|
30 दिन, 32 देश, 736 खिलाड़ीकड़े संघर्ष का रोमांच-कन्हैया लाल चतुर्वेदी9 जून से 9 जुलाई तक दुनिया की निगाहें जर्मनी पर टिकी होंगी। इस पूरे एक महीने विश्व पर फुटबाल का जबरदस्त नशा छाया रहेगा। जिन्हें 9 जून से शुरू होने वाले फुटबाल के अठारहवें विश्वकप की टिकटें मिल गई हैं वे जर्मनी के मैदानों में इस खेल के सितारों का दमखम देखेंगे। जो टिकट नहीं खरीद सके वे अपने घर में दूरदर्शन पर आखें गड़ाए रहेंगे। फुटबाल का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोलने लगा है। संभावित विजेता के अनुमान लगाये जा रहे हैं। कौन-सा खिलाड़ी इस विश्व कप का सितारा बनेगा, इस पर भी शर्ते लग रही हैं। इस पर भी दांव लग रहे हैं कि लीग चरण पार करके कौन से सोलह देशों की टीमें निर्णायक दौर में पहुंचेंगी।इसमें कोई संदेह नहीं कि फुटबाल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल और इसका विश्व कप सर्वाधिक लोकप्रिय खेल प्रतियोगिता है। स्पेन, इंग्लैंड, इटली और जर्मनी जैसे देशों में क्लबों के मुकाबलों में ही दर्शकों का भारी हुजूम इकट्ठा हो जाता है। गत 17 मई को आर्सेनल (इंग्लैण्ड) तथा बार्सीलोना (स्पेन) के बीच हुए चैम्पियंस लीग के फाइनल मुकाबले को देखने के लिये ही एक लाख दर्शक मैदान में मौजूद थे। एक प्रकार से 9 जून से आरंभ होने वाले मुकाबले को विश्व कप का अंतिम चरण कहा जाता है। फुटबाल के विश्व संगठन “फीफा” (फेडरेशन इंटरनेशनल फुटबाल एसोसिएशन) के सदस्य देशों की संख्या 204 है। संयुक्त राष्ट्र संघ के भी इससे कम (कुल 191) देश ही सदस्य हैं। इन सदस्य देशों को विश्व कप के लिए छह समूहों में बांटा जाता है। इन समूहों के देशों में आपस के मुकाबले होते हैं और उनमें अव्वल रहने वाले देश ही अंतिम चरण के मुकाबले में भाग ले पाते हैं। लगभग दो वर्ष तक चलने वाले इस योग्यता चक्र के मैचों के बाद यूरोप से 13 देशों ने अंतिम चरण के लिए योग्यता प्राप्त की। लातीनी अमरीका, उत्तरी अमरीका तथा एशिया से चार-चार देशों ने स्थान बनाया। अफ्रीका महाद्वीप से पांच देशों को जर्मनी जाने का अवसर मिला है और इस बार “ओसियाना” से आस्ट्रेलिया ने भी फुटबाल के दिग्गजों से जोर आजमाइश करने की योग्यता प्राप्त की है। जर्मनी को मेजबान होने के नाते योग्यता चक्र की मशक्कत नहीं करनी पड़ी। इस प्रकार विश्व कप फाइनल में खेलने वाली यूरोप की 14 टीमों सहित कुल 32 देशों की टीमें विश्व कप पर कब्जा करने के लिए जूझने वाली हैं। प्रतियोगिता में कौन किससे टक्कर लेगा, इसका “ड्रा” छह महीने पहले 9 दिसंबर को ही लीपजिंग (जर्मनी) में निकाल लिया गया था। तीन महीने पहले अर्थात मार्च माह से ही प्रतियोगिता का प्रचार अभियान आरंभ हो गया। 9 जून को पहला मुकाबला जर्मनी और कोस्टारिका के बीच म्यूनिख में होगा।बारह नगरों में मैचम्यूनिख सहित जर्मनी के बारह नगरों-जेल्जन कक्सन, फ्रेंकफर्ट, डार्टमुण्ड, हैम्बर्ग, लीपजिंग, न्यूरेम्बर्ग, कोलोन, हनोबर, केसरस्लाटर्न, बर्लिन तथा स्टुटगार्ट- में विभिन्न देशों के बीच श्रेष्ठता की होड़ होगी। विश्व कप के लिए आखिरी दस्तक देने वाली 32 टीमों को चार-चार के आठ समूहों में बांटा गया है। लीग चरण के 48 मुकाबले इन्हीं 12 केंद्रों पर होंगे जो 23 जून तक चलेंगे। इनके बाद 24 से 27 जून तक प्रत्येक समूह में प्रथम दो स्थान प्राप्त करने वाले 16 दलों में पूर्व क्वार्टर फाइनल के मुकाबले होंगे। क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले आठ दलों में 30 जून व 1 जुलाई को भिड़ंत होगी। सेमीफाइनल मैच 4 जुलाई को डार्टमुण्ड और म्यूनिख में एक ही समय होंगे तथा प्रतियोगिता का 64वां व अंतिम मुकाबला 9 जुलाई को बर्लिन में होगा। इसके एक दिन बाद पहले स्टुटगार्ट में तीसरे-चौथे स्थान का फैसला होगा। विश्व कप में भाग लेने वाले सभी देशों ने अपने 23 खिलाड़ियों के दल की घोषणा 15 मई तक कर दी है।खिलाड़ियों में तो नहीं, पर विश्व कप में भाग लेने वाली टीमों में अवश्य काफी उलट-फेर हुआ है। इस विश्व कप में आठ देश ऐसे हैं जो प्रतियोगिता में पहली बार भाग लेंगे। उत्तरी अमरीका से त्रिनिदाद एवं टोबैगो विश्व कप में पहली बार शामिल होगा। इस महाद्वीप की अन्य तीन टीमें हैं- अमरीका, मैक्सिको तथा कोस्टारिका।अफ्रीका से टूनीशिया पहले ही विश्व कप में दस्तक दे चुका है। आश्चर्यजनक रूप से शेष चार देश-अंगोला, आइवरी कोस्ट, घाना तथा टोगो पहली बार अपनी किस्मत आजमाएंगे।यूरोप से जर्मनी के अतिरिक्त चेक गणराज्य, क्रोशिया, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, हालैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन, सर्बिया-मोण्टेनेगो, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और यूक्रेन ने प्रतियोगिता के आखिरी पड़ाव में स्थान बनाया है।एशिया से ईरान, जापान, सऊदी अरब व दक्षिण कोरिया चुनौती प्रस्तुत करेंगे जबकि लातीनी अमरीका से ब्राजील और अर्जेण्टीना के साथ-साथ इक्वेडोर और पराजुवे ने भी विश्व कप के खेलने की पात्रता अर्जित की है। वर्ष 1974 के बाद आस्ट्रेलिया फिर से विश्व कप में अंतिम चरण में पहुंचा है। यूरोप महाद्वीप से इस बार डेन्मार्क, तुर्की, आयरलैंड, बेल्जियम और रूस जैसी सशक्त टीमें जर्मनी जाने की योग्यता अर्जित नहीं कर सकीं। इस बार सर्वाधिक स्वागतयोग्य वापसी हालैंड की हुई है। साम्यवाद की समाप्ति के बाद चेकोस्लोवाकिया दो अलग राष्ट्रों, चेक गणराज्य तथा स्लोवेनिया में विभाजित हो गया था। चेक गणराज्य की टीम काफी सशक्त है और इस बार विश्व कप पर इस टीम की दावेदारी भी है। इसी तरह युगोस्लाविया से अलग हुए सर्बिया-मोण्टेनेग्रो और रूस से अलग हुए यूक्रेन भी विश्व कप में पहुंचे हैं। स्विट्जरलैण्ड को भी पुन: प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला है। कड़े संघर्ष का रोमांच अभी से खेल प्रेमियों पर असर दिखाने लगा है। मुकाबलों में कौन जीतेगा, बस कुछ ही दिन में साफल हो जाएगा।17
टिप्पणियाँ