गीता के बादअब मंदिर पर नजर!
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रूस के आर्थोडाक्स चर्च की
गीता के बाद
अब मंदिर पर नजर!
आलोक गोस्वामी
पता चला है कि गीता पर प्रतिबंध लगवाने में मुंह की खाने के बाद रूस में आर्थोडाक्स चर्च ने अब मास्को के 'इस्कान' (अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) मन्दिर को ध्वस्त कराने की तैयारी की है। मास्को के इस्कॉन से जुड़े भक्तों को आशंका है कि 15 जनवरी 2013 तक वहां का एकमात्र हिन्दू मंदिर ढहा दिया जाएगा। मौजूदा मंदिर अस्थायी है, जिसकी जगह पर एक भव्य स्थाई मंदिर बनाने की योजना पर जल्दी ही कार्य शुरू किया जाने वाला है। मास्को में भारतीय राजदूत अजय मल्होत्रा ने, हालांकि वहां के प्रशासन से मंदिर को बने रहने देने की अनुमति तारीख को तब तक बढ़ाने की अपील की थी जब तक कि वैदिक कल्चरल सेंटर का निर्माण पूरा नहीं हो जाता। लेकिन आर्थोडाक्स चर्च के कथित दबाव के चलते प्रशासन ने मंदिर को ध्वस्त करने के अपने निर्देश वापस नहीं लिये हैं। मंदिर के भक्त मदनमोहन दास कहते हैं कि प्रशासन इसे 'शहरी निर्माण संहिता का उल्लंघन' करने वाला बताकर इसे जमींदोज करने पर आमादा है। मंदिर अधिकारियों ने बयान जारी किया है, जिसमें लिखा है कि उन्हें स्थायी मंदिर पर भी गाज गिरने की आशंका है। बताते हैं, मास्को के महापौर सरगेई सोबयानिन ने स्थायी मन्दिर बनाने की परियोजना पर भी कुठाराघात के आदेश दे दिए हैं। इस परियोजना का शिलान्यास राजदूत अजय मल्होत्रा ने ही इस साल के शुरू में किया था। मन्दिर के भक्तों का कहना है कि रूस भारत सरकार पर रूसी आर्थोडाक्स चर्च के लिए नई दिल्ली में जमीन देने का दबाव बनाने की तैयारी में है। लेकिन जिस चर्च के कहने पर रूस में मंदिर तोड़े जा रहे हों, उसके लिए जमीन देने की बात को भारत सरकार को सिरे से खारिज कर देना चाहिए।
अपनी इसी पीड़ा को लेकर इस्कॉन के तीन वरिष्ठ अनुयायी पिछले दिनों नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी मिले थे। उन्होंने मुखर्जी से मास्को में मंदिर और कल्चरल सेंटर के निर्माण में मदद देने का अनुरोध किया था। गोपाल कृष्ण गोस्वामी के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को मास्को में एक ऐसा आधुनिक केन्द्र बनाने की योजना की जानकारी दी जो भारत-रूस दोस्ताना रिश्तों की भावना और परंपरा को झलकाएगा।
आयरलैंड के कैथोलिक चर्च का फरमान
सरकार को गर्भपात को कानूनी बनाने से रोको!
क्रिसमस के दिन चर्च अनुयायियों के सामने गर्भपात को वैधानिक बनाने की आयरलैंड सरकार की कोशिशों के खिलाफ लामबंद होने की अपील करने वाले आयरलैंड के कैथोलिक चर्च प्रमुख को लेकर दुनिया में बहस छिड़ गई है। यहां बता दें कि पिछले महीने एक भारतीय युवती सविता हलप्पनवर की मृत्यु इसी वजह से हो गई थी कि उसके गर्भ में पनपी जटिलता के चलते गर्भपात जरूरी हो गया था, लेकिन आयरलैंड में गर्भपात की अनुमति न होने की वजह से वह नहीं किया गया था। उसके बाद पूरी दुनिया में रोष दिखाई दिया था, आयरलैंड सरकार पर गर्भपात को कानूनी रूप से वैध घोषित करने का दबाव बढ़ा और फिलहाल सरकार इस दिशा में बढ़ रही है।
लेकिन कार्डिनल सीन ब्रेडी की क्रिसमस तकरीर से खासी उथल-पुथल मच गई है। कार्डिनल ने कहा था, 'मुझे उम्मीद है कि जीवन के अधिकार को बुनियादी अधिकार मानने वाला हर इनसान सही, लेकिन दमदार तरीके से अपने प्रतिनिधियों तक अपनी आवाज पहुंचाएगा…। किसी सरकार को किसी मासूम इनसान से वह अधिकार छीनने का हक नहीं है।' आयरलैंड के प्रधानमंत्री एंडा कैन्नी, जो खुद चर्च प्रार्थनाओं में बराबर जाते हैं, अब वह कानून लाने की तैयारी में हैं जो किसी महिला को उसकी गर्भावस्था से जिंदगी पर खतरा होने की सूरत में गर्भपात की इजाजत देगा। वैसे वहां की सबसे बड़ी अदालत ने तो 1992 में ही ऐसे हाल में गर्भपात को जायज ठहराया था, लेकिन सरकारों ने इसे कानूनी जामा पहनाने से हमेशा गुरेज ही किया। लिहाजा अब तक कानून नहीं बना, परिणामत: सविता अब इस दुनिया में नहीं है।
छावनी के पास गुप्त अड्डा बनाने को
बिन लादेन ने दी थी 50 हजार की रिश्वत!
अल कायदा सरगना और दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादियों में गिना जाने वाला ओसामा बिन लादेन भी रिश्वत के चंगुल से खुद को दूर नहीं रख पाया था। पाकिस्तान के उर्दू दैनिक जंग की मानें तो एबटाबाद में नजदीकी छावनी की छाया तले जिस तीन तल्ला घर में लादेन चाक-चौबंद सुरक्षा में रह रहा था उसे बनाने के लिए उसे वहां के पटवारी को 50 हजार रु. की रिश्वत देनी पड़ी थी। उसी के बाद वह उस तीन तल्ला घर के इर्द-गिर्द 14 फुट ऊंची दीवार और उस पर लोहे की बाड़ जमा पाया था। 'जंग' को इस रिश्वत की जानकारी कैसे मिली? जानकारी ऐसे मिली कि लादेन-वध के बाद उसकी डायरी को जब पाकिस्तानी अफसरों ने पढ़ा तो तमाम बातों के अलावा बिन लादेन ने उसमें यह भी दर्ज कर रखा था। पाकिस्तानी फौज ने उस तीन तल्ला घर को ढहाने के बाद जब वहां रखा सामान खंगाला तो डायरी सहित 1,37,000 दूसरे कागजात भी मिले थे। दिलचस्प बात तो यह है कि अफसरों ने उस रिश्वतखोर पटवारी को ही धर लिया और पूछा, क्यों भई, लादेन से रिश्वत खाई, तो वह बोला, मुझे क्या पता था वह लादेन के मकान के लिए थी। डायरी बताती है कि लादेन जानता था कि पटवारी सरीखे लोग बिना रिश्वत कागज नहीं बढ़ाते सो उसी ने पटवारी को पैसा देने की इजाजत दी थी।
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