लोग अपनी सेहत को लेकर काफी गम्भीर हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा व पौष्टिक भोजन, योग, स्पर्श-ध्यान सहित सभी तरह के उपायों को अपना रहे हैं। वजन घटाने और फिट रहने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर को अच्छा समझ कर इसके इस्तेमाल का चलन बढ़ रहा है। सीधे शुगर लेना नहीं चाहते, इसलिए लोग शुगर फ्री का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि नुकसानदायक है। यह बातें एस के आर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान, मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी सेंटर पर स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कही।
चिकित्सक सतीश राय ने कहा कि आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से कुछ फायदा तो जरूर होता है, लेकिन इसके नुकसान भी हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह के बिना इसके इस्तेमाल से अगले कुछ वर्षों में शरीर को नुकसान होता है। नकली मिठास शरीर के लिए धीमा जहर है। अगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो डायबिटीज, कैंसर, चक्कर आना, मिचली, अस्थमा, वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
आइसक्रीम और मिठाइयों में है ज्यादा इस्तेमाल
सतीश राय ने कहा आईसक्रीम, मिठाई सहित बहुत से खाद्य प्रोडक्ट में आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग हो रहा है। कृत्रिम मिठास चीनी से कई गुना ज्यादा नुकसान करता है। यह हमारी पाचन क्रिया पर विपरीत असर डालता है। इसका ज्यादा इस्तेमाल भूख, शारीरिक क्षमता के साथ आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाता है।
दिमाग पर होता है ज्यादा असर
उन्होंने आगे कहा कि चीनी की जगह नकली मिठास दिमाग पर सीधा असर डालती है जो मीठा खाने की इच्छा बढ़ाती है। जिससे बार-बार मीठा खाने का मन करता है। उन्होंने कहा कि भारत में लोगों की इम्युनिटी-पावर बहुत मजबूत है तभी तो यहां कैल्शियम-आयरन-मिनरल्स से भरपूर शुद्ध पानी छोड़ कर आर ओ का पानी पीते हैं। नकली खाद्य पदार्थ एवं कृतिम मिठास खाने के बावजूद यहां सब ठीक है। इसका सीधा अर्थ है कि यहां पूजा पाठ, मंत्रों के उच्चारण, हवन एवं स्पर्श-ध्यान के कारण आध्यात्मिक वातावरण का माहौल है। जिससे भारत की जलवायु-हवा और मिट्टी में अपार शक्ति है। इसी वजह से यहां के ज्यादातर लोग पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।
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