राहुल गांधी अब राम मंदिर के नाम पर हिन्‍दू समाज को बांटने की राजनीति पर उतर आए!
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

राहुल गांधी अब राम मंदिर के नाम पर हिन्‍दू समाज को बांटने की राजनीति पर उतर आए!

अयोध्‍या राम मंदिर को लेकर हाल ही में उनके दिए भाषण ने आज यह सोचने पर विवश कर दिया है कि राहुल गांधी यदि इसी तरह हिन्‍दू समाज में जाति आधारित, कार्य आधारित, वर्ण आधारित नफरत फैलाते रहे।

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Sep 29, 2024, 08:50 am IST
in विश्लेषण
Rahul Gandhi Ayodhya

राहुल गांधी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

राहुल गांधी इन दिनों जिस तरह के हिंदू समाज को बांटने का नैरेटिव गढ़ रहे हैं, कई बार उनकी बौद्धिक क्षमताओं पर हंसी आती है और अनेक प्रश्‍न भी खड़े होते हैं! क्या कोई ऐसा व्यक्ति लोकसभा में विपक्ष का नेता हो सकता है जिसे यह भी नहीं पता की भगवान के धाम में जब भक्त जाते हैं तो वह अपना अगला-पिछड़ा, ऊंचा-नीचा, जाति, भाषा, पंथ, अहंकार जैसे तमाम गुण-अवगुणों को छोड़कर सिर्फ एक भक्त के रूप में ही ईश्वर के समक्ष आराधना करने पहुंचते हैं । वहां ना कोई राजा होता है और नहीं कोई रंक, जो होते हैं, सिर्फ वह भगवान के भक्त होते हैं।

वस्‍तुत: अयोध्‍या राम मंदिर को लेकर हाल ही में उनके दिए भाषण ने आज यह सोचने पर विवश कर दिया है कि राहुल गांधी यदि इसी तरह हिन्‍दू समाज में जाति आधारित, कार्य आधारित, वर्ण आधारित नफरत फैलाते रहे और देश की भोली-भाली जनता में से यदि एक प्रतिशत भी भूल से राहुल गांधी की बातों को सच मान बैठी, तब भारत का वर्तमान और भविष्‍य कितना संकट में होगा! कहना होगा कि निश्‍चित ही तब देश अराजकता की तुरंत समाप्‍त नहीं होनेवाली अंधी सुरंग में चला जाएगा।

यहां पहले पूरे मामले को समझते हैं- अभी विधानसभा चुनाव का समय है, राहुल गांधी हरियाणा के हिसार में एक चुनावी रैली को सम्‍बोधित कर रहे होते हैं, यहां राहुल गांधी ने कहा, ‘‘अयोध्या में मंदिर खोला, वहां अडाणी दिखे, अंबानी दिखे, पूरा बॉलीवुड दिख गया, लेकिन एक भी गरीब किसान नहीं दिखा। सच है… इसलिए तो अवधेश ने इनको पटका है। अवधेश वहां के एमपी हैं। इसलिए तो वो जीता है। सबने देखा, आपने राम मंदिर खोला, सबसे पहले आपने राष्ट्रपति से कहा कि आप आदिवासी हो। आप अंदर आ ही नहीं सकती, अलाउ नहीं है। आपने किसी मजदूर, किसान, आदिवासी को देखा, कोई नहीं था वहां। डांस-गाना चल रहा है। प्रेस वाले हाय-हाय कर रहे हैं, सब देख रहे हैं।’’

अपने पूरे भाषण में राहुल ने क्‍या स्‍थापित करने का प्रयास किया? एक – यह कि उद्योगपतियों में बड़े उद्योगपति अडाणी-अंबानी राममंदिर स्‍थापना में मौजूद थे। दो- पूरा फिल्‍म जगत, बॉलीवुड मौजूद था। तीन- एक भी गरीब वहां राममंदिर की स्‍थापना में भाग लेने नहीं पहुंचा। चार- कोई किसान भगवान राम के दर्शन करने नहीं गया। पांच- देश की राष्ट्रपति जनजाति (आदिवासी) हैं, इसलिए उन्‍हें इस आयोजन में नहीं आने दिया गया । उनसे कहा गया कि आप अंदर आ ही नहीं सकती, आपका यहां आना अलाउ नहीं है। यानी कि आप राममंदिर स्‍थापना के लिए अछूत हैं। पांच – इस स्‍थापना समारोह में मजदूर, किसान, आदिवासी नहीं गए। छह- सिर्फ डांस-गाना चल रहा था । सात – मीडिया वहां हाय-हाय (चिल्‍ला) रही थी।

इसे भी पढ़ें: सोमनाथ में सरकार का मेगा डिमोलिशन ड्राईव, विधर्मियों ने सालों से गैरकानूनी तरीके से कर रखा था कब्जा

अब आप विचार करें, राहुल गांधी द्वारा यहां स्‍थापित किए जा रहे सात नैरेटिव में से कौन सी बात सच है? इस संबंध में आप कितना भी अध्‍ययन कर ले, अंतत: यही पाएंगे कि राहुल गांधी झूठ गढ़ रहे हैं। तत्‍कालीन समय में राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राम मंदिर अभिषेक समारोह का निमंत्रण दिया था। इसके बारे में बिना देरी किए जानकारी विश्‍व हिन्‍दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक्स पर एक पोस्ट के माध्‍यम से यह लिख कर दी “आज भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को 22 जनवरी को श्री राम मंदिर के अभिषेक समारोह के लिए आमंत्रित किया गया।” इसके साथ ही विहिप ने एक विज्ञप्ति के माध्‍यम से बताया भी था कि राष्ट्रपति ने निमंत्रण मिलने पर अत्यधिक प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि वह शीघ्र ही अयोध्या आने का समय तय करेंगी।

विश्‍व हिन्‍दू परिषद (विहिप) के कहे अनुसार इस कार्यक्रम के लिए 150 श्रेणियों के 7000 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें संत, राजनेता, व्यवसायी, खिलाड़ी, अभिनेता, कार सेवकों के परिवार आदि शामिल रहे। अब राष्‍ट्रपति उस कार्यक्रम में देश के अनेक लोगों, जिन्‍हें यहां कार्यक्रम में रहने के लिए आमंत्रण मिला था, उनकी अपनी अन्‍य व्‍यस्‍ताओं के कारण नहीं जा सकीं, जैसे ये सभी नहीं पहुंच पाए, तब इसका दोष क्‍या भाजपा का है? जैसा सभा में राहुल बोल रहे थे, किंतु राहुल गांधी यहां चुनावी रैली में मंच से जूठ फैला रहे हैं ! यह रिकार्ड में है और मीडिया के कई माध्‍यमों में यह मौजूद भी है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवार और मंदिर निर्माण में जुटे श्रमिकों तक को बतौर मेहमान कार्यक्रम में बुलाया था।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 के दिन सभी ने देखा भी कि देश भर के पांच लाख से अधिक मंदिरों में एक साथ भव्‍य आयोजन संपन्‍न हुए थे। इसी दिन शाम को घर-घर में दीपक भी जलाए गए। यह अपने आप में रिकार्ड है कि प्राणप्रतिष्‍ठा होने के 90 दिन के 2160 घंटे के दौरान एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु अयोध्‍या भगवान श्रीराम के मोहक दर्शन करने पहुंचे थे। यानी कि प्रतिदिवस एक लाख से अधिक भक्‍तगण राम लला के दर्शन कर रहे थे और यह सिलसिला कम-अधिक अब भी निरंतर है।

अब राहुल गांधी से पूछना चाहिए कि क्‍या ये भक्‍त जो अपने भगवान के दर्शन को अयोध्‍या इतनी बड़ी संख्‍या में आज भी पहुंच रहे हैं, वे क्‍या अपनी पहचान हाथ में लेकर घूमेंगे कि वे मजदूर हैं, श्रमिक हैं, देखो, देखो, हम रामलला के दर्शन करने आए है! अरे ऐ फैरी लगानेवाले, तिलक लगानेवाले, रिक्‍शा चलानेवाले भैया हम तो आ गए रामजी के दरबार में, जरा कोई राहुल जी को बता देना कि हम मजदूर हैं, हम किसान हैं, हम गरीब हैं, हम आदिवासी हैं और हम दलित हैं!

सच, इससे बड़ा जूठ कि कोई मजदूर वहां नहीं पहुंचा, ‘राहुल गांधी को प्राण-प्रतिष्ठा में कोई श्रमिक नजर नहीं आया! यदि राहुल सच बोल रहे हैं, तो फिर बात उठेगी कि श्रमिकों पर पुष्प वर्षा कौन कर रहा था? वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं थे, जो बहुत ही सम्‍मान के साथ हाथ जोड़ रहे थे और संपूर्ण मंदिर परिसर को बनानेवाले, उसे ठीक ढंग से रखनेवालों पर पुष्‍पवर्षा कर रहे थे । निश्‍चित ही यहां पर इस दिन श्रमिकों का अद्भुत सम्मान हुआ था।

इसे भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश: हमीरपुर में हिंदू संगठनों ने वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग को लेकर निकाली रैली

कुल मिलाकर राहुल के इस वक्‍तव्‍य को लेकर कहना यही होगा कि यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी ने हिन्दू धर्म और उसके प्रतीकों पर इस तरह की असत्‍य एवं अपमानजनक टिप्पणी की है। कांग्रेस का इतिहास कहता है कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताने का प्रयास इसी राहुल गांधी की पार्टी ने ही किया था । राममंदिर की समस्‍या की जड़ में कांग्रेस रही है। इसका समाधान तो 1947 में स्‍वाधीनता के साथ ही हो जाता, किंतु कांग्रेस ने तुष्‍टीकरण की राजनीति के चलते ऐसा नहीं होने दिया।

या यूं कहें कि देश में जितनी भी बड़ी समस्‍याएं आज दिखाई देती हैं, उन सभी में अधिकांश के पीछे यदि कोई है तो वह राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी ही है। यह आप जम्‍मू-कश्‍मीर की धारा 370, वक्‍फ बोर्ड कानून, देश में समान नागरिक संहिता न लाना, एक देश में दो कानून, इस्‍लाम के नाम पर शरिया कानून को मान्‍यता देना, देश के विभाजन के बाद जल नीति पर पाकिस्‍तान के सामने कमजोर पड़ जाना, अल्‍पसंख्‍यक की परिभाषा तय नहीं होने देना, जिसके चलते आज देश में 30 करोड़ की मुस्‍लिम आबादी होने के बाद भी वह अल्‍पसंख्‍यक होने का लाभ ले रही है। हिन्‍दू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण, शिक्षा में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के शिक्षण संस्‍थाओं को विशेष छूट का प्रावधान, नियम बनाकर के देना, फिर भले ही वे इस योग्‍य हों या नहीं जैसे अनेक निर्णयों को देखा जा सकता है।

इसे भी पढ़ें: तमिलनाडु: सनातन धर्म को खत्म करने की बात करने वाले उदयनिधि स्टालिन बने डिप्टी CM, BJP नेता ने कसा तंज

अंत में यही कि राहुल गांधी आज जो नैरेटिव गढ़ रहे हैं, वो नफरती है। वास्‍तव में उनके इस वक्‍तव्‍य की चहुंओर घोर निंदा होनी चाहिए। वस्‍तव में हिंदुओं ने भक्ति के इस क्षण को साकार होते देखने के लिए 500 वर्षों से भी अधिक लंबे समय तक कठोर तप, श्रम एवं संघर्ष किया गया है, कई पीढ़‍ियां खप गईं। अनेकों श्रीराम मंदिर स्‍थापना की कल्‍पना लिए इस संघर्ष में हुतात्‍मा हो गए। कई वर्षों तक प्रतिरोध, कानूनी लड़ाइयाँ और अनेक बार रक्तपात हो जाने के बाद ही यह सुखद अवसर हिन्‍दू समाज को देखने को मिला है । राहुल की इस तरह की टिप्पणी हिन्‍दुओं के दुख, बलिदान और धर्म के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता पर सीधा प्रहार है। यह देखकर आश्‍चर्य होता है कि राहुल गांधी जिस बहुसंख्‍यक हिन्‍दू समाज के वोटों से सत्‍ता हासिल करना चहते हैं, उसी का खुलकर अपमान करने का साहस वे अपने अंदर लाते कहां से हैं, क्‍या उन्‍हें ऐसा करते वक्‍त स्‍वयं से आत्‍म-ग्‍लानि नहीं होती!

Topics: Ayodhyaराहुल गांधीअयोध्याpoliticsRahul Gandhiराजनीतिहिन्दुओं को बांट रहे राहुल गांधीRahul Gandhi dividing Hindus
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जारी है ऑपरेशन सिंदूर, पूरा भारत एकजुट, सभी दल सरकार के साथ, बोले- जय हिंद, जय हिंद की सेना

उरी और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भी कांग्रेस नेता ने मांगे मोदी सरकार से सबूत

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

सावरकर यानी जय!

Pahalgam terror attack

परिवार समेत इस्लाम त्यागने की दी चेतावनी, पहलगाम हमले से दुखी बबलू खान, सनातन धर्म में आस्था

Supreme court Rahul Gandhi Veer Savarkar

राहुल गांधी को SC की फटकार, कहा- याद रहे वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी दिलाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बौखलाए पाकिस्तान ने दागी रियाशी इलाकों में मिसाइलें, भारत ने की नाकाम : जम्मू-पंजाब-गुजरात और राजस्थान में ब्लैकआउट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies