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स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की तीसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा –
हत्यारों को बचा रही है सरकार
स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अपना संपूर्ण जीवन वनवासियों के उत्थान व सशक्तिकरण में लगा दिया। वनवासियों का शोषण कर रहे और उनका सशक्तिकरण न हो, यह चाहने वाले लोगों ने उनकी हत्या कर दी। राज्य सरकार स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती के हत्यारों व साजिशकर्ताओं को पकड़ने के बजाए उन्हें संरक्षण दे रही है।व् उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार तथा राष्ट्रदीप पत्रिका के संपादक श्री जगबंधु मिश्र ने गत 22 अगस्त को
भुवनेश्वर में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री मिश्र ने आगे कहा कि स्वामीजी के हत्यारों व साजिशकर्ताओं को बचाने के लिए राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है। स्वामीजी की हत्या के बाद जिन दोनों लोगों को ग्रामीणों ने खून से लथपथ हथियारों व नकाबों के साथ पकड़कर पुलिस के हवाले किया था, पुलिस ने उन दोनों को बिना पूछताछ किये छोड़ दिया। इन दोनों को पुलिस जांच के दायरे में लाना नहीं चाहती है। अभियुक्तों की शिनाख्त परेड भी अब तक नहीं कराई गई है। इसके अलावा बेटिकला चर्च में स्वामीजी की हत्या के लिए पारित प्रस्ताव वाला रजिस्टर भी पुलिस को उपलब्ध कराया गया था। पुलिस उस पर भी जांच नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वामीजी एक आम संन्यासी नहीं थे। समाज के वंचित लोगों की पीड़ा को वह सहन नहीं कर पाते थे। यही कारण था कि उन्होंने कंधमाल जिले का दुर्गम इलाका कार्य के लिए चुना। उन्होंने वहां वनवासी बच्चों को संस्कृत पढ़ाई और उन्हें वेद का अध्ययन कराया। उन्होंने लोगों को स्वावंलबी बनने व आत्म स्वाभिमान से जीने की प्रेरणा दी। उनके इस कार्य से चर्च के मतांतरण के कार्य में दिक्कतें आ रही थीं। इस कारण वह उनकी आंखों में खटकने लगे थे। जिसके चलते उनकी हत्या कर दी गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री कल्याण राय ने कहा कि वनवासी समाज के उत्थान में स्वामीजी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित स्वामी प्राणरूपानंद सरस्वती ने कहा कि स्व. लक्ष्मणानंद सरस्वती ने अपने त्याग व साधना के बल पर वनवासियों के उत्थान का कार्य किया था। उनके अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए हमें आगे आना चाहिए। वनवासी कल्याण आश्रम के महासचिव श्री लक्ष्मीकांत दास ने कार्यक्रम का संचालन किया, वहीं स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती स्मृति न्यास के प्रबंध न्यासी श्री मनसुख सेठिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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