|
स्वाभिमान जागरण ने फैलाया उजासपत्थरों से भरी करकरी नदी को पार कर “चिपी बान्धरी” पहुंचना पैदल देवघर जाने के बराबर है। दुर्गम भौगोलिक स्थिति के चलते रांची जिले के तमाड़ प्रखण्ड के इस गांव में न तो कभी शिक्षा पहुंची, न संचार की सुविधाएं। नक्सलवाद से प्रभावित “चिपी बान्धरी” में जाने का साहस कभी सरकारी अधिकारी भी नहीं जुटा पाए। धीरे-धीरे पूरा गांव मुख्यधारा से कट गया।”चिपी बान्धरी” गांव में वर्षों बाद बन रही सड़क के निर्माण का ठेका भ्रष्ट सरकारी तंत्र द्वारा एक फर्जी स्वयं सहायता समूह को दे दिया गया। इससे गांव के लोगों को काफी परेशानी हुई और व्यवस्था के प्रति उनमें तीव्र आक्रोश भी पनपा। किसी को सप्ताह भर काम के बदले चार दिन की मजदूरी मिली तो किसी को सड़क के बीचों-बीच आ रही जमीन का अपर्याप्त मुआवजा। लोगों ने इसकी शिकायत प्रखण्ड स्तर पर की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। विजय लक्ष्मी सिंह31
टिप्पणियाँ