सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) देश में लागू हो चुका है। बावजूद इसके मुस्लिम संगठनों समेत विपक्ष इस पर लगातार राजनीति कर रहा है। सीएए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2019 से अब तक 200 से भी अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। इस मामले में सबसे पहली याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने ये कानून संसद में पारित होने के अगले ही दिन की थी। उसके बाद कई राजनीतिक दलों ने भी इसके खिलाफ याचिकाएं दायर किए हैं।
इससे पहले सीएए को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि हम इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे। 190 से अधिक मामले हैं। उन सभी की सुनवाई की जाएगी। हम पूरा बैच लगाएंगे। इन याचिकाओं में मुस्लिमों को भी नागरिकता देने वाला अस्थायी प्रावधान शामिल करने की मांग भी की गई है।
कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता
सीएए कानून के खिलाफ याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि ये कानून धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। याचिकाकर्ताओं ने इसे अनुच्छेद 14 के तहत ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन बताया है। याचिकाकर्ताओं में केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, एनजीओ रिहाई मंच और सिटीजन्स अगेंस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, वामपंथी डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समेत कई अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं।
क्या हैं प्रावधान
गौरतलब है कि भारत सरकार ने साल 2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने को लेकर इस कानून को बनाया था। इसके तहत इन देशों से आने वाले सिख, ईसाई, पारसी, जैन और हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जानी है। हालांकि, वामपंथी और मुस्लिम इसे पक्षपात बता रहे हैं।
कांग्रेस समेत सीएए विरोधी याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को लागू करने की टाइमिंग पर भी सवाल खड़ा किया है। इनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर इसे लोकसभा चुनाव से पहले लागू कर रही है।
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