गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे केरल में दिल्ली जैसा एक शराब घोटाला सामने आया है। ‘अनुकूल’ शराब नीति बनाने के लिए राज्य के प्रत्येक बार मालिक से 2.50 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। बीते दिनों मलयालम टीवी चैनलों ने इससे संबंधित एक आडियो संदेश प्रसारित किया था। इसके बाद 24 मई से यह आडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा और राज्य की राजनीति गरमा गई। भाजपा और यूडीएफ ने सत्तारूढ़ माकपा सरकार से आबकारी और पर्यटन मंत्रियों के इस्तीफे के साथ घोटाले की जांच कराने की मांग की है। सरकार को डर है कि जून में विधानसभा में विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है।
वायरल आडियो संदेश इडुक्की जिला अध्यक्ष और फेडरेशन आफ केरल होटल एसोसिएशन के राज्य उपाध्यक्ष अनिमोन का है। इसमें अनिमोन सभी बार-होटल मालिकों से प्रत्येक माह के पहले दिन ‘ड्राई डे’ खत्म करने, अधिकारियों को ‘प्रभावित’ करने तथा ‘काम के घंटे’ बढ़ाने वाले ‘अनुकूल’ शराब नीति 2024-25 बनाने के लिए प्रति बार-होटल मालिक से 2.5 लाख रुपये घूस मांग रहे हैं। साथ ही, धमकी भरे लहजे में कहते हैं, ‘‘हाल ही में आम सभा की बैठक में ये निर्णय लिए गए थे। सदस्योें (बार-होटल मालिकों) को वह देने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो आवश्यक है। अभी तक पूरे राज्य से आवश्यक धनराशि का मात्र एक तिहाई ही मिला है। यह राशि दिए बिना कोई भी मदद नहीं करेगा। सहयोग नहीं करने वालों को बहुत परेशानी हो सकती है।’’
विपक्ष का हमला
इस बीच, 23 मई को हुई बैठक में मौजूद कुछ बार मालिकों ने पुष्टि की है कि आडियो में आवाज एनिमोन की ही है। केरल में 801 बार हैं। केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन कहते हैं कि बार मालिकों के खुलासे से साबित होता है कि शराब नीति में मनमाने बदलाव के लिए घूस मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि आडियो से पता चलता है कि अभी तक करोड़ों रुपये वसूले जा चुके हैं। यह पैसा कहां गया, इसकी जांच होनी चाहिए। क्या नीतिगत मामले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की जानकारी के बिना लिए जा रहे हैं? मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि क्या बार मालिकों को घूस देने के लिए कहा गया है? यदि रिश्वत ली गई है, तो यह मुख्यमंत्री की जानकारी में होना चाहिए।
केरल सरकार की मातहत एजेंसियां सच उजागर नहीं कर सकतीं, इसलिए केंद्रीय एजेंसी से पूरे प्रकरण की जांच कराई जानी चाहिए। आबकारी मंत्री एमबी राजेश को इस्तीफा देना चाहिए। एलडीएफ ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के शासनकाल में केएम मणि पर घोटाले का आरोप लगाया था, लेकिन उसे अपने घटक दल में शामिल कर लिया। मुरलीधरन ने कहा कि यह प्रदेश का दूसरा शराब घोटाला है, जो यह साबित करता है कि भ्रष्टाचार के मामले में सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ, दोनों में कोई अंतर नहीं है।
दूसरी ओर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन का कहना है कि यह घोटाला दिल्ली शराब घोटाले जैसा है, इसलिए पिनराई विजयन का हश्र भी अरविंद केजरीवाल जैसा होगा। बार ओनर्स एसोसिएशन के नेता द्वारा घूस मांगना एलडीएफ सरकार के असली चेहरे को उजागर करता है। एलडीएफ शराब की दुकानें बंद करने का वादा करके सत्ता में आया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद उसने बंद बार भी खोल दिए। यूडीएफ संयोजक एवं कांग्रेस नेता एमएम हसन ने भी आबकारी मंत्री के इस्तीफे और घोटाले की जांच कराने की मांग की है।
दूसरा शराब घोटाला
इसे केरल का दूसरा शराब घोटाला बताया जा रहा है। पहला शराब घोटाला यूडीएफ के शासन के दौरान 2019 में हुआ था। उस समय ओमन चांडी सरकार में केएम मणि राजस्व मंत्री थे। विपक्षी एलडीएफ ने मणि पर शराब नीति में बदलाव के लिए बार मालिकों से एक करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाया था। साथ ही, कहा था कि मणि के घर पर पैसे गिनने की मशीन है। यही नहीं, एलडीएफ विधायकों ने उन्हें वार्षिक बजट भी पेश नहीं करने दिया था और विधानसभा में फर्नीचर और कम्प्यूटर आदि तोड़-फोड़ दिए थे। हंगामा कर रहे विधायकों ने महिला विधायकों पर भी हमला किया था। इसके बाद मणि को इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन मणि के नेतृत्व वाली उसी केरल कांग्रेस को एलडीएफ ने एक घटक के रूप में स्वीकार कर लिया। अब, एलडीएफ शराब घोटाले को लेकर निशाने पर है।
नए घोटाले ने माकपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एलडीएफ को हिलाकर रख दिया है। हालांकि आबकारी मंत्री एमबी राजेश का कहना है कि सरकार ने शराब नीति में कहे जा रहे बदलावों पर प्रारंभिक चर्चा भी शुरू नहीं की है। लेकिन बाद में पता चला कि पर्यटन निदेशक की अध्यक्षता में 22 मई को एक जूम बैठक हुई थी, जिसमें संगठनों के प्रतिनिधियों और बार मालिकों सहित 18 लोगों ने भाग लिया था। पर्यटन विभाग के विपणन अनुभाग के उपनिदेशक ने बैठक के लिए सभी को बाकायदा लिंक और पासवर्ड भेजे थे। इसमें भी कहा गया था कि बैठक में शराब नीति पर चर्चा होगी।
बैठक में फेडरेशन आफ केरल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष वी. सुनील कुमार भी मौजूद थे। इससे भी साबित होता है कि बैठक शराब नीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। दिलचस्प बात यह है कि आबकारी और पर्यटन विभाग के मंत्रियों ने अधिकारियों द्वारा बुलाई गई बैठक को लेकर अनभिज्ञता जताई है। चूंकि सरकार की काफी छीछालेदर हो रही है, इसलिए बहुत संभव है कि वामपंथी सरकार ‘ड्राई डे’ खत्म करने, काम के घंटे बढ़ाने और आईटी पार्कों में बार खोलने का विचार त्याग दे, पर यथास्थिति जारी रखेगी।
केंद्र से राहत पैकेज
राज्य की आर्थिक स्थिति बदहाल है। आर्थिक संकट के कारण सरकार बीते कुछ माह से कर्मचारियों को वेतन और पेंशन भी नहीं दे पा रही है। लेकिन राज्यपाल, केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के विरुद्ध मुकदमों पर पानी की तरह पैसा बहा रही है। आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से आर्थिक सहायता मांगी थी। केंद्र कुछ शर्तों पर उसे 5,000 करोड़ रुपये देने को तैयार भी था, लेकिन केरल सरकार को शर्तें मंजूर नहीं थीं। इसके बाद वह सर्वोच्च न्यायालय चली गई और कर्ज पर छूट के लिए निर्देश देने की मांग की। साथ ही, कहा कि उसे कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई भी निर्देश देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। अब केंद्र ने राज्य की खस्ता हालत को देखते हुए मदद का हाथ बढ़ाया है और उसे 21,253 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, केरल को आर्थिक संकट से निकालने के लिए केंद्र सरकार दिसंबर 2024 तक 21,253 करोड़ रुपये उधार देगी। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से इस राशि का उपयोग सही तरीके से और बिना किसी भ्रष्टाचचार के लोगों की भलाई में लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस राशि से अपने कर्मचारियों, खासकर केएसआरटीसी के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन दे, क्योंकि वे कई महीने से परेशान हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हाल ही में केरल के वित्त मंत्री केएन बालागोपाल ने केंद्र सरकार पर दक्षिण के राज्यों की निधि में कटौती करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा एकत्र की जाने वाली निधि में 11 गुना वृद्धि हुई है, किंतु केरल को मात्र 8.8 गुना कर राजस्व ही मिलता है।’’ यही नहीं, मंत्री ने केंद्र सरकार पर निधि जारी करने में देरी करने का आरोप भी लगाया था।
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