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हिजाब विरोधी आन्दोलनों के बीच ईरान में मौत की सजा में 75% की वृद्धि! आरोप अलग परन्तु उद्देश्य?

मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले दो समूहों ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि ऐसा आम लोगों में डर फैलाने के लिए किया जा रहा है।

by सोनाली मिश्रा
May 12, 2023, 03:36 pm IST
in विश्लेषण
फाइल फोटो

फाइल फोटो

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ईरान में हिजाब विरोधी आन्दोलन के चलते वर्ष 2022 में मौत की सजा में 75% की वृद्धि हुई है। मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले दो समूहों ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि ऐसा आम लोगों में डर फैलाने के लिए किया जा रहा है। महसा अमीनी की मृत्यु के बाद ईरान में अनिवार्य हिजाब की नीति के चलते लोगों का विरोध बढ़ता जा रहा है और ईरान में आन्दोलनों की एक लहर पैदा हुई थी और बच्चियां एवं युवक भी इस आन्दोलन में शामिल हो गए थे।

कलाकारों से लेकर खिलाडियों तक इस अनिवार्य हिजाब की अन्यायपूर्ण नीति के विरोध में उतर आए थे। उसके बाद पूरे विश्व ने देखा कि कैसे फिर ईरान की सरकार द्वारा दमनचक्र चलाया गया और असंख्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें दंड दिया गया, यहाँ तक कि उन्हें अपने प्राण भी गंवाने पड़े। उन पर अनेक अत्याचार अभी तक हो रहे हैं। मसीह अलीनेजाद ने हुसैन होसेंपौर की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि इनकी आँख हिजाब विरोधी आन्दोलन में चली गयी थी, क्योंकि उन्हें गोली लगी थी। उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पेज पर यह लिखा कि अधिकारी उन्हें आँखों का इलाज नहीं कराने दे रहे हैं,

Hosein Hoseinpour lost one of his eyes in Iran's popular protests when he was shot by Islamic Republic forces. Today he has announced on his Instagram page that the authorities will not allow him to undergo eye surgery and treatment. He wrote, "You took my eyes, now you won't let… pic.twitter.com/yvybDbbpB0

— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) May 11, 2023


और फिर हमने देखा कैसे उन लड़कियों की आवाज को दबाने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया और बाद में यह भी पता चला कि लड़कियों को कैसे जहर तक दिया जा रहा है, जिससे स्कूल ही भेजने के लिए उनके अभिभावक डरने लगे। मगर अब तो और भी डराने वाला समाचार प्राप्त हुआ है। मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले दो संगठनों ने यह रिपोर्ट की है कि ईरान में अब मृत्यु दंड की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और पिछले वर्ष कम से कम 582 लोगों को मौत की सजा दी गयी। नॉर्वे आधारित ईरान ह्यूमेन राइट्स और पेरिस आधारित टुगेदर अगेंस्ट द डेथ पेनाल्टी ने यह रिपोर्ट बनाई है। ट्वीटर पर भी जो आंकडें हैं वह भी इन मृत्युदंड की पुष्टि करते हैं। आज ही यह समाचार आया है कि बुधवार को ईरान ने चार लोगों को बलात्कार एवं ड्रग सम्बंधित मामलों को लेकर फांसी दी है और यह संख्या पिछले सप्ताह दस हो गयी थी, जिन्हें फांसी दे दी गयी।

यह भी कहा जा रहा है कि चूंकि ईरान पर आन्दोलन को लेकर दबाव बढ़ रहा था और राजनीतिक कारणों से फांसी दी जाने को लेकर आलोचना हो रही थी, अत: अब बलात्कार और ड्रग्स को लेकर गिरफ्तारियां की जा रही हैं। अल-मॉनिटर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकार समूहों का यह कहना है कि बलात्कार के मामलों में स्वीकारोक्ति अत्यंत अत्याचार के कारण इन आरोपियों द्वारा की जाती है और फिर इन्हें वकील भी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भी ईरान में हर सप्ताह लगभग 10 लोगों को फांसी दे दी जाती है। चीन के बाद ईरान ऐसा देश है जहां पर फांसी की सजा सबसे ज्यादा दी जाती है।

IRAN: Execution spree sees 10 prisoners hanged in 4 days, a signal to inside and outside world. More from @beatricefarhat https://t.co/OyHQIee5x1

— Joyce Karam (@Joyce_Karam) May 11, 2023


एमनेस्टी इंटरनेश्नल के अनुसार यह भी कहा जा रहा है कि जिन लोगों को वहां पर फांसी दी जा रही है, वह अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं और उन्हें कई अजीबोगरीब मामलों में हिरासत में लिया गया है जैसे “धरती पर भ्रष्टाचार फैलाने के लिए” या “अल्लाह के खिलाफ दुश्मनी” आदि। ट्वीटर पर भी यदि देखते हैं तो पाते हैं कि लोग इंगित कर रहे हैं कि बलोच समुदाय के लोगों को फांसी दी जा रही है और बलोच जीनोसाइड हो रहा है।
https://twitter.com/agha_rashti/status/1653884015156371456
एमनेस्टी इंटरनेश्नल की मार्च 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी और फरवरी में ही कम से कम 94 लोगों को मौत के घाट उतारा है। इसके अनुसार ईरानी अधिकारियों ने 1 अहवाज़ी अरब, 14 कुर्दों और 13 बलूचों को भेदभाव पूर्ण तरीके से मुक़दमे चलाकर फांसी दे दी गयी।

एमनेस्टी के अनुसार “20 फरवरी को, एक अहवाज़ी अरब व्यक्ति, हसन अबयात, को खुज़ेस्तान प्रांत के सेपिदार जेल में मार दिया गया था, जबकि एक कुर्द व्यक्ति, अराश (सरकवत) अहमदी को 22 फरवरी को केरमानशाह प्रांत के डिज़ेल अबाद जेल में मार दिया गया था।“ यह भी कहा जा रहा है कि अपराधों को इनसे जबरन क़ुबूल करवाया गया और उस कुबूलनामे का प्रसारण सरकारी मीडिया पर करवाया गया। उन्हें कोई भी कानूनी सहायता नहीं दी गयी और उन्हें गुपचुप फांसी दे दी गयी। 6 और अहवाज़ी लोगों को फांसी देने से पहले की प्रक्रिया के रूप में क्वारांटीन में भेज दिया है। और लोगों का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए किया जा रहा है
https://twitter.com/fatiikungfu_/status/1656768670222237699
वर्ष 2023 में अब तक लगभग 200 लोगों फांसी की सजा दी जा चुकी है। यह सजा आन्दोलनकारियों को दी जा रही है।

3 more Iranian protesters sentenced to death today as the toll of executions in Iran continues to rise to over 200 in 2023 alone. This Islamic regime is murdering innocents DAILY. Raise your voice for Majid Kazemi, Saeed Yaghoobi, Saleh Mirhashemi#Irgcterrorists #SalehMirhashemi pic.twitter.com/QCT6h0VoOE

— Ijilmurun Jargalsaikhan (@IjilmurunJ) May 9, 2023


बलोच कैदियों को दी जा रही मौत की सजा को लेकर लगातार ट्वीटर पर मांग उठाई जा रही है।

Urgent 🚨 Countdown has started for the execution of at three Baloch prisoners in Iran who have been transferred to Meybod prison in Yazd:

1- Saboor Shah Bakhash, 32 years old
2-Amir Ramshak, 34
3-Abdul Basir Pezhman Tutazahi, 29

In less than 100 hours, 13 Baloch prisoners… https://t.co/1Qily7KaUl pic.twitter.com/EiSGIhzXKs

— (مُحارب) Kasra (@Kasrakarimi3) May 3, 2023


परन्तु यहाँ पर यह बात समझ से परे है कि जब भी जाति की बात आती है तो इस्लाम के पैरोकार यह बात बार-बार कहते हैं कि हैं कि इस्लाम समानता की बात करता है, फिर अल्पसंख्यक की अवधारणा कैसे आ जाती है? सोशल मीडिया पर लोग यह कह रहे हैं कि मृत्युदंड लोगों की आवाज दबाने की चाल है। और 9 दिनों में ही 26 बलोच लोगों को फांसी दे दी गयी है

#Execution is a tool for the mullahs in #Iran to oppress people. In just 9 days, 26 people of #Balochistan were executed.
@pakeshadintv@UN @JosepBorrellF #StopExecutionInIran#FreeIran10PointPlan #No2ShahNo2Mullahs pic.twitter.com/miUWNXjNIF

— Narges Ghaffari (@Radioirava) May 11, 2023


यहाँ तक कि महिलाओं को फांसी देने से परहेज नहीं किया जा रहा है। 30 अप्रैल को बिरजंद जेल में एक महिला को फांसी पर चढ़ा दिया गया है। ईरानी शासन में महिलाओं को सबसे अधिक फांसी दी जा रही है। ईरान की वीमेन कमिटी ऑफ नेशनल काउंसिल ऑफ रेसिस्टेंस ने एक सूची बनाई है, जिसमें वर्ष 2007 से लेकर अभी तक उन महिलाओं का नाम है, जिन्हें फांसी दे दी गयी थी। इस संस्था के अनुसार महिलाओं को फांसी देने के मामले में ईरानी शासन विश्व रिकॉर्ड धारी है और इनके अनुसार वर्ष 2007 से लेकर अब तक 210 महिलाओं को ईरानी शासन द्वारा फांसी दी जा चुकी है और मदीनेह सब्ज़ेबन की फांसी के बाद यह संख्या
बढ़कर 211 हो गयी है। उन्हें भी ड्रग के आरोपों के चलते फांसी दी गयी थी।

World’s record holder of executions of women executed another woman.
Madineh Sabzevan, 39 years old and mother of 5 children was executed in Birjand prison. She was from Shibek tribe, Zahedan. She was arrested on drug charges. https://t.co/9zk6ir6gSD#StopExecutionsInIran

— Women's Committee NCRI (@womenncri) May 5, 2023


विरोधों के स्वर दबाने के लिए युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी की आवाज को दबाया जा रहा है।

The regime in Iran has increased barbaric executions to counter the #IranRevolution pic.twitter.com/tHYc3GjzOv

— Freedom for Iran-BE (@Freedom4Iran_BE) May 5, 2023


मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर इनकी पीड़ा और वेदना तथ्यों के साथ उपस्थित हैं, परन्तु फिर भी कहीं न कहीं मौन की अजीब चादर पसरी हुई है। ठंडी चादर, ऐसी चादर, जिसने न जाने क्यों उन लोगों के मुंह सिले हुए हैं, जो निरंतर “जीवन के अधिकार” के लिए आवाज उठाते रहते हैं। क्या हर सप्ताह ईरानी शासन के हाथों मारे जाने वाले लोगों के जीवन के अधिकार पर इसी प्रकार मौन पसरा रहेगा?

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