नई दिल्ली| तिरुपति मंदिर के ‘लड्डू’ में ‘जानवरों की चर्बी’ की रिपोर्ट सामने आने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने सोमवार को एक शुद्धिकरण अनुष्ठान का आयोजन किया। इस अनुष्ठान को ‘शांति होमम’ कहा जाता है और इसे लड्डू बनाने वाले रसोईघरों में किया गया।
अनुष्ठान से मंदिर की शुद्धता की बहाल
तिरुपति के प्रमुख पुजारी कृष्णा सेशाचला दीक्षितुलु ने बताया कि राज्य सरकार ने मंदिर के स्थानों को शुद्ध करने के लिए एक प्रस्ताव दिया। हमने प्रबंधन के साथ मिलकर शांति होमम करने का निर्णय लिया।” मंदिर आठ के पुजारियों और तीन आगम शास्त्र सलाहकारों के द्वारा शुद्धिकरण अनुष्ठान का आयोजन किया। यह अनुष्ठान सुबह 6:00 बजे शुरू हुआ और 10 बजे तक चला। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव और अन्य बोर्ड अधिकारी भी इस शुद्धिकरण अनुष्ठान में शामिल हुए। इसका उद्देश्य मंदिर को फिर से पवित्र करना था।
अनुष्ठान के बाद पुजारी ने घोषणा की कि “अब सब कुछ शुद्ध हो गया है” और सभी भक्तों से मंदिर आने और लड्डू लेने की अपील की। तिरुपति लड्डू जिसे ‘श्रीवारी लड्डू’ भी कहा जाता है, पिछले 300 वर्षों से मंदिर का मुख्य भोग है।
विवाद की पृष्ठभूमि
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछले सरकार के दौरान लड्डू बनाने में अशुद्ध सामग्री का उपयोग किया गया। जिसके बाद गूजरात स्थित एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में प्रसाद में बीफ टैलो, सुअर की चर्बी और मछली का तेल पाया गया। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके शासन में ऐसा कोई उल्लंघन नहीं हुआ।
विवाद के बाद घी सप्लाई करने वाली कंपनी को बैन कर दिया गया। इस विवाद ने न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित किया है बल्कि राजनीतिक हलचल भी मचा दी है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ पैनल गठित किया गया है।
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