नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए इतने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते थे वामपंथी
Monday, February 6, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए इतने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते थे वामपंथी

अपमानजक कार्टून अपने मुखपत्रों में छापते थे

WEB DESK by WEB DESK
Jan 22, 2023, 08:04 pm IST
in भारत
नेताजी सुभाष चंद्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

लगभग आरंभ से ही कम्युनिस्टों को अपनी वैज्ञानिक विचारधारा और प्रगतिशील दृष्टि का घोर अहंकार रहा है। लेकिन अनोखी बात यह है कि इतिहास व भविष्य ही नहीं, ठीक वर्तमान यानी आंखों के सामने की घटना-परिघटना पर भी उनके मूल्यांकन, टीका-टिप्पणी, नीति, प्रस्ताव आदि प्राय: मूढ़ता की पराकाष्ठा साबित होते रहे हैं। यह न तो एक बार की घटना है, न एक देश की। सारी दुनिया में कम्युनिस्टों का यही रिकॉर्ड है। इसके निहितार्थ समझने से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कम्युनिस्ट मूल्यांकन को उदाहरण के लिए देखें।

1940 में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तिका ‘बेनकाब दल व राजनीति’ में नेताजी को ‘अंधा मसीहा’ कहा गया। फिर उनके कामों को कहा गया, ‘सिद्धांतहीन अवसरवाद, जिसकी मिसाल मिलनी कठिन है। यह सब तो नरम मूल्यांकन था। धीरे-धीरे नेताजी के प्रति कम्युनिस्ट शब्दावली हिंसक और गाली-गलौज से भरती गई। जैसे, ‘काला गिरोह’, ‘गद्दार बोस’, ‘दुश्मन के जरखरीद एजेंट’, ‘तोजो (जापानी तानाशाह) और हिटलर के अगुआ दस्ते’, ‘राजनीतिक कीड़े’, ‘सड़ा हुआ अंग जिसे काटकर फेंकना है’,आदि। ये सब विशेषण सुभाष बोस और उनकी सेना आई़ एऩ ए़ (इंडियन नेशनल आर्मी) के लिए थे। तब कम्युनिस्ट मुखपत्रों, पत्रिकाओं में नेताजी के कई कार्टून छपे थे, जिससे कम्युनिस्टों की घोर अंधविश्वासी मानसिकता की झलक मिलती है (उन पर सधी नजर रखने वाले इतिहासकार स्व़ सीताराम गोयल के सौजन्य से वे कार्टून उपलब्ध हैं)। अधिकांश कार्टूनों में सुभाष बाबू को ‘जापानी, जर्मन फासिस्टों का कुत्ते या बिल्ली’ जैसा दिखाया गया है, जिससे उसका मालिक जैसे चाहे खेलता है।

एक कार्टून में बोस को तोजो का मुखौटा, तो अन्य में भारतवासियों पर जापानी बम गिराने वाला दिखाया गया है। एक में बोस को ‘गांधीजी की बकरी छीनने वाला’ दिखाया गया। एक कार्टून में तोजो एक गधे के गले में रस्सी डाले सवारी कर रहा है, उस गधे का मुंह बोस जैसा बना था। दूसरे में बोस को ‘तोजो का पालतू क्षुद्र बौना’ दिखाया, आदि। वामपंथी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के लिए इस तरह के अपमानजक कार्टून अपने मुखपत्रों में छापते थे।

इस तरह के अपमानजनक कार्टून छापते थे वापमंथी

कम्युनिस्ट अखबार पीपुल्स डेली (10 जनवरी 1943) में तब कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वोच्च नेता रणदिवे ने अपने लेख में बोस को ‘जापानी साम्राज्यवाद का गुंडा’ तथा उनकी सेना को ‘भारतीय भूमि पर लूट, डाका, विध्वंस मचाने वाला भड़ैत’ बताया। लेकिन रोचक बात यह है कि यह सब कहने के बाद, समय बदलते ही, जब आई़ एऩ ए. की लोकप्रियता देशभर में बढ़ने लगी, तो कम्युनिस्टों ने उसके बंदी सिपाहियों के पक्ष में लफ्फाजी शुरू कर दी! उपर्युक्त इतिहास के संदर्भ में स्मरण रखने की पहली बात है कि यह सब न अपवाद था, न अनायास। दूसरी बात, जो बुद्धि अपने सामने हो रही घटना, व्यक्तित्व का ऐसा मूढ़ मूल्याकंन करती रही, वह दूसरे लोगों, घटनाओं, सत्ताओं का मूल्यांकन भी वैसे ही करती है। यानी जड़-विश्वास, घोर मतिहीन। सभी मूल्यांकनों का स्रोत एक बनी-बनाई विचारधारा में अंधविश्वास ही था और है, जो तथ्यों को यथावत देखने की बजाए एक, और खास एक ही तरह से देखने को मजबूर करता था। यह बंदी मानसिकता देश और समाज के लिए कितनी घातक रही है, हमें इसे ठीक से समझना चाहिए। अतएव तीसरी बात यह है कि नेताजी सुभाष, जय प्रकाश नारायण, गांधीजी आदि के अपमानजनक और जड़मति मूल्यांकनों की क्षमा मांग लेने के बाद भी इस देश में कम्युनिस्ट वही काम बार-बार करते रहे हैं। उनकी देश-समाज-विरोधी प्रवृत्ति नहीं बदली है। आज भी अयोध्या, कश्मीर, गोधरा, इस्लामी आतंकवाद आदि गंभीर मुद्दों और अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी या नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं के मूल्यांकन और तद्नुरूप कम्युनिस्ट अभियान चलाने में ठीक उसी मूढ़ता और देशघाती जिद की अक्षुण्ण परंपरा है। यह काम कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ-साथ तमाम मार्क्सवादी प्रोफेसर, लेखक, पत्रकार, बुद्धिजीवी भी करते रहे हैं। चूंकि ये लोग कम्युनिस्ट पार्टी से सीधे जुड़े हुए नहीं हैं तथा बड़े-बड़े अकादमिक या मीडिया पदों पर रहे हैं, इससे इनका वास्तविक चरित्र पहचानने में गलती नहीं करनी चाहिए।
इस प्रकार, नेताजी व आई़ एऩ ए. को ‘तोजो का कुत्ता’ और राष्ट्रीय स्वयंयेवक संघ को ‘तालिबान, अल कायदा सा आतंकवादी’ बताने में एक सी भयंकर मूढ़ता और हानिकारक क्षमता है, यह हमें देखना, समझना चाहिए। कभी भगवाकरण, तो कभी असहिष्णुता के बहाने चलते अभियान उसी घातक अंधविश्वास व हिन्दू-विरोध से परिचालित हैं। इस से देश-समाज बंटता है, जो कम्युनिस्ट 1947 में एक बार सफलतापूर्वक करवा चुके हैं। आज भी प्रगतिशील, सेक्युलर, लिबरल आदि विशेषणों की आड़ में वही भारत-विरोधी और हिन्दू-द्वेषी राजनीति थोपी जाती है। क्योंकि घटनाओं, स्थितियों, व्यक्तियों, समुदायों की माप-तौल के पैमाने, बाट, इंच-टेप वही हैं।
लंबे नेहरूवादी-कम्युनिस्ट गठजोड़ के कारण वही पैमाने हमारे बुद्धिजीवियों की मानसिकता में अनायास जमा दिए गए हैं। तभी जन-समर्थन के बावजूद मोदी सरकार को अपदस्थ, लांछित करने में हर हथकंडा आसानी से चलता है। इससे जो हानि होती है, उससे युवाओं को पूरी तरह अवगत होना चाहिए। नेताजी के कम्युनिस्ट मूल्यांकन का यही जरूरी सबक है।

(लेख पाञ्चजन्य के अर्काइव से लिया गया है )

Topics: वामपंथीनेताजी सुभाषचंद्र बोसनेताजी सुभाष चंद्र बोसकम्युनिस्टकार्टूनसुभाष जयंतीसुभाष चंद्र बोसअपमानजनक शब्दसुभाषचंद्र बोस की जयंतीपराक्रम दिवस 2023सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023
Share7TweetSendShareSend
Previous News

सुभाष चंद्र बोस जयंती विशेष : सार्वभौम भारत के स्वप्नद्रष्टा !

Next News

उत्तराखंड : हजारों मुस्लिमों के करोड़ों रुपए लेकर भागा अब्दुल, कबीर म्युचल फंड के नाम से चलाता था मुस्लिम फंड स्कीम

संबंधित समाचार

भोपाल में दिखी लय और ताल की अद्भुत प्रस्तुति

भोपाल में दिखी लय और ताल की अद्भुत प्रस्तुति

‘समर्पण का उदाहरण है नेताजी का जीवन’

‘समर्पण का उदाहरण है नेताजी का जीवन’

नेताजी ने राजनीति में स्थापित होने की बजाय सदैव क्रांति का रास्ता चुना: सीएम योगी

नेताजी ने राजनीति में स्थापित होने की बजाय सदैव क्रांति का रास्ता चुना: सीएम योगी

मोइरांग का आईएनए स्मारक आधुनिक भारत का एक तीर्थस्थल: दत्तात्रेय होसबाले

मोइरांग का आईएनए स्मारक आधुनिक भारत का एक तीर्थस्थल: दत्तात्रेय होसबाले

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023 : नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और आजाद हिंद फौज का गठन

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023 : नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और आजाद हिंद फौज का गठन

जब महात्मा गांधी ने कहा – सुभाष की जीत मेरी हार है

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नौसेना ने रचा इतिहास, एलसीए नेवी की आईएनएस विक्रांत पर कराई लैंडिंग

नौसेना ने रचा इतिहास, एलसीए नेवी की आईएनएस विक्रांत पर कराई लैंडिंग

देश का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर कारखाना राष्ट्र को समर्पित, जानिये इसके बारे में

देश का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर कारखाना राष्ट्र को समर्पित, जानिये इसके बारे में

झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है एचएएल की ये हेलीकॉप्टर फैक्ट्री : प्रधानमंत्री मोदी

झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है एचएएल की ये हेलीकॉप्टर फैक्ट्री : प्रधानमंत्री मोदी

पद्म पुरस्कार 2023 : विमुक्त जातियों की सशक्त आवाज

पद्म पुरस्कार 2023 : विमुक्त जातियों की सशक्त आवाज

हमीरपुर में जिहादियों के निशाने पर हिंदू लड़कियां, पीड़ित पिता ने शाहरुख के चंगुल से बेटी को छुड़ाने की लगाई गुहार

हमीरपुर में जिहादियों के निशाने पर हिंदू लड़कियां, पीड़ित पिता ने शाहरुख के चंगुल से बेटी को छुड़ाने की लगाई गुहार

भारत-नेपाल संबंध का सांस्कृतिक सेतु बनी शालिग्राम शिला

भारत-नेपाल संबंध का सांस्कृतिक सेतु बनी शालिग्राम शिला

देहरादून : जनसंख्या असंतुलन का खतरा मंडराया, स्कूल और मदरसों में दादागीरी, सरकारी जमीन कब्जाने वालों को किसका संरक्षण?

देहरादून : जनसंख्या असंतुलन का खतरा मंडराया, स्कूल और मदरसों में दादागीरी, सरकारी जमीन कब्जाने वालों को किसका संरक्षण?

पद्म पुरस्कार 2023 : राष्ट्रभक्त लेखक, समाज-चिंतक

पद्म पुरस्कार 2023 : राष्ट्रभक्त लेखक, समाज-चिंतक

बदल रहा है भारत का ऊर्जा क्षेत्र, निवेश की हैं अपार संभावनाएं : प्रधानमंत्री

बदल रहा है भारत का ऊर्जा क्षेत्र, निवेश की हैं अपार संभावनाएं : प्रधानमंत्री

पद्मभूषण सम्मान : सांस्कृतिक परंपराओं के मर्मज्ञ

पद्मभूषण सम्मान : सांस्कृतिक परंपराओं के मर्मज्ञ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies