फिर से भाषाई आग भड़का रहा विपक्ष? विधेयकों के “संस्कृत-हिंदी” नामों पर विरोध
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

फिर से भाषाई आग भड़का रहा विपक्ष? विधेयकों के “संस्कृत-हिंदी” नामों पर विरोध

पिछले दिनों संसद में सांसद ने अधिनियमों के संस्कृत और हिंदी नामों को लेकर जमकर शोर मचाया।

by सोनाली मिश्रा
Dec 8, 2024, 12:41 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पिछले दिनों संसद में सांसद ने अधिनियमों के संस्कृत और हिंदी नामों को लेकर जमकर शोर मचाया। सरकार ने जो अधिनियम पेश किये हैं, उनके नाम संस्कृतनिष्ठ हिंदी में है। इसी बात पर विपक्षी दलों को आपत्ति है।

दक्षिण भारत के कई सांसदों और साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई। “भारतीय वायुयान विधेयक-2024” के नाम को लेकर शोर मचा। यह नाम 90 वर्ष पुराने एयरक्राफ्ट एक्ट के स्थान पर बदला जा रहा है। इसी पर प्रश्न उठाते हुए वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद निरंजन रेड्डी ने कहा कि यह संवैधानिक बाध्यता है कि अधिनियमों के शीर्षक अंग्रेजी में हों। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 348 (1B) का हवाला देते हुए कहा कि संवैधानिक रूप से यह अनिवार्य है कि संसद के किसी भी सदन में जो भी आधिकारिक टेक्स्ट हैं वे “अंग्रेजी” में होने चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने संविधान की इसी धारा का हवाला देते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि लोकसभा 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सभी राज्यों में क्षेत्रीय दलों जैसे तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके ने अपने-अपने राज्य जीते हैं। चुनाव नतीजे विविधता की बात करते हैं। एनडीए एक भाषा और संस्कृति को दूसरे राज्य पर नहीं थोप सकता है।

हिंदी विरोध का इतिहास डीएमके पार्टी का रहा है और उसने एक बार फिर से यही किया और भाषा की आलोचना की। कनिमोई का कहना था कि केंद्र सरकार को अधिनियमों के हिंदी नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए और उन पर हिंदी नहीं थोपनी चाहिए, जो हिंदी नहीं समझते हैं। यह बहुत ही विचित्र बात है कि इन नेताओं को संस्कृतनिष्ठ हिंदी से समस्या है, जिसका मूल भारत में है। यदि नागरिक का अर्थ संस्कृत में नागरिक है, हिंदी में नागरिक है तो मराठी में भी नागरिक ही है और बांग्ला भाषा में भी नागरिक ही है।

भारत की भाषाओं में परस्पर शब्दों का प्रवाह होता रहा है और वे एक-दूसरे की निकटतम भाषाएं हैं, क्योंकि वे एक ही परिवार की भाषाएं हैं। अंग्रेजी औपनिवेशिक काल की भाषा है और यह अत्यंत पीड़ादायक है कि स्थानीय भाषा की राजनीति करने वाले लोग हिंदी का विरोध करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं, मगर औपनिवेशिक पहचान वाली भाषा को अपना सिरमौर बनाए हुए हैं।

किसी भी भाषा से बैर नहीं होना चाहिए और हो भी नहीं सकता है क्योंकि भाषा जहां पर जाती है, वहां के शब्दों से स्वयं को और समृद्ध करती है। अंग्रेजी में तमाम संस्कृतनिष्ठ शब्द भी मिलते हैं तो वहीं हिंदी सहित अन्य भाषाओं में अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के शब्द मिलते हैं।

संस्कृत का शब्द मां अंग्रेजी में मदर हो जाता है तो उर्दू में अम्मी हो जाता है। भाषाएं समाज को निकट लाती हैं, एक-दूसरे को सशक्त करती हैं। भारतीय भाषाओं का परस्पर ए- दूसरे से कैसे बैर हो सकता है, यह कोई भी भारतीय समझ नहीं पाता है। यदि वायु हिंदी में वायु है, तो बांग्ला में भी बायु है। वायु कहने से पूरे भारत में यह भाव जाता है कि यह अधिनियम भारत की ही आत्मा का शब्द है, इसमें जो भी प्रावधान होंगे वह भारत के अनुकूल होंगे।

यह भी हास्यास्पद है कि भाषाई आधार पर संविधान की बात करने वाले नेता अपने अनुसार ही संविधान का हवाला देते हैं। मगर संविधान के जो प्रावधान उनके अनुकूल नहीं हैं, उस पर वे बात नहीं करते हैं। संविधान की अपने अनुसार बात करना भारत के साथ छल है। भारत के नागरिकों के साथ छल है।

स्थानीय भाषाओं से प्रेम सभी को होना चाहिए और यही धर्म है, परंतु उसके आधार पर हिंदी से घृणा मात्र राजनीति है और कुछ नहीं। भाषा तो मां होती है, वही हमें जीवन का पाठ समझाती और सिखाती है, वही संस्कृति को पल्लवित और संरक्षित करती है, मगर वह अपने पल्लवित होने के कारण अपने ही परिवार की दूसरी भाषा से घृणा तो नहीं करती। जैसा “संस्कृतनिष्ठ” हिंदी के साथ लगातार होता आ रहा है।

भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष के आरोपों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि इन विधेयकों को एक तेलुगु भाषी नेता केंद्रीय विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हिंदी शीर्षकों के साथ विधेयक को प्रस्तुत करना संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार है और यह भी जोर दिया कि किसी भी भाषा के शीर्षक चुनने का अर्थ यह नहीं होता कि उस भाषा को थोपा जा रहा है।

उन्होंने विपक्ष पर औपनिवेशिक मानसिकता में रहने का आरोप लगाया। नायडू ने भी कहा कि अंग्रेजी से हिंदी में विधेयकों के नाम का उद्देश्य भारत की धरोहर और संस्कृति को दिखाना है। मगर भाषा की राजनीति करने वाले न ही उर्दू और न ही अंग्रेजी का विरोध करते हैं, हां संस्कृत और संस्कृतनिष्ठ हिंदी का विरोध उन्हें अपनी राजनीति के लिए फायदेमंद लगता है।

Topics: तृणमूल कांग्रेससमाजवादी पार्टीभारतीय भाषासंस्कृत-हिंदीभारतीय वायुयान विधेयक-2024
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

तृणमूल नेताओं के साथ मनोजित मिश्रा

लॉ छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म: तृणमूल छात्र परिषद से जुड़े हैं तीनों आरोपित, टीएमसी नेताओं के साथ मनोजित की तस्वीरें

पाकिस्तानी नागरिक ने कोलकाता में दो बार डाला वोट, फर्जी दस्तावेज से बनवाया वोटर कार्ड

ममता बनर्जी

पाकिस्तान के आतंकवाद की पोल खोलने में मदद नहीं करेगी ममता की तृणमूल कांग्रेस, ऑपरेशन सिंदूर की टीम से बनाई दूरी

बाबा साहब की आधी फोटो के साथ अखिलेश यादव का पोस्टर

फोटो विवाद में फंसे अखिलेश यादव, बाबा साहब की आधी फोटो पर फूटा बीजेपी का गुस्सा

Harsh Sanghavi calls kejriwal and akhilesh a lier

केजरीवाल और अखिलेश झूठे नेता हैं: हर्ष संघवी

समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर लगा शिलापट

मुरादाबाद:  सरकारी जमीन पर बना समाजवादी पार्टी का कार्यालय, 1994 में किया गया आवंटन, अब होगा निरस्त

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bihar Voter List Verification

बिहार में फर्जी वोटर्स का भंडाफोड़, चुनाव आयोग ने 35.69 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए

Supreme Court

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी पोस्ट नहीं कर सकते, SC ने कार्टूनिस्टोंं और स्टैंडअप कॉमेडियनों पर की सख्त टिप्पणी

प्रतीकात्मक तस्वीर

नाम बदलकर, टीका लगाकर और कलावा बांधकर हिंदू लड़कियों को फंसाने की चल रही साजिश, लव जिहादियों से सतर्क रहने की जरूरत

CM Yogi

29.6 लाख करोड़ की ओर बढ़ी यूपी की अर्थव्यवस्था, CM योगी आदित्यनाथ ने बताया आत्मनिर्भरता का मार्ग

ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए जाते रॉबर्ट वाड्रा (फाइल फोटो)

मनी लॉन्ड्रिंग: ED ने रॉबर्ट वाड्रा से की लंबी पूछताछ, हथियार बिचौलिये संजय भंडारी मामले में भेजा था समन

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने RSS और PM मोदी पर अपमानजनक कार्टून मामले में दिखाई सख्ती, कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय की जमानत खारिज

सरदार फौजा सिंह

Turban Tornado: विश्व के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन, 100 साल की उम्र में बनाए 8 रिकॉर्ड

क्या आप मेथी दाना खाने के ये फायदे जानते हैं?

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies