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नया विकास पथ खोजें”देश का मौजूदा विकास पथ भारत को रसातल में ले जा सकता है। सभी संसाधनों और सुविधाओं का कुछ खास वर्ग के लिए अत्यधिक दोहन ने देश के सामने भयंकर संकट खड़ा कर दिया है। इस विकास पथ ने कुछ लोगों को भले ही अमीर बना दिया हो परन्तु हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा जीवनयापन के लिए आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ हो रहा है।” स्वदेशी जुटान ने गंभीर चिंतन के बाद यह सार प्रस्तुत किया है। देश के सामने उत्पन्न संकट के मद्देनजर “देशी राजनीति एवं जनोन्मुखी विकास” विषय पर स्वदेशी जुटान कार्यक्रम गत 19 व 20 अप्रैल को वृंदावन में सम्पन्न हुआ। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री मुरलीधर राव एवं संचालन समिति के सदस्य श्री गोविन्दाचार्य ने विभिन्न विचारधाराओं के चिंतकों को इस सम्मेलन में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया था। सम्मेलन में लगभग 400 से अधिक विचारकों ने भागीदारी की।”स्वदेशी जुटान” के इस कार्यक्रम में इस विषय पर पूर्ण मतैक्य था कि गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक असंतुलन, महंगाई, किसानों द्वारा आत्महत्या आदि सभी वर्तमान विकास ढांचे की ही देन है।स्वदेशी जुटान में कृषि क्षेत्र की समस्या पर गहन विचार किया गया और विकास के दावों के बीच किसानों द्वारा आत्महत्या और देश में अकाल की स्थिति के लिए नए विकास पथ को सबसे बड़ा खलनायक माना गया। स्वदेशी जुटान के अनुसार, “पिछले कुछ वर्षों में गैरकृषि कार्यों के लिए कृषि भूमि के अंधाधुंध अधिग्रहण और कृषि भूमि के गैर कृषि कार्यों में बढ़ते उपयोग ने किसानों को खेती से बेदखल कर दिया है। स्थानीय संसाधनों जैसे जल स्रोतों (नदी, तालाबयह भी तथ्य सामने आया है कि, “वर्तमान विकास ढांचे में उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिला और परिवार व्यवस्था पर तनाव बढ़ता गया। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से कहीं ज्यादा महंगी हुई हैं। उधर लघु स्तर पर काम करने वाले, चाहे वे खुदरा व्यापारी हों या लघु उद्यमी, सभी असमान प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं।”प्रतिभागियों ने राजनीति के विषय में कई प्रकार के सुझाव दिए, जिसमें प्रमुख हैं- जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार, देश के चिंतन पर आधारित संविधान, ग्रामीणों एवं स्थानीय लोगों का संसाधनों पर अधिकार स्थापित करना, देश में विविध स्तर पर नेतृत्व एवं अफसरशाही का भारतीय चिंतन एवं समाज परम्परा के आधार पर प्रशिक्षण, प्रभावी न्याय वितरण व्यवस्था, ग्राम पंचायतों को राजस्व का अधिक अधिकार, अन्तरराष्ट्रीय संधियों की संसद द्वारा स्वीकृति, व्यवसाय एवं कार्य आधारित जनतंत्र प्रतिनिधि32
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