चीन में हाल ही में सम्पन्न 19वें एशियाई खेलों में भारत का परचम ऐसा लहराया कि दुनिया भौंचक सी देखती रह गई। भारत के खिलाड़ियों ने लगभग सभी खेलों में शानदार प्रदर्शन किया और प्रतिद्वंद्वियों को भारत की माटी की ताकत दिखा दी। कुल 107 पदक (28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य) जीतना कोई हंसी-खेल नहीं है। कड़ी मेहनत, जबरदस्त प्रशिक्षण, सरकार की तरफ से कोई कोर-कसर न रहने देना…इन सबका बहुत बड़ा हाथ रहा इस कामयाबी में। इसमें संदेह नहीं है कि पिछली अनेक अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में भारत ने अपनी छाप छोड़ी है। अब पदक तालिका को और ऊंचे ले जाने के लिए खिलाड़ियों को पेरिस ओलंपिक का बेसब्री से इंतजार है। एशियाई खेलों में भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन, आगामी प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी और भारत सरकार के इस दृष्टि से प्रयासों के संदर्भ में पाञ्चजन्य के सहयोगी संपादक आलोक गोस्वामी ने केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसी वार्ता के प्रमुख अंश-
‘‘हमें खेलों के प्रति होलिस्टिक विजन अपनाना होगा। ‘टॉप्स’ जैसी योजना से खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है। खेलो इंडिया के साथ-साथ फिट इंडिया और योग जैसे अभियान भी आगे बढ़ रहे हैं।’’
— नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
चीन में सम्पन्न 19वें एशियाई खेलों में भारत ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया है। सबसे ज्यादा पदक जीते हैं। इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?
यही कि हमने जो कहा, वह कर दिखाया! ऐसा ऐतिहासिक परिणाम आने के पीछे कई कारक हैं। हमारे खिलाड़ियों की मेहनत और पदक लाने का जज्बा, हमारे माननीय प्रधानमंत्री की समग्र स्पोट्स इकोसिस्टम बनाने की दृष्टि, ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम’ योजना की सहायता और सरकारी अनुदानों ने ऐसे ऐतिहासिक परिणाम संभव किए हैं। भारत ने इन खेलों में आज तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन करके 107 पदक जीते और, जैसा हमने कहा था, ‘अबकी बार 100 पार’, तो भारत के खिलाड़ियों ने 100 का आंकड़ा पार भी किया। इससे जहां खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा है वहीं देशवासियों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
देश के उभरते युवा खिलाड़ियों को एक नई प्रेरणा मिली है। प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता, उनके द्वारा प्रदान की गई सुविधाएं और हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत एवं दृढ़ संकल्प से भारत ने 100 पदकों का आंकड़ा पार किया। आप देखिए इस बार ओलंपिक में हमने अब तक के सबसे ज्यादा, 7 पदक जीते थे। फिर 19 पदक पैरालंपिक खेलों में, 20 पदक डेफ ओलंपिक में और 21 पदक कॉमनवेल्थ खेलों में जीते। हम अभी तक थॉमस कप नहीं जीते थे, लेकिन अब उसमें भी स्वर्ण पदक जीते। यूनिवर्सिटी गेम्स में 60 साल में 18 पदक जीते थे, इस बार हमने 26 पदक जीते, जिसमें से 10 स्वर्ण पदक हैं। और अब एशियाई खेलों में 107 पदक के साथ 100 का आंकड़ा पार किया है। इससे पहले हमारी महिला खिलाड़ी 4 बार विश्व बॉक्सिंग चैंपियन बनी थीं। एक के बाद एक खेलों में भारत ने लगातार शानदार प्रदर्शन किया है। एशियाई खेलों के 72 साल के इतिहास में इस बार हमारे एथलीट्स ने कई विश्व रिकॉर्ड तोड़े और कई एशियाई रिकॉर्ड बनाए हैं। एथलेटिक्स में 29 पदक, शूटिंग में 22 और आर्चरी में 9 पदक आए हैं।
गांव, कस्बों से आज बच्चे खेलों में अपना कौशल दिखा रहे हैं। क्या वजह है कि उनमें आज एक नया हौसला जगा है?
भारत के चोटी के एथलीट्स, चाहे वह मीराबाई चानू हों, पीटी उषा हों, मेरी कॉम, नीरज चोपड़ा या योगेश्वर दत्त हों, ये सब भारत के गांव-देहातों से निकल कर पोडियम तक पहुंचे हैं। भारत में प्रतिभाओं की कमी ना पहले थी, ना आज है। मगर जो बात पहले नहीं थी और आज है, वह है एक बदलाव जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लाए हैं। हर स्तर पर खिलाड़ियों का साथ देना, इससे सिर्फ बड़े शहरों में नहीं, बड़े खेलों में ही नहीं, भारत के गांवों तक में नया जोश पहुंचा है। आज 750 से अधिक ‘खेलो इंडिया सेंटर्स’ विभिन्न जिलों में बनाए गए हैं जहां पर ऐसा सुविधाएं दी गई हंै कि गांव के बच्चे भी आकर खेल का सफर यानी प्रशिक्षण शुरू कर सकें। साथ ही उनके लिए खेलो इंडिया योजना के तहत ‘स्कॉलरशिप’ है।
प्रधानमंत्री जी ने 2018 में ये अभियान शुरू किया था और नारा लगाया था-खेलेगा इंडिया तो खिलेगा इंडिया। इसी योजना के तहत एथलीट्स चुने जाते हैं। इस खेलो इंडिया आयोजन में सालाना 10,000 बच्चे भारत के प्रत्येक राज्य से आकर प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। उनमें से हजार बच्चे तो चुने ही जाते हैं। उनको सालाना 6,20,000 रु. की स्कॉलरशिप दी जाती है जिसके तहत वे ‘साई’ या खेलो इंडिया एकेडमी में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में ट्रेनिंग करते हैं। उनके खानपान, कोचिंग, ट्रेंनिंग, इक्विपमेंट एवं पढ़ाई आदि पर ध्यान दिया जाता है। साथ ही, उनको मासिक 10,000 रु. ‘आउटपॉकेट’ भत्ता दिया जाता है ताकि वे अपने परिवारजन को भी कुछ सहायता दे सकें। आपको जानकर खुशी होगी कि इस साल 651 एशियाई खेल एथलीट्स में से 124 खेलो इंडिया योजना से चुने गए खिलाड़ी थे और उनमें से 70 खिलाड़ियों ने पदक भी जीते।
आपने ‘इंफ्रास्ट्रक्चर’ की बात की। खेलों में यह आयाम कितना महत्वपूर्ण है?
इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा होना बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न जिलों में बने खेलो इंडिया सेंटर्स गांवों-देहातों में ही बच्चों को निखार रहे हैं। हमने गतका जैसे अपने पारंपरिक भारतीय खेलों को भी बढ़ावा दिया है। ऐसे पांच खेलों को खेलो इंडिया गेम्स में प्रतियोगिता वर्ग में शामिल किया गया है ताकि प्रतिभावान बच्चों को खेलो इंडिया स्कॉलरशिप भी मिल सके।
आज लड़कियां खेलों में बहुत बढ़िया प्रदर्शन कर रही हैं। ‘खेलो इंडिया वूमेंस लीग’ का इसमें कितना हाथ है?
यह एक और बड़ी पहल हुई है। आज बहुत सारी बेटियां गांवों से आकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रही हैं। जैसे, सविता पूनिया, मीराबाई चानू आदि। खेलो इंडिया वूमेंस लीग के तहत 14 आयामों में हमारी बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करती हैं। वहां से उनको आगे की ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है। पिछले साल डेढ़ लाख बेटियों ने इस खेलो इंडिया वूमेंस लीग में भाग लिया था। उसमें बहुत से नेशनल रिकॉर्ड बने। कुल मिलाकर सरकार का यही प्रयास है कि देश के हर बच्चे को खेलने का मौका मिले और जो प्रतिभावान बच्चे हैं उनको मदद मिले ताकि वे आगे बढ़कर देश का नाम रोशन करें।
सरकार के स्तर पर खेलों पर पहले उतना ध्यान नहीं दिया जाता था। आज ऐसा क्या बदला है कि हर खेल में प्रदर्शन निखरकर आ रहा है?
एशियाई खेलों में इस शानदार प्रदर्शन से दो साल पहले से ही हर बड़े मुकाबले में भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन करता आ रहा है। 2020 के टोक्यो ओलंपिक, पैरालंपिक और डेफलंपिक्स में हमने भारत के खेल इतिहास में सबसे ज्यादा पदक जीते। आज जैवलिन थ्रो खेल में भारत के नीरज चोपड़ा ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन हैं। इस साल की महिला बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन भी एक भारतीय हंै, नाम है निखत जरीन। दूसरी बात, प्रधानमंत्री जी जिस तरह से खिलाड़ियों की हिम्मत बढ़ाते हैं उससे उनको एक नई ऊर्जा मिलती है।
हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले, प्रतियोगिता के दौरान और उसके बाद भी प्रधानमंत्री जी खिलाड़ियों से मिलते हैं, उनकी सुविधाओं के बारे में पूछते हैं और विजयी होकर वापस आने पर उनको बधाई देते हुए हौसला बढ़ाते हैं। मुझे बहुत से खिलाड़ियों ने कहा है कि यही हौसला उनकी जीत का एक बहुत अहम मंत्र बनता है, उनको लगता है कि 140 करोड़ भारतीय उनके लिए सोच रहे हैं, उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यही चीज आज मैदान पर पदक के रूप में झलक रही है। यह एक बड़ा बदलाव है। आज हमारे खिलाड़ी जीतने के लिए खेलते हैं। उनमें यह भाव रहता है कि उन्हें भारत का तिरंगा लहराना है, भारत का राष्ट्रगान गुंजाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने खिलाड़ियों से अनेक बार कहा कि अब उनकी तैयारियों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। इस वचन को पूरा करने के लिए आपके मंत्रालय की भावी योजनाएं क्या हैं?
प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि आज सुविधाओं की कमी नहीं है। ‘खेलो इंडिया योजना’ के बारे में मैंने बताया ही है। आज खिलाड़ियों को विदेशों में ट्रेनिंग मिल रही है। उनको बढ़िया खान-पान, उपकरण, विदेशी कोच, खेल विज्ञान के विशेषज्ञ और शोध विशेषज्ञ, सब उपलब्ध कराए गए हैं। हर डेवलपमेंट ग्रुप एथलीट को महीने के 25,000 रुपए और एलीट एथलीट को महीने के 50,000 रु. ‘आउटआफ पॉकेट अलाउंस’ देते हैं। आज एथलीट को किसी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं रही है। आज देश में 23 नेशनल सेण्टर आफ एक्सीलेंस हैं। अकेले इन एशियाई खेलों के लिए, एथलीटों की 275 से अधिक विदेश यात्राएं हुईं, भारत के खिलाड़ियों की सहायता के लिए 49 से अधिक विदेशी विशेषज्ञों को जुटाया गया और 200 से अधिक खेल विज्ञान विशेषज्ञ प्रशिक्षण में सहायता के लिए उपलब्ध रहे।
75 विशिष्ट शिविर आयोजित किए गए, जहां प्रत्येक एथलीट को 200 से अधिक शिविर दिनों का प्रशिक्षण मिला। नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक के बाद से 586 दिनों से अधिक समय तक यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका में प्रशिक्षण लिया। अविनाश साबले ने अमेरिका, स्विट्जरलैंड, हंगरी और मोरक्को में प्रशिक्षण लिया। नाविकों के लिए 2.88 करोड़ रु. खर्च करके विदेश में प्रशिक्षण और उपकरणों की व्यवस्था की गई जबकि निशानेबाजों को जर्मनी, इटली, फ्रांस और चेक गणराज्य में विशेष प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण मिला।
कई एथलीटों ने मुझे बताया है कि आज जब वे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तो न सिर्फउनके पास दुनिया के श्रेष्ठ खिलाड़ियों के बराबर प्रशिक्षण होता है, बल्कि आत्मिक समर्थन भी होता है।
एशियाई खेलों में ऐसा प्रदर्शन देखने के बाद, देशवासी ओलंपिक में इससे ज्यादा पदक देखने को उत्सुक हैं। क्या आप सुनिश्चित कर सकते कि उनकी वह चाहत पूरी होगी?
एशियाई खेलों में ऐतिहासिक परिणाम के बाद न केवल हमारे खिलाड़ियों पर पूरा भारत गर्व कर रहा है बल्कि अब सबको पेरिस ओलंपिक का इंतजार है। टोक्यो में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद, सबको पहले से ज्यादा उम्मीदें होंगी ही। हमें यकीन है कि पेरिस का प्रदर्शन टोक्यो से बेहतर होगा। उसके लिए ट्रेनिंग 2 साल पहले शुरू हो चुकी है। एथलेटिक्स के लिए नए सिंथेटिक ट्रेक्स, रेसलिंग, वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग आदि के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं दी गई हैं। पेरिस ओलंपिक के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। हमें विश्वास है कि हमारे एथलीट फिर से साबित करेंगे कि यह युग भारत का है।
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