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भारत का विकास भारतीयता के आधार पर ही होना चाहिए।–सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
शिक्षा का बाजारीकरण देश के लिए घातक–जेसी शर्मा, पूर्व विदेश सचिव
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का 58वां राष्ट्रीय अधिवेशन गत 26 दिसम्बर को व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प के साथ प्रारंभ हुआ। कार्यकर्ताओं ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि पटना में यह संकल्प लिया कि वे जेपी के सपने को साकार करेंगे। बिहार परिवर्तन की धरती है और विद्यार्थी परिषद् इस परिवर्तन को व्यवस्था परिवर्तन के तौर पर देखेगी। पटना के जयप्रभा ब्लड बैंक स्थित मैदान में आयोजित इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए भारत के पूर्व विदेश सचिव जेसी शर्मा ने कहा कि आगामी वर्ष स्वामी विवेकानंद के जन्म का 150वां वर्ष है। स्वामी विवेकानंद रूढ़िवाद के विरोधी थे। विद्यार्थी परिषद् को चाहिए कि वह रूढ़िवादी प्रवृतियों से बचे तथा अन्य छात्र संगठनों से हटकर अपनी छवि बनाये। उन्होंने कहा कि कभी भारत ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। पूरे देश से लोग ज्ञान प्राप्त करने बिहार आते थे। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय की ख्याति से कौन अपरिचित है? परंतु आज हम ज्ञान के साथ अन्य क्षेत्रों में भी पिछड़ गये हैं। विश्व के प्रमुख चार सौ विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। हमें यह स्थिति बदलनी होगी। शिक्षा के व्यवसायीकरण को देश के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का बाजारीकरण देश के लिए घातक है। इसका समाधान केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को मिलकर खोजना होगा। गरीबों को नि:शुल्क और उत्कृष्ट शिक्षा दिए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता।
उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश सोनी (सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ) ने कहा कि, 'भारत के विकास पर ही विश्व का विकास निर्भर है। यदि भारत मिट जायेगा तो विश्व से आध्यात्मिकता का नाश हो जाएगा और विश्व एक हिंसक मनुष्यों का जंगल बन जायेगा। यह बात स्वामी विवेकानंद ने अपने विभिन्न संबोधनों में कही थी। भारत स्वामी विवेकानंद का दिन का स्वप्न था, रात की नींद थी। स्वामी जी को समझे और पढ़े बगैर भारत के विकास की बात करना बेमानी है।' उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत का विकास भारतीयता के आधार पर ही होना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने बताया है कि यदि विकास करना है तो अपनी जड़ को पकड़ कर रखना चाहिए। जड़ को छोड़कर किया गया विकास अंत में विनाश ही लाता है। भारत के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद ने बताया है कि आध्यात्मिकता, तकनीक तथा विज्ञान के सामंजस्य से ही भारत का विकास संभव है। स्वामी विवेकानंद की सार्द्ध शती पर उन्होंने युवा पीढ़ी से समाजहित के लिए एक वर्ष का समय देने का आह्वान भी किया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विद्यार्थी परिषद् के नव नियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. पी. मुरली मनोहर ने कहा कि भारत के लगभग प्रत्येक विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थी परिषद् की उपस्थिति है। आज हम इस बात को गर्व से कह सकते हैं कि विद्यार्थी परिषद् सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक, शैक्षिक एवं अन्य क्षेत्रों के लिए भी नेतृत्व तैयार करता है। उन्होंने परिषद् के कार्यकर्ताओं की तुलना देश के आंतरिक सिपाही के तौर पर की।
राष्ट्रीय महामंत्री उमेश दत्त ने परिषद् की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि परिषद् के कार्यकर्ता न सिर्फ विभिन्न विसंगतियों के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं बल्कि पीड़ित मानवता की सेवा में भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन के औचित्य को बताते हुए परिषद् के सह संगठन मंत्री सुनील बंसल ने कहा कि देश में आज भी ब्रिटिश व्यवस्था लागू है। इस व्यवस्था से देश का विकास संभव नहीं। 1861 का पुलिस कानून आज भी लागू है। आम आदमी को पुलिस से राहत नहीं बल्कि परेशानी हो रही है। आधे से ज्यादा राज्यपाल राजनीतिक व्यक्ति हैं, इनसे बदलाव की अपेक्षा करना बेकार है। अधिकांश सरकारी अधिकारी चाटुकारिता में लगे रहते हैं ताकि सेवानिवृति के बाद उन्हें अच्छा पद प्राप्त हो जाये। न्यायपालिका की भी आधारभूत संरचना ठीक नहीं है। हजारों की संख्या में मामले लंबित हैं। विलंब से न्याय मिलना भी अन्याय है। और इस भ्रष्ट चुनाव व्यवस्था से ईमानदार नेता नहीं पैदा हो सकता। उन्होंने 'राइट टू रिकाल' या 'राइट टू रिजेक्ट' से ज्यादा आवश्यक 'राइट टू वोट' बताया। उन्होंने कहा कि देश में पचास फीसदी से कम मतदान होता है। विजयी प्रत्याशी को डाले गये मतदान का पचास फीसदी भी प्राप्त नहीं होता। यह लोकतंत्र का मजाक है। तीन दिन के अनेक सत्रों में देश, समाज व छात्रों की स्थिति पर व्यापक चर्चा हुई और प्रस्ताव भी पारित किया गया। अधिवेशन में पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन का भी आयोजन किया गया, रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। अधिवेशन में प्रतिष्ठित यशवंत राव केलकर पुरस्कार महाराष्ट्र में ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कार्य करने वाले डा. प्रसाद वामन देवधर को दिया गया। सिंधु दुर्ग के इस मौन तपस्वी को यह सम्मान रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने प्रदान किया।
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