गुलमर्ग । गुलमर्ग की एक पहाड़ी पर स्थित 106 साल पुराना शिव मंदिर बुधवार को आग की चपेट में आकर पूरी तरह से जल गया। पुलिस और स्थानीय निवासियों ने मिलकर इस मंदिर की आग को बुझाने की पूरी कोशिश की, बावजूद इसके वह इस ऐतिहासिक मंदिर को बचाने में असफल रहे।
घटना का विवरण
बुधवार के दिन सुबह लगभग 11 बजे कुछ स्थानीय लोगों ने मंदिर से धुआं निकलता देखा। इसके बाद देखते ही देखते आग ने पूरे मंदिर को अपनी चपेट में ले लिया। लकड़ी और पुरानी सामग्री से निर्मित इस मंदिर में आग बहुत तेजी से फ़ैल गई। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और मिलकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग की तीव्रता के आगे उनके सारे प्रयास नाकाम रहे।
क्या है मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
इस मंदिर का निर्माण 1918 में किया गया था और यह गुलमर्ग की एक महत्वपूर्ण धरोहर माना जाता था। यह मंदिर अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र था। मंदिर की खूबसूरती और ऐतिहासिकता का प्रमाण कई बॉलीवुड फिल्मों में इसके चित्रण से भी मिलता है। अभिनेता राजेश खन्ना की फिल्म ‘आप की कसम’ का मशहूर गाना ‘जय जय शिव शंकर’ यहीं फिल्माया गया था। इसके अलावा भी कई फिल्मों में इस मंदिर को दिखाया गया है, जिससे यह न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण था।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
मंदिर के जलने की खबर से स्थानीय लोग सदमे में हैं। गुलमर्ग के एक निवासी ने कहा, “यह हमारे लिए बहुत बड़ा नुकसान है। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि हमारी पहचान का हिस्सा था।”
घटना की जांच के आदेश
स्थानीय प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए एक टीम गठित की गई है। प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है, लेकिन विस्तृत जांच के बाद ही सही कारणों का पता चल सकेगा।
जल्द होगा मंदिर का पुनर्निर्माण
इस दुखद घटना के बाद, स्थानीय समुदाय और प्रशासन ने मिलकर मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया है। गुलमर्ग के तहसीलदार रमेश शर्मा ने कहा, “यह हमारी धरोहर का हिस्सा है और हम इसे पुनः स्थापित करने का हर संभव प्रयास करेंगे।”
बता दें कि गुलमर्ग का यह 106 साल पुराना मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल था, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी था। इसके जलने से हुई क्षति को कोई भी माप नहीं सकता, लेकिन स्थानीय लोगों और प्रशासन के प्रयासों से उम्मीद की जा सकती है कि इस धरोहर को फिर से स्थापित किया जाएगा।
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