साहित्यिकी
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भानु प्रसाद शर्मा
नजर रखो तुम,सदा शिखर पर!
जो न रुकेंगे, जो न थकेंगे,
बढ़े चलेंगे, सदा डगर पर।
सपने सारे, पूरे होंगे
नजर रखो तुम, सदा शिखर पर।।
कांटों पर चलकर ही प्यारे,
फूलों तक जाना होता है,
सागर की गहराई से ही,
हर मोती चुनना होता है,
तूफानों से डरकर भाई, नाव चले न कभी लहर पर।
सपने सारे पूरे होंगे, नजर रखो तुम सदा शिखर पर।।
अरमानों के पंख लगाकर,
छा सकते हो नील गगन पर,
होश संभालो, जोश खंगालो,
चल सकते हो तप्त अगन पर,
नीलकंठ तुम महादेव तुम, जीत तुम्हारी तीक्ष्ण जहर पर।
सपने सारे पूरे होंगे, नजर रखो तुम सदा शिखर पर।।
नेक इरादे रखो हमेशा,
धरती–अंबर जोड़ सकोगे,
अपने पर विश्वास अगर हो,
धारा को भी मोड़ सकोगे,
मंजिल कदमों तक आएगी, शक मत करना कभी सफर पर।
सपने सारे पूरे होंगे, नजर रखो तुम सदा शिखर पर।।
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