पुतिन का आदेश, 'अधिकारी न विदेशी शब्द बोलेंगे, न विदेशी कारों में चलेंगे और न विदेशी तकनीक प्रयोग करेंगे'
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पुतिन का आदेश, ‘अधिकारी न विदेशी शब्द बोलेंगे, न विदेशी कारों में चलेंगे और न विदेशी तकनीक प्रयोग करेंगे’

रूस द्वारा एपल के आईफोन और तकनीक से मुंह मोड़ने के पीछे यह मान्यता है कि इनके जरिए अमेरिका रूसी सत्ता अधिष्ठान की जासूसी करता है

by WEB DESK
Aug 22, 2023, 12:25 pm IST
in विश्व
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

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रूस की यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को कोई ओर—छोर नजर नहीं आ रहा है। दोनों ही पक्ष, अपनी अपनी ‘सफलताओं’ के दावे कर रहे हैं। दोनों पक्षों का जबरदस्त नुकसान हो चुका है। लेकिन पश्चिमी गुट की बैसाखियों के सहारे यूक्रेन भी नित नए पैंतरे रच रहा है। यह युद्ध कब थमेगा इसका कोई अंदाजा तक नहीं लग पा रहा है। ऐसी परिस्थिति में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने सरकारी अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि विदेशी शब्दों, विदेश में बनी कारों और एपल के उपकरणों सहित पश्चिम की तकनीक का किसी तरह भी प्रयोग न करें।

मास्को से एक रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने आदेश भले ही कुछ दिन पहले दिया था, लेकिन उनके यहां के अधिकारी इस आदेश की पालना नहीं कर रहे हैं। खुद रूस के राष्ट्रपति रहे दिमित्री मेदवेदेव हाल में एक कार्यक्रम में विदेशी कारों के काफिले में पहुंचे थे। वह लक्जरी मर्सिडीज कार में आते—जाते हैं। ये और ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें अधिकारी विदेशी कारों का प्रयोग करते दिखते रहे हैं।

हैरानी की बात यह भी है कि भले राष्ट्रपति पुतिन के अधिकारियों को विदेशी कारें छोड़ने को कहा है, लेकिन पिछले ही दिनों रूस की कई सरकारी एजेंसियों ने विदेश में बनी कारें खरीदने के लिए 53 मिलियन से ज्यादा रूबल दिए हैं। रिपोर्ट बताती है कि रूस के रक्षा मंत्रालय, कृषि मंत्रालय तथा प्रौद्योगिकी रोस्टेक कॉर्पोरेशन के अधिकारी मोटे तौर पर पिछले माह जारी हुए आदेश के बाद भी एपल के गजेट्स प्रयोग करते देखे गए हैं।

विश्लेषक ओलेग इग्नाटोव का कहना है कि विदेश निर्मित कारों तथा एपल के उपकरणों का इस्तेमाल रोक देने के आदेश का लागू हो पाना कठिन होगा। इसकी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि बाजार में इनको छोड़कर बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं। बहुत सी विदेशी कंपनियां, पश्चिम की कंपनियां और कोरियाई कंपनियां, ये सब रूस के बाजार से जा चुकी हैं।

रूस के एक विश्लेषक हैं ओलेग इग्नाटोव, इनका कहना है कि विदेश निर्मित कारों तथा एपल के उपकरणों का इस्तेमाल रोक देने के आदेश का लागू हो पाना कठिन होगा। इसकी वजह बताते हुए वे कहते हैं कि बाजार में इनको छोड़कर बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं। बहुत सी विदेशी कंपनियां, पश्चिम की कंपनियां और कोरियाई कंपनियां, ये सब रूस के बाजार से जा चुकी हैं। इसलिए किसी को सस्ती कार खरीदनी होती थी तो वह कोरियाई कार खरीदता था। लेकिन अब तो यह भी नहीं हो सकता है, क्योंकि रूस के बाजार में अब कोरियाई कंपनियां बची ही नहीं हैं। रूस की अपनी कारों के अलावा वहां के बाजार में चीनी कारें मौजूद हैं। ओलेग का कहना है कि रूस में अपनी कारों का उत्पादन अभी पर्याप्त नहीं है।

रूस द्वारा एपल के आईफोन और तकनीक से मुंह मोड़ने के पीछे यह मान्यता है कि इनके जरिए अमेरिका रूसी सत्ता अधिष्ठान की जासूसी करता है। अधिकारियों के साथ ही सरकारी कामकाज में एपल के गजेट्स को प्रतिबंधित करके राष्ट्रपति पुतिन एक तरह से उस आशंका को खत्म करना चाहते हैं। रूस की राज्य प्रोद्यौगिकी कंपनी ‘रोस्टेक’ ने अपने यहां इन उपकरणों का प्रयोग करना बहुत समय पहले से प्रतिबंधित कर रखा है। इस कंपनी को अमेरिका ने प्रतिबंधित किया हुआ है क्योंकि इसने यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध में तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई है।

रूस की सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों ने बहुत पहले सावधान किया था कि अमेरिका एपल गजेट्स के माध्यम से रूस के महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों की जानकारियां उड़ा सकता है। खुद रक्षा अधिष्ठान ने इसे लेकर चिंता जताई थी। यूक्रेन पर हमला बोलने के एक महीने के अंदर ही इस तरह की बातें सुनाई देने के बाद पुतिन ने भी सरकार के विभागों में अमेरिकी फोन व अन्य गेजेट्स प्रतिबंधित करने की बात की थी।

Topics: securityDefencemoscowtechnologyपुतिनरूसiphonebanapplerussiaEspionageputinएपलukraincarsforeign
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