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दुधवा नेशनल पार्क में मिला गैंडे का शव, जिम्मेदारों को दो हफ्ते तक नहीं लगी भनक, उठ रहे सवाल

पशु चिकित्सकों का कहना है कि असल वजह बिसरा की जांच के बाद सामने आएगी। अभी तो यही कहा जा सकता है कि बाघ के साथ आपसी संघर्ष में इसकी मौत हुई है।

by पश्चिम यूपी डेस्क
Feb 7, 2023, 10:54 am IST
in उत्तर प्रदेश
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में संरक्षित जीव गैंडे का शव मिला है। शव दो हफ्ते से ज्यादा पुराना है। शव को देखने के बाद पशु चिकित्सकों ने बताया कि गैंडे को बाघ ने मारा है। उनका ये दावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर नहीं, बल्कि शव के पास बाघ के पैरों के निशान पर किया जा रहा है।

दुधवा टाइगर रिजर्व के सोनारीपुर रेंज में गैंडे के शव के पास बाघ के पैरों के निशान मिलने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में बाघ ने गैंडे को मार डाला। फिर सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर बाघ और गैंडे में संघर्ष क्यों हुआ? जबकि गैंडे यहां, “गैंडा पुनर्वास योजना” के तहत एक खास टेरिटरी में रहते हैं और उसे तारबाड़ की फेंसिंग से कवर किया हुआ है।

1984 से यहां गैंडा पुनर्वास योजना चल रही है, असम, नेपाल से लाए गए नर-मादा गैंडे अब 4 से बढ़ कर 44 तक हो गए हैं। इनकी सुरक्षा और संरक्षण में करोड़ों का बजट हर साल केंद्र सरकार दे रही है। दिलचस्प बात ये है कि संरक्षित क्षेत्र में गैंडे का शव 15 दिनों तक पड़ा रहा और पार्क प्रशासन और पुनर्वास अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

जंगल में इन गैंडों की सुरक्षा के लिए गश्त भी लगाई जाती है और सीसीटीवी कैमरे भी जगह-जगह लगाए गए हैं। इन कैमरों में कहीं भी बाघ गैंडे में संघर्ष की पुष्टि नहीं हुई है। गैंडे की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम किया गया है। पशु चिकित्सक डॉ दया शंकर, डॉ कैमिन चंगगाई का कहना है कि असल वजह बिसरा की जांच के बाद सामने आएगी। अभी तो यही कहा जा सकता है कि बाघ के साथ आपसी संघर्ष में इसकी मौत हुई है क्योंकि शव के पास टाइगर पग मार्क मिले हैं।

गैंडे की खाल इतनी मोटी और मजबूत होती है कि उस पर बार करने से पहले बाघ भी दस बार सोचता है। यदि बाघ और गैंडे में संघर्ष हुआ भी होगा तो ये लड़ाई घंटों चली होगी ऐसे में पार्क प्रशासन को इसकी भनक क्यों नही लगी? ऐसे संघर्षों को छुड़ाने के लिए जंगल में फॉरेस्ट अधिकारी हाथियों पर बैठ कर जाते हैं और हवाई फायर करते हैं, परंतु ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया। बहरहाल नर गैंडे की अस्वाभाविक मौत प्रथम दृष्टया में दिखाई देती है। मौत की असल वजह बिसरा जांच के बाद सामने आएगी। लेकिन इस मौत से दुधवा टाइगर रिजर्व के गैंडे पुनर्वास योजना पर सवाल जरूर खड़े हो गए हैं।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में मानव-वन्यजीव संघर्ष में बीते साल 15 लोगों की मौत
सूचना के अधिकार के तहत मिली एक अहम जानकारी के अनुसार पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आसपास इंसान और बाघ के संघर्ष में 2022 में 15 लोगों की मौत हुई। वहीं, 40 पशु भी बाघ, तेंदुए का निवाला बने हैं। पीलीभीत में इंसानों पर हमला जंगल से सटे गन्ने के खेतों और चारा क्षेत्रों में हुआ है। ज्यादातर मामलों में बुजुर्ग लोग ही बाघों का शिकार बने हैं।

Topics: गैंडा- टाइगर संघर्षdudhwa national parkdead body of rhinocerosdead body in dudhwa national parkयूपी समाचारrhinoceros-tiger conflictUP newsRhinocerosदुधवा नेशनल पार्कगैंडे का शवदुधवा नेशनल पार्क में शवगैंडा
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