लोहरदगा में सरकारी जमीन पर लगा उर्स मेला। मेले में लगीं दुकानों का किराया वसूल रहा है अंजुमन इस्लामिया, जबकि यह पैसा सरकार के खजाने में जाना चाहिए था। ऐसे ही बिजली भी मुफ्त में जलाई जा रही है।
ऐसा लगता है कि झारखंड में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। प्रशासनिक व्यवस्था ने दम तोड़ दी है। तभी तो राज्य के सबसे छोटे जिले लोहरदगा में टाउन थाना से लगे इलाके को नगरपालिका ने नहीं, बल्कि अंजुमन इस्लामिया ने उर्स मेले के लिए छह लाख पचास हजार रुपये में नीलाम कर दिया। यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। इससे सरकार को लाखों का चूना लग रहा है। यह कैसी व्यवस्था है कि मेले में व्यवस्था के लिए नगरपालिका पैसा खर्च करे, लेकिन यहां से मिलने वाला राजस्व किसी मजहबी संगठन के खाते में जाए। यह तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति है। बता दें कि इन दिनों लोहरदगा में उर्स का मेला चल रहा है। मेले में 600 से अधिक दुकानें लगाई गई हैं। एक दुकान से एक दिन का 500 रु से अधिक और मेले में झूला आदि लगाने वालों से हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं। यानी अंजुमन इस्लामिया ने सरेआम सरकार की जमीन को नीलाम कर दिया है और प्रशासन हाथ में हाथ धरे रह गया। यही नहीं , प्रशासन उनके कार्यक्रम का हिस्सा बन गया। इनसे जरूर सवाल पूछा जाना चाहिए कि यह व्यवस्था कैसे हो रही है? जमीन सरकार की और उसे नीलाम करे अंजुमन इस्लामिया?
यह तो जमीन की नीलामी की बात हुई।
यहां की तमाम दुकानों और मेले में अवैध रूप से बिजली जलाई जा रही है। ठेकेदार के द्वारा प्रति बल्ब के हिसाब से पैसे लिए जा रहे हैं। यानी यहां भी राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। दो-तीन दिन में हजारों यूनिट बिजली की खपत हो गई है। राजस्व सरकार को नहीं, बल्कि किसी के व्यक्तिगत खाते में चला गया। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि न तो कोई अस्थाई कनेक्शन के लिए आवेदन दिया है, और न किसी ने कनेक्शन लिया है। हम लोगों ने मेले में विधि व्यवस्था कायम रहे, इसके लिए अपने कर्मियों को सतर्कता के लिए लगा रखा है।
इसी तरह नगरपालिका के अधिकारियों ने बताया कि हम लोगों ने मेले के लिए दुकानदार से कोई राशि नहीं ली है। कोई डाक नीलामी नहीं की है। कौन राजस्व वसूल रहा है? किसके खाते में पैसे जा रहे हैं? यह हमें मालूम नहीं है।
कुछ संगठनों ने सरकार और प्रशासन के इस रवैए की कड़ी आलोचना की है। कहा है कि एक वर्ग को संतुष्ट करने के लिए सरकार उन्हें व्यवस्था देती है, यह सरासर गलत है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। जिसने राजस्व की वसूली की है, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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