उत्तराखंड सरकार से अनुमति मिलने के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज में हुए भ्रष्टाचार मामले में तीन आईएफएस और अन्य वन विभाग के उच्च अधिकारी के खिलाफ हल्द्वानी विजलेंस कार्यालय में एफआईआर दर्ज की गई है। विजलेंस जांच में ये अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे।
विजलेंस के एडीजी अमित सिन्हा ने बताया कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद आईएफएस किशन चंद और उनके साथ अन्य वन अधिकारियों के खिलाफ विजलेंस विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज कर दी गई है। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों की जांच विभाग द्वारा की गई थी।
जानकारी के मुताबिक पाखरों रेंज, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी बनाई जानी थी, वन विभाग के अधिकारियों ने इसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर झूठा प्रचार किया और यहां बिना वित्तीय स्वीकृति के सरकारी धन को ठिकाने लगा दिया और अवैध रूप से पेड़ों का कटान भी किया, जिस पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने नोटिस लिया। वन विभाग के अधिकारियों का जवाब तलब किया। साथ ही सरकार ने भी इस प्रकरण की विभागीय जांच करवाई। जिसके बाद कई आईएफएस अधिकारियों को नोटिस जारी हुए और तबादले भी हुए।
भ्रष्टाचार और आपराधिक कृत्यों के आरोप पर उत्तराखंड सरकार ने विजलेंस विभाग से जांच करवाई और आखिकार इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए विजलेंस विभाग को दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की इजाजत दी गई, जिसके बाद आज ये एफआईआर दर्ज कर दी गई। इस मामले में आईएफएस किशन चंद सहित तीन अन्य आईएफएस आरोपी बनाए गए हैं और अन्य विभागीय अधिकारियों पर धन गबन के आरोप तय किए गए हैं। खबर है कि आरोपी अग्रिम जमानत की तैयारी में लगे हैं, जबकि सरकार द्वारा उन्हें अभी निलंबित किए जाने की कार्रवाई शेष है।
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