देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले की भिलंगना घाटी में खतलिंग महायात्रा इस वर्ष उसी प्रकार देवडोलियों और धर्मध्वजा युक्त देव प्रतीकों और निशान के साथ पूर्ण हुई, जिस प्रकार पहाड़ के गांधी हिमालय गौरव इंद्रमणि बडोनी जी ने अस्सी के दशक में इसे प्रारम्भ किया था। भृगु गंगा- भिलंगना नदी के तट और प्राचीन श्री रघुनाथ जी के मंदिर से ऊपर पावन सिद्धपीठ माँ बगुलामुखी धाम, बुगीलाधार में शनिवार,14 सितम्बर को प्रमुख आचार्यों- कथाव्यास आचार्य गिरिजानंद भट्ट ,आचार्य रवि सेमल्टी और भगवती जगदी के पुजारी श्री भागवत प्रसाद पैन्यूली द्वारा सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भव्य पूजा अर्चना के उपरान्त भिलंग के 22 गाँवों की इष्टदेवी भगवती जगदी की डोली और नागेन्द्र नगेला देवता शंख ध्वनि, ढोल दमाऊँ और मशकबीन की धुन पर अनेक देवी देवताओं के रंग बिरंगे प्रतीक और निशान के साथ खतलिंग महादेव दर्शन यात्रा समिति के नेतृत्व में सैकड़ों श्रद्धालु खतलिंग यात्रा के लिए आगे बढे। वास्तव में यकीन नहीं हो रहा था कि तीन हफ्ते पूर्व जिस भिलंगना घाटी में भीषण प्राकृतिक आपदा आई थी,भूस्खलन से सब तहस- नहस हो गया था और एक दिन पहले तक लगातार हो रही बारिश से सडकें टूट-फूट रही थीं, भेलुन्ता का पहाड़ दरक कर घुत्तू-घनसाली मोटर मार्ग को बाधित कर रहा था,आज मौसम इतना अनुकूल कैसे हो गया। कल तक बारिश और टूट-फूट से आशंकित लोग गंगी गाँव तक जाने को राजी नहीं थे और आज भगवती जगदम्बा के सान्निध्य में हर एक आयु वर्ग के सैकड़ों श्रद्धालु पांचवें धाम खतलिंग में भगवान् भोलेनाथ के दर्शनों के लिए इतने उत्साही और आत्मविश्वास से युक्त दिखाई दे रहे थे।
घुत्तू में स्थित श्री रघुनाथ जी के मंदिर में भगवती जगदम्बा का भृगु गंगा के पावन जल से अभिषेक किया गया और तिलक लगाकर सभी यात्री घुत्तू बाजार से आगे बढे। बाजार में अपनी दुकानों से बाहर निकलकर दुकानदार बंधु और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ उत्साहपूर्वक भगवती जगदी को ऐसे तिलक,अक्षत और साड़ी भेंट कर रहे थे मानों कुछ दिन पूर्व आई आपदा से अपनी रक्षा हेतु आभार प्रकट करने की होड़ लगी हो । इसके बाद सभी श्रद्धालु गाड़ियों द्वारा घुत्तू से लगभग 20 किमी. दूर महायात्रा के पहले पड़ाव अर्थात अंतिम सीमान्त गाँव गंगी के लिए निकल पड़े। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत अब अच्छी सड़क बन गई है इसलिए धीरे-धीरे सब लोग सायंकाल सहस्रताल की गोद में बसे गंगी गाँव पहुँच गए। गंगी गाँव के नीचे मुख्य सड़क में जब ढोल बाजणों के साथ भगवती जगदी की डोली भगवान सोमेश्वर के प्रांगण की ओर बढ़ी तो गंगी गाँव के पूर्व प्रधान श्री नयन सिंह राणा के नेतृत्व में युवा शिक्षकों सहित सभी ग्रामीण जनों ने भगवती जगदम्बा और भिलंग से पधारे अपनों का उत्साह और गर्मजोशी के साथ स्वागत किया । इसके बाद इष्टदेवता सोमेश्वर की डोली ने अपने सिद्धपीठ में भगवती जगदी का अभिनन्दन किया,देवडोलियों की परस्पर भेंट हुई और भक्तों को इस महायात्रा के लिए अपनी कृपादृष्टि और आशीर्वाद का भरोसा दिया । दोनों देवडोलियों ने आये हुए सभी श्रद्धालुओं और गंगी गाँव के सभी लोगों को भगवान सोमेश्वर के प्रांगण में बिठाकर सबकी रखवाली की और देवांस देकर आगे की यात्रा की स्थिति और योजना का आदेश दिया। भगवती जगदी,भगवान सोमेश्वर और नगेला देवता के औतारियों ने गंगी से आगे विरोद,खरसोली और खतलिंग धाम तक श्रद्धालुओं को सावधानी के साथ और पूरे भक्तिभाव से आगे की यात्रा का मार्गदर्शन किया।
भिलंग के विभिन्न गांवों से आये डेढ़ पौने दो सौ लोग और साथ ही देशभर से पधारे दर्जनों तीर्थयात्रियों और सैलानियों को रात्रि में भोजन और विश्राम की सुविधा हमेशा की तरह गंगी गांव के निवासियों की ओर से ही प्राप्त हुई।
अतिथि सत्कार गंगी गाँव का सनातन संस्कार है ,1984 में जब इन्द्रमणि बडोनी जी हजारों लोगों के साथ खतलिंग महायात्रा में आये थे, तब भी सबका सेवा सत्कार गाँव वालों ने स्वतः किया था । एक दशक से खतलिंग हिमालय जागरण यात्रा में दिल्ली-देहरादून से आया हमारा यात्री दल हो अथवा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात राज्यों के श्रद्धालु अथवा विभिन्न शिक्षण संस्थानों के ग्रुप जितनी भी बड़ी संख्या में हों उन्हें गंगी गाँव के आतिथ्य का ही सौभाग्य प्राप्त होता है। अगले दिन 15 सितम्बर को प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी श्रद्धालु शंख,घंटा एवं ढोल की ध्वनि सुनकर भगवान सोमेश्वर के मंदिर प्रांगण में एकत्रित हुए और यहाँ से देवडोलियों के पूजन अर्चन एवं सभी श्रद्धालुओं पर तिलक लगाकर यात्रा गंगी गाँव से आगे बिरोद मंदिर की ओर बढ़ी।
भिलंगना नदी के साथ-साथ यात्रा मार्ग आगे बढ़ रहा था ,तेज प्रवाह के साथ भृगु गंगा के कल-कल के स्वर के बीच पक्षियों का कलरव और बांज और खर्सू के पेड़ों की श्रृंखलाएं सामने भेल्बागी और पंवाली की ओर ऊपर से गिरते श्वेत वर्ण के मनोहारी झरने ,हर-हर महादेव,जय खतलिंग,जय जगदम्बे ,जय सोमेश्वर और नगेला देवता के जयकारे एक साथ अध्यात्म,रोमांच और साहस की जीवंत अनुभूति कराते हुए मानों जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर रहे थे। बारिश और भूस्खलन के कारण यात्रा मार्ग कई जगहों पर भिलंगना नदी के जल का स्पर्श कर रहा था,बुजुर्गों और दिल्ली चंडीगढ़ आदि जगहों से पधारे यात्रियों को कष्ट अनुभव हो रहा होगा ,लेकिन इस सकारात्मक और उत्साहपूर्ण वातावरण में उनके चेहरे पर भी पूर्ण आत्मविश्वास झलक रहा था। खतलिंग महादेव दर्शन समिति के अध्यक्ष केदार सिंह बर्तवाल,सचिव शिव सिंह राणा और कोषाध्यक्ष केदार सिंह रौथान के साथ 5,7 लोग मस्तक नवाने ऊपर खड़ी चढ़ाई पर स्थित भगवती रुद्रा के बिरोद मंदिर में गए और देवडोलियों के साथ सभी भक्त पहले पड़ाव के लिए खरसोली पहुंचे,जहां भगवती जगदंबा का मंदिर जीर्ण -शीर्ण स्थिति में मौजूद है लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा दशकों पहले बनाई गई धर्मशाला मटियामेट हो चुकी है। भगवान भरोसे खरसोली में नदी के ही साथ थोड़े समतल स्थान पर भक्तों ने डेरा लगाया और अपने इष्टदेवों की छाया में हिंसक पशुओं और बारिश आदि की परवाह न कर सब प्रकार के भय और द्वंद्व से मुक्त होकर भगवद भक्ति के साथ कीर्तन भजन करते हुए रात्रि जागरण किया।
खरसोली में मां महालक्ष्मी के दर्शन कर ताम्र कुंड और आछरीगढ़ की वन देवियों का आशीर्वाद लेकर भक्तजन खरसोली से भगवान भोलेशंकर के सिद्ध धाम खतलिंग के लिए आगे बढ़े। पहले की तुलना में मार्ग कठिन था,किंतु दिव्य शक्तियों के आशीर्वाद से सभी श्रद्धालु संक्रांति के दिन 16 सितंबर को सुरसुता नदी,दूध गंगा और भृगु गंगा के उद्गम स्थल पावन शिवलिंग के पास खतलिंग धाम पहुंच गए। आशुतोष भगवान खतलिंग महादेव की दिव्य शिला/ ज्योर्तिलिंग विद्यमान था और इसके आस-पास छोटे-छोटे दिव्य सरोवर शिवत्व और मनमुदित करने वाले प्रतीत हुए। इस ज्योतिर्लिंग के ऊपर एक छोटा सा सरोवर है जिसका जल इस लिंग के नीचे से होकर गुजरता है। भगवान नागराज नागेंद्र नगेला देवता ने इस चमत्कारी लिंग के सुरसुता नदी,दूध गंगा और भिलंगना के उद्गम खतलिंग में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन 05 मई 2024 को भगवान नागराज नागेंद्र नगेला के धामी श्री सुरेंद्र सिंह रावत,श्री शिव सिंह राणा,श्री केदार सिंह रौथाण,श्री केदार सिंह गुसाईं,श्री जितेंद्र सिंह रावत, श्री रघुवीर सिंह कंडारी, श्री लक्ष्मण सिंह रावत, श्री दयाल सिंह कैंतुरा और श्री विजेंद्र सिंह रावत को करवाए थे और भिलंगना घाटी के समस्त निवासियों से खतलिंग धाम में पावन दिव्य शिवलिंग को स्थापित करने का आदेश दिया था। इसके उपरान्त पावन धाम खतलिंग में जहां पर दिव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है वहां पर 15 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा एक चबूतरा तैयार किया गया था,यहीं पर भगवान खतलिंग महादेव के इस दिव्य और चमत्कारी लिंग की स्थापना हेतु यहां कथाव्यास गिरिजानंद भट्ट और आचार्य रवि सेमल्टी ने मुख्य यजमानों के साथ पूजा अर्चना प्रारंभ की। खतलिंग दर्शन अभियान दल के 11 सदस्यों को “खतलिंग महादेव” के दिव्य ज्योतिर्लिंग के साथ भगवान शिव,भगवती जगदंबा और नागेंद्र नगेला देवता के लिए भेंट स्वरूप सवा 08 फीट लम्बा कांसा/पीतल का त्रिशूल और डमरू, अष्ट धातु से निर्मित सवा 03 फीट लंबी माँ भगवती दुर्गा देवी का खड्ग और दुधिया तांबे का सवा 09 फ़ीट लम्बा सात फन युक्त शेषनाग,खतलिंग धाम में वेदोक्त पद्धति और शास्त्रोक्त रीति से स्थापित एवं प्रतिष्ठित किये गए । भिलंगना घाटी के युवाओं के सारथी संगठन के सचिव श्री शंकर राणा ने खतलिंग महायात्रा के प्रवर्तक इन्द्रमणि बडोनी जी का चित्र भी यहां देव प्रतीकों के साथ रखा।
दूसरी ओर शेष सभी श्रद्धालुओं के लिए भिलंगना नदी के दूसरी ओर सेमली नामक स्थल,जहां गंगी गांव वालों का भेड़ चुंगान का स्थल है,वहां टेंट आदि लगाकर डेरा लगाया गया। दोनों ही ओर श्रद्धालु प्रभु भक्ति और कीर्तन भजन में मग्न थे। एक ओर भगवती जगदी,सोमेश्वर महाराज और विभिन्न देवी देवताओं की उपस्थिति में ज्योतिर्लिंग की पूजा प्रतिष्ठा हो रही थी तो दूसरी ओर सेमली में लगे शिविर में श्रद्धालु पूरी रात शिवमय और शक्तिमय होकर अर्चन वंदन और भजन कीर्तन में तल्लीन रहे। अगली प्रातः नागेंद्र नगेला देवता के आदेश पर भिलंगना नदी पर गंगी गांव वालों द्वारा बनाए गए लकड़ी के पुल से एक- एक व्यक्ति को भिलंगना नदी पार करवाकर दूध गंगा की ओर खतलिंग स्थित आशुतोष भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करवाए गए । जहां उपस्थित आचार्यों ने सभी श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर और आचमन करवाकर दिव्य ज्योतिर्लिंग को जलाभिषेक करवाया। प्रातःकाल की इस पावन बेला में दिव्य खतलिंग के लालिमायुक्त बर्फीले पहाड़ से आती सूर्य की किरणें दिव्यता की अनुभूति करवा रही थीं। शिव आराधना के साथ त्रिशूल,डमरू,भगवती दुर्गा के खड्ग आदि की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हवन संपन्न हुआ। इसके उपरांत श्रद्धालुओं के मध्य कई देवी देवता प्रकट हुए,भगवती जगदी ने ब्रह्मकमल के पुष्पों की कंडी ग्रहण की और यहां उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को इस महायात्रा का जस और सुफल दिया।
भगवान खतलिंग महादेव का चरणामृत और नैवेद्य प्रसाद आदि लेकर सभी भक्त अत्यंत हर्षित,आनंदित और गर्वित थे। इस महायात्रा में सम्मिलित होकर अपने जीवन को धन्य मानते हुए और सभी मनोरथ सिद्ध मानकर सभी श्रद्धालु देवडोलियों के साथ 17 सितम्बर की दोपहर खतलिंग धाम के जयकारे के साथ वापस खरसोली की ओर लौट गए। शाम 7 बजे खरसोली पहुँचते ही हलकी-हलकी बूंदाबांदी शुरू हुई जो मानों सबकी मंगलमय यात्रा की सफलता का प्रमाण दे रही थी,लेकिन धीरे-धीरे बारिश तेज हुई और पूरी रात ही नहीं सुबह 6.30 बजे तक भारी बरसात हुई । खतलिंग महादेव दर्शन यात्रा समिति की ओर से और लोगों की ओर से अपने स्तर पर भी अच्छे टेंट आदि की व्यवस्था होने के कारण रात्रि भर जागरण भले हुआ हो लेकिन कोई परेशान नहीं रहा। अगले दिन 18 सितम्बर को सुबह 8.15 बजे भगवती जगदी की डोली के साथ खरसोली से चलकर सभी श्रद्धालु दोपहर बाद 3 बजे गंगी गाँव में सोमेश्वर देवता के मंदिर प्रांगण में पहुंचे,सभी देवताओं ने भक्तों की सफल यात्रा पर ख़ुशी जताकर आशीष दिया,भगवान सोमेश्वर ने भगवती जगदम्बा और सभी देवताओं को विदा किया। और चाय आदि पीकर सभी श्रद्धालु गंगी से घुत्तू के लिए निकल पड़े । सायंकाल में घुत्तू स्थित श्री रघुनाथ मंदिर में ब्रह्मकमल अर्पण और परिक्रमा के बाद भगवती जगदी के साथ श्रद्धालु बगुलामुखी सिद्धपीठ,बुगीलाधार होते हुए अपने-अपने घर की ओर चल पड़े। खतलिंग धाम की यह महायात्रा कुल मिलाकर सब दृष्टि से दिव्य और भव्य सिद्ध हुई। कहा जा सकता है कि दूरदर्शी नेता स्वर्गीय इन्द्रमणि बडोनी ने अपनी कर्मभूमि भिलंगना घाटी के अंतिम जनजातीय गाँव गंगी के विकास और सामरिक दृष्टि से संवेदनशील खतलिंग हिमालय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चार दशक पूर्व जिस पांचवें धाम खतलिंग की कल्पना की थी उसे इस वर्ष खतलिंग धाम में आशुतोष भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भिलंगना की श्रद्धावान मातृशक्ति और सक्रिय युवाशक्ति ने साकार करने का कार्य किया है। इस प्रकार खतलिंग हिमालय जागरण महायात्रा अध्यात्म,धर्म,संस्कृति,सामरिक सुरक्षा,पर्यावरण चेतना और जनजागरण का व्यापक अभियान सिद्ध होगी,ऐसा पूर्ण विश्वास है ।
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