पछुवा देहरादून में मुस्लिम रहनुमा करवा रहे अवैध कब्जे, MMDA ने बुल्डोजर चला ध्वस्त की राशिद की अवैध प्लाटिंग
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पछुवा देहरादून में मुस्लिम रहनुमा करवा रहे अवैध कब्जे, MMDA ने बुल्डोजर चला ध्वस्त की राशिद की अवैध प्लाटिंग

राशिद नाम का व्यक्ति पश्चिम उत्तर प्रदेश, बिहार, असम आदि के मुस्लिमों को यहां लाकर अवैध रूप से बसाने का काम करता रहा है। ये वही राशिद पहलवान है जिस पर शिव भक्त कांवड़ियों पर पत्थर फेंकने का आरोप है और उस पर पुलिस ने गैंगस्टर लगाई थी।

by दिनेश मानसेरा
Mar 9, 2024, 11:24 am IST
in उत्तराखंड
Pachhua Dehradun encroachment MMDA Action

पछुवा देहरादून में अवैध अतिक्रमण पर चला प्रशासन का बुल्डोजर

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देहरादून: दो दिन पहले एमडीडीए के बुल्डोजरों ने सहसपुर क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग कर बसाई जा रही अवैध कॉलोनी को ध्वस्त कर दिया। ये प्लाटिंग राशिद नाम के व्यक्ति द्वारा की जा रही थी, जिसके बारे में कहा जाता रहा है कि उसने पश्चिम उत्तर प्रदेश, बिहार, असम आदि के मुस्लिमों को यहां लाकर अवैध रूप से बसाया और अब वो यहां मुस्लिम सेवा संगठन के जरिए अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि को तैयार कर रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, ये वही राशिद पहलवान है जिस पर शिव भक्त कांवड़ियों पर पत्थर फेंकने का आरोप है और उस पर पुलिस ने गैंगस्टर लगाई थी। राशिद और अनीस अहमद मिलकर पछुवा देहरादून की सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द करने में लगे हुए हैं। एमडीडीए ने जो कार्रवाई की वो सहसपुर के सभावाला के 40 बीघा अवैध कब्जे पर की है। यहां कभी आम का बाग था उसे उजाड़ दिया गया। यहां राशिद पहलवान अवैध रूप से प्लाट बनाकर बेच रहा था, एमडीडीए सूत्रों के मुताबिक, इस भूमि तक जो रास्ता बनाया जा रहा था वो सहसपुर के ग्राम प्रधान अनीस अहमद की अवैध प्लाटिंग के आगे से जा रहा था, इस मार्ग को भी एमडीडीए ने ध्वस्त कर दिया है।अनीस अहमद के जन्म और शिक्षा दस्तावेजों को लेकर भी मामला चल रहा है।

बताया जाता है कि अनीस उत्तराखंड का मूल निवासी नही है। उस पर भी मुस्लिमों को अवैध रूप से अपने क्षेत्र में बसाने और उनके उत्तराखंड संबंधी दस्तावेज बनाए जाने का आरोप लगता रहा है। बरहाल पछुवा देहरादून में एमडीडीए की कारवाई अभी रत्ती भर है, यदि यहां जिला प्रशासन एमडीडीए वन विभाग के साथ मिलकर संयुक्त आपरेशन चलाए तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे और इन्हें राजनीतिक संरक्षण देने वाले भी सामने आने लगेंगे।

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पछुवा देहरादून में जनसंख्या असंतुलन

हिमाचल और यूपी सीमा के बीच बसा हुआ पश्चिम देहरादून जिले का क्षेत्र जिसे ‘पछुवा दून’ भी कहते है। यहां डेमोग्राफी चेंज की समस्या उत्तराखंड सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। यूपी से आए मुस्लिम यहां की सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बसावट करते जा रहे हैं। ग्राम सभा की जमीनों पर मुस्लिम आबादी को बसाने में स्थानीय मुस्लिम ग्राम प्रधानों, प्रधान पतियों की भूमिका सामने आई है।

बाहर से आई मुस्लिम आबादी ने पछुवा दून की नदी, नहरों के किनारे, वन विभाग की जमीनों पर अवैध रूप से कच्चे पक्के मकान खड़े कर लिए हैं और अब इनके आधार कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम दर्ज किए जा रहे हैं और इनमें ग्राम प्रधानों और जिला पंचायत सदस्यों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

हिन्दू बाहुल्य रहे गांवों में मुस्लिम सबसे अधिक

पछुवा देहरादून के गांव के गांव जो कभी हिन्दू बाहुल्य हुआ करते थे वो अब मुस्लिम बाहुल्य हो गए है। आबादी की घुसपैठ का ये खेल हरीश रावत कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुआ जो अब तक बराबर चल रहा है। इन ग्रामों में मुस्लिम प्रधानों की हुकूमत चल रही है जो कभी भी मूल रूप से उत्तराखंड के निवासी थे ही नहीं। यूपी, बिहार, असम, बंगाल, यहां तक कि बंग्लादेशी, म्यामार के रोहिंग्या मुस्लिम आबादी यहां पछुवा दून में आकर कैसे बसती चली गई? ये बड़ा सवाल है।

देहरादून जिले में प्रेम नगर से हिमांचल के पोंटा साहिब तक जाने वाली शिमला बाई पास, चकराता रोड के आसपास के इलाकों में देवभूमि उत्तराखंड का सामाजिक, आर्थिक धार्मिक स्वरूप बिगड़ चुका है। मुख्य मार्गों पर फड़ खोको के कब्जे हैं। उनके पीछे अवैध रूप से आबादी बस चुकी हैं। सरकारी जमीनों पर सौ से ज्यादा मस्जिदों मदरसों की ऊंची मीनारें दिखाई देती हैं। आखिर ऐसा कैसे हुआ कि पिछले कुछ सालों में ये इलाका एक दम बदल गया और यहां हिन्दू अल्पसंख्यक होते चले गया और मुस्लिम आबादी ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया।

क्या लचर भू-कानून की वजह से ऐसा हुआ ?

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड यूपी की सीमा वाला ये क्षेत्र हिमाचल से लगता है, हिमाचल ने सख्त भू कानून की वजह से कोई भी बाहरी व्यक्ति वहां जमीन नहीं खरीद सकता और न ही कब्जे कर सकता है। मुस्लिम आबादी वहां बाग बगीचे में कारोबार करने जाती है और अस्थाई रूप से रहती है और वापिस चली जाती है। किंतु उत्तराखंड में ऐसा नहीं है जिसका फायदा उठाते हुए बाहरी राज्यों के मुस्लिमों ने इस क्षेत्र में अपनी अवैध बसावट कर ली और जहां मौका मिला वहां जमीनों पर कब्जे कर लिए।

पहले कुछ मुस्लिम यहां हिन्दू बाहुल्य गांवों में आकर बसे धीरे-धीरे वो अपने साथ अपने रिश्तेदारों को लाकर बसाने लगे फिर वो धन बल और वोट बैंक के बलबूते ग्राम प्रधान बनते चले गए और उन्होंने ग्राम सभा की सरकारी जमीनों पर अपने और मुस्लिम रिश्तेदारों को लाकर बसाना शुरू कर दिया ताकि उनका वोट बैंक और मजबूत होता जाए, यहीं मस्जिदें बनी और मदरसे खुलते चले गए। यानि सरकारी जमीनों को कब्जाने का षड्यंत्र रचा गया जो आज भी जारी है।

अवैध कब्जे करने का खेल सरकार की सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग की जमीनों पर भी धन बल और वोट बैंक की राजनीति के दमखम पर आज भी चल रहा है और इसमें सत्ता पक्ष-विपक्ष के नेताओ का संरक्षण भी मिलता रहा है। राजनीतिक संरक्षण के पीछे बड़ी वजह यहां की नदियों में चल रहा वैध-अवैध खनन है, जहां हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है जो कि यहां के राजनीति से जुड़े नेताओ को धन बल की आपूर्ति करते है।

उत्तराखंड सरकार या शासन ग्राम सभाओं की जमीनो की जिस दिन गंभीरता से जांच करवा लेगी तो उसे मालूम चल जाएगा कि उसकी ग्राम सभाओं की जमीन आखिर कहां चली गई? ढकरानी में शक्ति नहर किनारे अवैध कब्जे हुए, धामी सरकार ने तीन चरणों में ये अतिक्रमण भी ध्वस्त किए और इसमें कई धार्मिक स्थल भी हटाएं। उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने अपनी जमीन उन्हें तारबाड़ से सुरक्षित नहीं की, अब यहां उत्तराखंड सरकार को सोलर प्रोजेक्ट लगाने हैं तो देहरादून जिला प्रशासन का बुल्डोजर गरजने लगा, यहां एक हजार से ज्यादा मकान ध्वस्त किए। लेकिन यहां रहने वाली आबादी उत्तराखंड छोड़ कर नहीं गई वो आसपास ही मुस्लिम नेताओं के संरक्षण में फिर से अवैध कब्जे कर रही है और इस बार वो पीडब्ल्यूडी, वन विभाग की जमीनों पर बस रही है।

इसी तरह सहसपुर, जीवन गढ़, तिमली, हसनपुर कल्याणपुर, केदाखाला, सरबा, सभावाला आदि ग्रामों की हालत है, जहां ग्राम सभाओं की सरकारी जमीन पर मुस्लिम आबादी यहां के प्रधानों ने लाकर बसा दी है।

प्रधानों के फर्जी दस्तावेज

ऐसी चर्चा भी है कि ढकरानी और सहसपुर के ग्राम प्रधानों ने कथित रूप से अपने फर्जी दस्तावेजों के जरिए ही अपना कार्यकाल काट लिया और इनके मामले अदालती कारवाई में लटके हुए हैं। इन्हें राजनीतिक संरक्षण सत्ता और विपक्ष दोनों का मिला। क्योंकि ये उनके स्वार्थ की पूर्ति करते रहे हैं।

दिल्ली और देवबंद से चलता है धार्मिक संरक्षण का खेल

जानकार बताते हैं कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से यहां हो रहा है। इसके पीछे राजनीतिक हस्तियां ही नहीं धार्मिक शक्तियां भी काम कर रही हैं। दिल्ली देवबंद की इस्लामिक संस्थाएं यहां पूरी तरह से मस्जिदों मदरसों में सक्रिय है और जमात के जरिए यहां मुस्लिम समुदाय को संचालित किया जा रहा है। मुस्लिम सेवा संगठन और अन्य संगठनों के माध्यम से राजनीतिक-धार्मिक ताकत को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। ग्राम सभाओं पर इनका नियंत्रण हो चुका है आगे जिला पंचायत, फिर विधान सभा सीटों में इनका असर दिखाई देगा। यहां बने मदरसों और धार्मिक स्थलों ने नदी नालों की जमीनों तक अवैध रूप से कब्जे किए हुए हैं। यहां अवैध रूप से निर्माण कार्य चल रहे है, जिस पर प्रशासन खामोश है। ऐसे ही नही यहां यहां मुस्लिम राजनीतिक पार्टी या मुस्लिम यूनिवर्सिटी की आवाज़ पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान सुनाई दी थी। इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश दिखलाई देती है।

वन विभाग के अधिकारी खामोश

पछुवा देहरादून में नदियों किनारे अवैध रूप से बसाए गए लोगों को हटाने के आदेश कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय से दिए गए, किंतु इसका असर क्षेत्र के डीएफओ, वन निगम के अधिकारियों में नहीं दिखाई दिया, कभी फोर्स न होने देने का बहाना तो कभी वीआईपी ड्यूटी के बहाने देकर ये अभियान ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं। विभागीय लापरवाही का आलम ये है कि अभी तक सरकारी विभागों ने इन अवैध कब्जेदारों को नोटिस तक जारी करने की जहमत नहीं उठाई। एमडीडीए की एक दिन की कारवाई की नहीं कई माह तक लगातार कारवाई करने पर ही कोई परिणाम सामने आ सकते हैं।

हिन्दू समुदाय पर हमले

इसी इलाके में राशिद पहलवान और उसके साथियों ने का कांवड़ियों पर पथराव किया था, राशिद पर गैंगस्टर लगी और उसकी जमानत भी हो गई। जमानत होने के बाद जिस तरह से क्षेत्र में जुलूस निकाला गया, उसके पीछे मंशा, हिन्दू समुदाय को अपना दबदबा दिखाने की थी। राशिद पहलवान, मुस्लिम सेवा संगठन का संयोजक है और यहां कथित रूप से अवैध खनन, सरकारी भूमि कब्जाने जैसे मामले में वो सक्रिय रहता है।

Topics: उत्तराखंडUttarakhandIllegal encroachment in Uttarakhandउत्तराखंड में अवैध अतिक्रमणउत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंजपछुवा देहरादून मुस्लिमों ने कब्जाई जमीनपछुवा देहरादून में डेमोग्राफी चेंजDemography change in UttarakhandPachhuwa Dehradun Muslims captured landDemography change in Pachhuwa Dehradun
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