
ग्राम–कान्दीपुर, पो.-कटघर मूसा
जिला–अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)
द पाकिस्तान में हिन्दुओं को पीटा जा रहा है और हम एक स्वर से उसका विरोध भी नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान सुख से रह रहे कश्मीरियों के लिए भारत से युद्ध तक कर सकता है, पर भारत सरकार बेचारे पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए जुबान तक नहीं हिलाती है। सेकुलरवाद का यह रोग हिन्दुओं के अस्तित्व को ही समाप्त कर देगा।
–हरीशचन्द्र धानुक
बशीरतगंज, लखनऊ (उ.प्र.)
द पाकिस्तान में मंदिरों को ध्वस्त कर वहां के हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जाना शर्मनाक है। पाकिस्तान के गृहमंत्री भारत प्रवास के दौरान बाबरी मामला उठाते हैं, परंतु उन्हें अपने खुद के देश में मंदिरों को ध्वस्त होते देख शर्म क्यों नहीं आई? पाकिस्तान में हो रही इस हरकत को लेकर भारत सरकार और उसके तथाकथित सेकुलर सहयोगी दल भी खामोश हैं। बाबरी को लेकर जिन दलों और नेताओं ने कड़ा विरोध किया वे पाकिस्तान सरकार को कड़ा विरोध पत्र तो लिखने का साहस दिखाते।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
कोई मुस्लिम देश सेकुलर क्यों नहीं?
पिछले दिनों विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने कहा कि नेपाल को पंथनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना नेपाली समाज के साथ धोखा है। इस धोखे में विस्तारवादी चीन, हिंसक माओवाद और कट्टर इस्लाम भी शामिल है। इन सबने मिलकर विश्व के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल को पंथनिरपेक्ष घोषित करवाया। नेपाल में हिन्दू 90 प्रतिशत से भी अधिक हें। फिर भी उसे पंथनिरपेक्ष घोषित किया गया। जबकि जिस देश में भी मुस्लिमों की आबादी 60 प्रतिशत से अधिक है वह इस्लामी गणराज्य बन गया है। कोई मुस्लिम देश सेकुलर क्यों नहीं होता है?
–दिनेश गुप्त
कृष्णगंज, पिलखुवा (उ.प्र.)
वाल्मार्ट के कारनामे
खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश के रास्ते खुलने के बाद अनेक विदेशी कम्पनियां भारतीय बाजारों पर कब्जा करने आएंगी। परन्तु वाल्मार्ट, टेस्को, मेट्रो, कारफूर नामक चार विदेशी कम्पनियां भारत पर गिद्धदृष्टि लगाये बैठी हैं। इनमें वाल्मार्ट सबसे बड़ी व कुख्यात है। इसका वार्षिक कारोबार लगभग 28 लाख करोड़ रुपये का है और कम्पनी में लगभग 21 लाख लोग काम करते हैं। जबकि भारत का भी खुदरा कारोबार लगभग 28 लाख करोड़ रु. का है, परन्तु इससे 4 करोड़ लोग रोजगार पाते हैं और भारत की लगभग 20 करोड़ आबादी इसी रोजगार से पेट पालती है। इस प्रकार वाल्मार्ट का बाजार पर कब्जा होने पर करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे। इसकी नीति यह है कि जिस देश में यह घुसती है, वहां के बड़े–बड़े स्टोरों तक को यह खरीद लेती है। उदाहरण के लिए इंग्लैण्ड के एएसडीए समूह का 100 प्रतिशत, ब्राजील के वोम्प्रैको का 100 प्रतिशत, अमरीका की मैकलिन कम्पनी का 100 प्रतिशत, जापान की सइयों का 53.56 प्रतिशत, मैक्सिको के सिफ्रा समूह का 53 प्रतिशत मालिकाना हक वाल्मार्ट के पास है। इसलिए चीन, मलेशिया और थाइलैण्ड आदि जिन देशों ने भी खुदरा के क्षेत्रों में एफडीआई लाने की जल्दीबाजी दिखायी थी, उन देशों में अब इन विदेशी कम्पनियों के फैलाव को रोकने के लिए नये कानून बनाये जा रहे हैं। जब पूरी दुनिया में वाल्मार्ट का विरोध शुरू हुआ, तो इसने नई रणनीति बनायी। वह दुनिया में अलग–अलग नामों से फैल गयी। कोस्टारिका में मैक्सीवोदेंगा, ब्राजील में तोदोदिया, होंडुरस में डिसपेंसिया और बेस्टप्राइस मार्डन होलसेल के नामों से धंधा कर रही है।
वाल्मार्ट अपने कर्मचारियों और आपूर्तिकर्ताओं के शोषण के लिए भी कुख्यात है। वाल्मार्ट द्वारा महिलाओं को पुरुषों से कम वेतन देने का इतिहास रहा है। इसलिए वाल्मार्ट के खिलाफ इसकी महिला कर्मचारियों ने मिलकर न्यायालय में मुकदमा कर रखा है, जो कि अमरीका के इतिहास में दर्ज किया गया सबसे बड़ा मामला है।
–डा. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन कालोनी
बेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)
पश्चिमीकरण ने किया कबाड़ा
जाते–जाते दे गया, भारी दुख यह साल
लज्जा से है झुक रहा, पुरुष वर्ग का भाल।
पुरुष वर्ग का भाल, कलंकित देश कर दिया
कुछ लोगों ने गन्दा सब परिवेश कर दिया।
कह 'प्रशांत' पश्चिमीकरण ने किया कबाड़ा
उसने ही भारत भर का माहौल बिगाड़ा।।
-प्रशांत
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