तेलंगाना मुद्दे से ध्यान हटाने की राजनीतिक साजिश
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हैदराबाद में हनुमान जयंती पर दंगाइयों की शरारत
हैदराबाद से विशेष प्रतिनिधि
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में आमतौर पर शांत रहने वाले वायुमंडल को इधर कुछ वर्ष से मजहबी उन्मादी तत्वों की नफरती चालों ने दूषित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। उनका शातिर दिमाग प्रमुख हिन्दू तीज-त्योहारों के अवसर पर ज्यादा ही हलचल करता है। होली, दीपावली, नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती… आदि त्योहारों पर ये मजहबी उन्मादी कुछ न कुछ शरारत भरी साजिश रचते हैं, हिन्दू मंदिरों, मोहल्लों, लोगों, दुकानों-प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर हिंसा भड़काते हैं, आगजनी करते हैं, लूटपाट करते हैं और प्रशासन के सामने 'मासूम' बनकर गड़बड़ी फैलाने का दोष उसी हिन्दू समाज पर मढ़ने की कोशिश करते हैं जो उनकी हिंसा का निशाना बना होता है। तिस पर राज्य की सेकुलर सरकार के सेकुलर पुलिस अधिकारी मजहबी भावनाओं को तुष्ट करने के लिए हिन्दुओं को ही चंगुल में लेकर अपराधी साबित करने की जुगत भिड़ाते हैं।
मजहबी उन्मादियों की शरारती रणनीति की एक और बानगी अभी 8 अप्रैल को हैदराबाद के पुराने शहर में फिर दिखाई दी। जैसा ऊपर बताया, उस दिन भी शहर में हनुमान जयंती का उत्सव खूब धूमधाम, गाजे-बाजे, कीर्तन-भजन, शोभायात्रा के साथ सम्पन्न हुआ था। सब कुछ व्यवस्थित रूप से, करीने से सम्पन्न हो गया। लेकिन यही बात उन्मादी तत्वों को रास नहीं आई। उस दिन शाम को हिंसा के लिए ओछी योजना तैयार की गई और पुराने शहर में सईदाबाद के कूर्मागुड़ा के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर को लक्ष्य करके गाय के अंग काटकर मंदिर के आंगन में डाल दिए गए। मंदिर के दरवाजे पर शरारतियों ने हरा रंग छिड़क दिया। त्योहार के दिन आञ्जनेय स्वामी हनुमान मंदिर में गाय के कटे अंग देखकर मंदिर के पुजारी सन्न रह गये। उन्होंने भक्तों के साथ ही स्थानीय पार्षद को इसकी सूचना दी। पार्षद ने तुरंत पुलिस को खबर की।
जैसे-जैसे बात फैली, हिन्दू समाज में गुस्सा भड़क उठा। वे जब मंदिर की तरफ आने लगे तो मजहबी उन्मादियों ने मौका देखकर पथराव शुरू कर दिया, वाहनों में आग लगाई और हिन्दुओं की दुकानें लूटनी शुरू कर दीं। सब कुछ पहले से तैयार षड्यंत्र के अनुसार किया जाने लगा। तनाव को देखते ही देखते दंगे का रूप दे दिया गया। सईदाबाद और मादन्नापेट से भड़काई गई ये साम्प्रदायिक चिंगारी दूसरे इलाकों तक पहुंचा दी गई। प्रशासन देर से हरकत में आया। लाठियां भांजने और आंसूगैस दागने पर भी पत्थरबाजी, लूटमार, तोड़फोड़ करने वाले काबू में नहीं आए तो दोनों जगहों पर बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया।
देर रात मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी, गृह मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी, गृह सचिव गौतम कुमार, पुलिस महानिदेशक दिनेश रेड्डी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बीच समीक्षा बैठक हुई। मादन्नापेट, अमीन कालोनी आदि की गलियों में पत्थरबाजी, चाकूबाजी चलती रही। इसमें 12 लोग घायल हुए, एक दर्जन से ज्यादा सड़क परिवहन की बसें तोड़ी गईं, महिलाओं के जेवर लूटे गए, मीडिया वालों को भी नहीं बख्शा गया, कैमरे तोड़ दिए गए।
इन दंगों के पीछे किसका हाथ है, इस सवाल पर खुद नगर पुलिस आयुक्त ए.के.खान ने पत्रकारों को बताया कि श्रीरामनवमी और हनुमान जयंती त्योहारों के बिना वारदात शांतिपूर्ण सम्पन्न होने से खिन्नाए कुछ शरारती तत्वों ने इस दंगे को अंजाम दिया है। वृहद् हैदराबाद नगर निगम में भाजपा नेता बंगारी प्रकाश पर भीड़ ने पुलिस दफ्तर के सामने ही हमला बोल दिया था। बताते हैं कि दंगों में दो लोगों की मौत भी हुई है। मंगलहाट से पार्षद टी.राजा सिंह ने तो हनुमान मंदिर को अपवित्र करने और इस दंगे को साफ शब्दों में मजलिस पार्टी के षड्यंत्र की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि सोची-समझी साजिश रचकर बहुसंख्यकों पर हमला बोला गया। उनके अनुसार, पुलिस ने एकपक्षीय रवैया अपनाते हुए मजलिस पार्टी के नेताओं से पूछताछ करने की बजाय मंदिर का दौरा करने गए हिन्दू नेताओं को ही पकड़ा। भाजपा नेता गोविन्द राठी ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए पुलिस को इस दंगे के दोषियों को पकड़कर सजा देनी चाहिए।
इस पूरे प्रकरण ने तेलंगाना मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने की राजनीतिक साजिश और पुलिस का एक खास वर्ग की ओर से आंखें मूंदे रहने का रवैया उजागर किया है। संगारेड्डी और मादन्नापेट में दंगों के पीछे मजहबी उन्मादियों का वह वर्ग भावनाएं भड़काने का दोषी है जो एम.आई.एम. और डी.जे.एस. ऐसे संगठनों से जुड़ा है। पुराने शहर की घटनाएं, स्थान, लोग सब मुस्लिम संगठनों से जुड़े हैं। पुलिस यह तथ्य जानती है, पर मजहब के नाम पर समाज को बांटने की कांग्रेस की चाल के तहत अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। दंगों से प्रभावित सभी स्थान मुस्लिम बहुल हैं, जहां पुलिस को उन अपराधियों की पहचान करनी चाहिए जो किसी के इशारे पर समाज की भावनाएं भड़काने के षड्यंत्र रचते हैं। मजलिस पार्टी और कांग्रेस शायद पुराने शहर के आम लोगों से दूर होती जा रही हैं, क्योंकि ये दोनों उन जगहों की बुनियादी समस्याओं को अनदेखा करती रही हैं। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के नाम पर समाज को बांटने की समाज तोड़क राजनीति के जरिए ये दोनों दल खोई जमीन पाने के मंसूबे बना रहे हैं। हैरानी की बात है कि पुराने शहर में हिन्दू तीज-त्योहारों पर ही दंगे या तनाव भड़कता है जबकि किसी मुस्लिम त्योहार के वक्त हैदराबाद के किसी हिस्से में कोई तनाव नहीं होता। मादन्नापेट के सहायक पुलिस आयुक्त खुलकर मुस्लिमों का पक्ष लेते देखे गए हैं। ऐसे पक्षपाती अधिकारी से क्या उम्मीद की जा सकती है? राज्य की कांग्रेस सरकार अगर अपनी गलतियां सुधारना चाहती है और हैदराबाद की शांति स्थायी तौर पर लौटाना चाहती है तो शातिर दंगाइयों, षड्यंत्रकारियों को, उनके मजहबी नेताओं की सुने बिना, फौरन गिरफ्तार करना SÉÉʽþB*n
गया में भी मजहबी उपद्रवियों ने किया
रामनवमी जुलूस पर पथराव
गत एक मई को गया (बिहार) में रामनवमी के अवसर पर निकाले गए जुलूस पर मुस्लिम उपद्रवियों ने जमकर पत्थरबाजी की। रामनवमी जुलूस शहर के कोतवाली थाना अंतर्गत मुरारपुर मोहल्ले से होकर गुजर रहा था तभी 25-30 उपद्रवियों ने जुलूस पर हमला बोल दिया। हमलावरों में ज्यादातर बाहरी लोग थे। प्रतिकार में जब जुलूस में शमिल लोगों ने लाठियां उठाईं तो हमलावर अचानक गायब हो गए और उनकी जगह दूसरे लोग सामने आ गए।
गया में हालात रामनवमी के पूर्व से ही बिगड़ने शुरू हो गए थे। गया के पंतनगर का हनुमान मंदिर विवाद में उलझा दिया गया था। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब रामनवमी जुलूस निकाले जाने के दिन जिलाधिकारी के आदेश पर सड़क किनारे स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को बलात् हटाया गया। स्थानीय लोगों के आक्रोश को देखते हुए जिलाधिकारी ने लाठीचार्ज करवाया। पुलिस के लाठीचार्ज से कई लोगों को चोटें आईं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, गया के एक मजहबी नेता सहित अन्य उपद्रवियों ने विधिवत् स्थापित की गई हनुमान जी की मूर्ति के पास लगी ध्वजा को फाड़ दिया था। इसकी जानकारी मुहल्लेवासियों को हुई तो पुन: ध्वजा लगायी गयी। उसी नेता द्वारा उक्त जमीन को अपना बताया जा रहा था और उसने अन्य लोगों की सहायता से पुलिस प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप कराते हुए रामनवमी के जुलूस के दिन ही हनुमान जी की प्रतिमा को हटवा दिया। इस दौरान प्रतिमा के पास भजन–कीर्तन कर रहीं महिलाओं को उपजिलाधिकारी के इशारे पर पीटा गया। बाद में पुलिस के संरक्षण में जुलूस निकाला गया। तनाव की आशंका होने के बावजूद पर्याप्त पुलिस बल नहीं दिया गया। जब जुलूस पर मुरारपुर एवं छत्ता मस्जिद के पास हमला हुआ तो कम पुलिस बल होने के कारण पुलिस को भी कुछ समय के लिए भागना पड़ा। परन्तु जल्दी ही और पुलिस आ गई और आंसू गैस छोड़ी गई। हालांकि पुलिस ने हमलावरों पर कार्रवाई करने के बजाए जुलूस को ही आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस ने उल्टे जुलूस पर लाठीचार्ज किया जिससे जुलूस तितर–बितर हो गया। यह हमला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने हुआ, फिर भी प्रशासन मौन रहा। कुमार
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