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इस तरह बनती है
“चर्च पर हमले” की खबर
कर्नाटक के शिवनपुरा जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ की घटना हुई है। यह घटना 15 जुलाई की है। चर्च से जुड़े एक महत्वपूर्ण ईसाई नेता एवं ग्लोबल काउंसिल आफ इंडियन क्रिश्चियन के अध्यक्ष डा. साजन जार्ज ने प्रसिद्ध ईसाई स्तंभकार एवं लेखक श्री पी.एन. बेंजामिन को बताया कि मारथोमा चर्च परिसर में हुई तोड़फोड़ में स्थानीय शरारती तत्व शामिल थे जो अवैध रूप से शराब बनाने, वेश्यावृत्ति और नकली नोट चलाने का धंधा करते हैं। डा. साजन जार्ज ने यह भी कहा कि इस घटना में किसी भी हिन्दू के शामिल होने का प्रमाण नहीं है। स्थानीय बदमाशों ने चर्च के सामाजिक कार्यों से कुपित होकर इस तरह की तोड़फोड़ की है। श्री बेंजामिन को यह देखकर अत्यंत आश्चर्य हुआ कि 21 जुलाई को एक ईसाई संवाददाता ने मुंबई से खबर प्रसारित की जिसमें चर्च में हुई तोड़फोड़ का आरोप “हिन्दू अतिरेकी तत्वों” पर मढ़ते हुए सांप्रदायिक विषवमन किया गया। श्री बेंजामिन ने डा. साजन जार्ज को चिट्ठी लिखकर पूछा है कि कल तक जो स्थानीय तत्वों का काम कहा जाता था वह तथाकथित हिन्दू कट्टरपंथियों पर क्या इसलिए मढ़ दिया गया क्योंकि कर्नाटक सरकार में भाजपा शामिल है और इस तरह की खबर सारी दुनिया में फैलाकर आप विदेश यात्राओं और विदेशी पैसे का ज्यादा अच्छा प्रबंध कर सकते हैं? इस तरह कब तक आप ईसा मसीह से धोखा करते रहेंगे?
चुनावी धांधली जारी है
कड़े नियम एवं सुरक्षा व्यवस्था के बीच पश्चिम बंगाल में इस वर्ष चुनाव कराकार उसे “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष” करार देने के चुनाव आयोग के दावे पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। माना जा रहा है कि जिस इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के बल पर “धांधली रहित” चुनाव कराए जाने का दावा किया जा रहा था, उसी के द्वारा बड़े पैमाने पर “हाइटेक धांधली” की गई। इसका प्रमाण मिला कोलकाता के साईंस सिटी सभागार में आयोजित एक सम्मेलन में। तीन कम्प्यूटर विशेषज्ञों ने सीडी प्रोजेक्टर (प्रक्षेपक) के माध्यम से बताया कि कैसे वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ कर चुनावी धांधली को अंजाम दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोई सामान्य व्यक्ति इस धांधली को नहीं समझ सकता पर एक विशेषज्ञ इसे बड़ी आसानी से समझ सकता है। ये तीन कम्प्यूटर विशेषज्ञ हैं-कल्याणी विश्वविद्यालय के प्रो. प्रदीप कुमार, जलपाईगुड़ी राजकीय इंजीनियरिंग कालेज के प्रो. दिपलीश चक्रवर्ती तथा जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो. चितरंजन मंडल। उल्लेखनीय है कि प. बंगाल के चुनावों में सत्तारूढ़ वाम दलों पर धांधली करने का आरोप विपक्षी दल लंबे समय से लगाते रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की कड़ाई देखकर उम्मीद जगी थी कि राज्य में बदलाव आएगा, पर चुनाव परिणाम ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान को गलत साबित कर दिया। हालांकि तभी भाजपा के श्री तथागत राय, तृणमूल कांग्रेस की सुश्री ममता बनर्जी सहित कई अन्य विपक्षी नेताओं ने चुनाव परिणामों पर आपत्ति जताई थी तथा इसे मतदाताओं का वास्तविक जनादेश नहीं बताया था। यहां तक कि एक वरिष्ठ पत्रकार वरुण सेनगुप्ता ने भी अपने चुनाव अनुमान के गलत होने पर चुनाव परिणाम पर प्रश्न चिह्न लगाया था। प. बंगाल विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गईं वोटिंग मशीनें चुनाव से एक महीना पहले ही बिहार से मंगाई गई थीं। उन्हें जिलाधिकारी एवं अनुमण्डल अधिकारियों की देख-रेख में रखा गया। नियमत: इसी दौरान मतदान मशीन में चुनाव के लिए तैयार “प्रोग्राम” डाला जाता है। बताया जाता है कि इसी दौरान सावधानीपूर्वक “प्रोग्राम” में छेड़छाड़ कर उसे वामदलों के हित में मशीनों में डाल दिया गया था।
अहमदियों पर अत्याचार
पाकिस्तान में अहमदियाओं पर अत्याचारों का सिलसिला जारी है। ताजा घटना में उग्रवादियों ने अहमदिया समुदाय से सम्बंधित लोगों के घरों पर हमले कर ऐसी तोड़-फोड़ मचाई, जिससे वह अपने घरों को छोड़कर भाग गए। एक रपट के अनुसार कुछ लोगों ने अहमदिया समुदाय से सम्बंधित कम से कम एक दर्जन परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने “कुरान का अपमान” किया था। हमलावरों ने पहले तोड़-फोड़ की फिर घर छोड़कर जाने का आदेश दे दिया। उन्हें वापस आने की अनुमति भी अभी तक नहीं मिली है। पुलिस ने अहमदिया समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने का वादा किया है, लेकिन परोक्ष रूप से यह भी कह दिया है कि वे दसका तहसील के अन्तर्गत झंडूशाही गांव में वापस न आएं। पुलिस पर यह आरोप खुद पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने ही लगाया है। अहमदिया घरों पर गत माह हमला किया गया था जिनमें दो लोग घायल भी हुए थे। हमलावरों ने दुकानों और कुछ मकानों को जलाने के साथ ही अहमदिया मजहबी स्थल को भी नुकसान पहुंचाया। हमलावरों का आरोप था कि अहमदिया लोगों ने कुरान की प्रतियां जलाई थीं। पुलिस ने इस सम्बंध में सात लोगों को गिरफ्तार करके कुरान के अपमान का मामला दर्ज किया।
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