'लाउडस्पीकर किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं', ध्वनि प्रदूषण पर बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी
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होम भारत महाराष्ट्र

‘लाउडस्पीकर किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं’, ध्वनि प्रदूषण पर बॉम्बे हाई कोर्ट की टिप्पणी

हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वो सभी धार्मिक संस्थानों को ऑटो डेसिबल सीमा के साथ कैलिब्रेटेड साउंड सिस्टम सहित शोर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करे।

by Kuldeep singh
Jan 24, 2025, 08:31 am IST
in महाराष्ट्र
Bombay High court

बॉम्बे हाई कोर्ट

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कांकर-पाथर जोर के, मस्जिद लई चुनाय।
ता चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।

कबीर दास के इस दोहे पर को चरितार्थ करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लाउडस्पीकर किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने प्रशासन को ध्वनि प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन करने वाले लाउडस्पीकरों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का निर्देश दिया है।

मिडडे की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को ध्वनि प्रदूषण से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस ए एस गडकरी और जस्टिस एससी चांडक की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि शोर स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। इस बात का दावा कोई भी नहीं कर सकता है कि किसी को अगर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से वंचित किया जाता है तो इससे किसी के अधिकार किसी भी तरह से प्रभावित होंगे।

हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वो सभी धार्मिक संस्थानों को ऑटो डेसिबल सीमा के साथ कैलिब्रेटेड साउंड सिस्टम सहित शोर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए एक तंत्र की स्थापना करे।

Topics: noise pollutionBombay High Courtloudspeakers in religious placesबॉम्बे हाई कोर्टधार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकरloudspeakersलाउडस्पीकरध्वनि प्रदूषण
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