जलांदोलन से आया है बड़ा बदलाव : क्षिप्रा माथुर
Thursday, February 2, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

जलांदोलन से आया है बड़ा बदलाव : क्षिप्रा माथुर

डॉ. क्षिप्रा माथुर ने ‘चक्रीय अर्थव्यवस्था' के लिए कुदरत से तालमेल वाली जीवन शैली और उत्पादन के तौर-तरीके

पाञ्चजन्य ब्यूरो by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 27, 2022, 03:50 pm IST
in भारत
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

डॉ. क्षिप्रा माथुर ने ‘चक्रीय अर्थव्यवस्था’ के लिए कुदरत से तालमेल वाली जीवन शैली और उत्पादन के तौर-तरीके दोनों अपनाने से पूंजी के प्रवाह की बात करते हुए, चार साल पहले शुरू किए जल-आंदोलन की कहानी साझा की। उन्होंने जल-विरासत के जरिए परम्पराओं में समाए विवेक और विज्ञान के उदाहरण रखे। अपनी यात्राओं के दौरान देश के भिन्न इलाकों में समुदायों की समझ और कर्मठता से जीवित हुई नदियों की कहानी, किसानों की एफपीओ खड़ी होने से रुके पलायन और आर्थिक समृद्धि, तकनीक के इस्तेमाल से बारिश का पानी सहेजने के प्रयोग, परम्परागत काम में शोध शामिल करते हुए नए रोजगार सृजन और आजीविका सुनिश्चित करने की सोच का जिक्र किया

पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. क्षिप्रा माथुर ने कहा कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम करना जरूरी है। ऐसा न हुआ तो दुनिया को संभालना मुश्किल होगा। पाञ्चजन्य और आर्गनाइजर द्वारा दिल्ली में आयोजित पर्यावरण संवाद में स्वतंत्र पत्रकार क्षिप्रा माथुर ने विचार रखने के साथ जलांदोलन को लेकर प्रजेंटेशन भी दिया।

डॉ. माथुर ने कहा कि चार साल पहले पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर जी से चर्चा हुई कि सतत विकास के जो मसले हैं, उसमें जल सबसे अहम है। इसपर हम लोग कैसे काम कर सकते हैं? यह अनुभव हम सबको रहा है कि जनआंदोलन के बूते ही सारे बदलाव होते हैं। हमें महसूस हुआ कि जल आंदोलन की जरूरत है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था को समझने के लिए हमारी पूरी सनातन परंपरा को समझना होगा। जहां से उद्भव हो, वहीं पर फिर समागम होता है। मिट्टी में मिल जाना होता है। इसमें कुदरत का तालमेल और सृजन भी है। हमारे पहाड़, नदी, मिट्टी, प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को कम करना जरूरी है क्योंकि वह भावी दुनिया की जरूरत है, आबादी की जरूरत है। यह आगामी समय में इतनी बढ़ जाएगी कि उसको पूरा करने के लिए यदि हम अभी से सजग नहीं हुए तो हम शायद और बिगड़ी स्थिति में आ जाएंगे।

क्षिप्रा माथुर ने कहा कि पाञ्चजन्य में प्रकाशित जलांदोलन कहानियों से एक बड़ा बदलाव आया है। यह बदलाव चक्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा है। इसमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी है। महाराष्ट्र में 400 नदियां जीवित हुईं हैं। परंपरा के साथ भविष्य भी संवर रहा है। जयपुर में कचरे से सड़क बनी है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन की बड़ी भूमिका होती है। हमने गोचर भूमि खत्म कर दी। राजस्थान के जल-चेतन गांव ने गोचर जमीन को पशुओं के लिए संरक्षित किया है। आज राजस्थान के 50 गांव में गोचर भूमि को सहेजा जा रहा है। कुदरत बहुत पानी देती है, जिसे हमें सहेजना होगा। गांवों में जाकर हम पाते हैं कि हमें अभी बहुत कुछ करना है।


नदियों का पुनर्जीवन

वनों की कटाई, रेत माफिया और अनियोजित विकास गतिविधियों ने न केवल नदियों को प्रदूषित किया है, बल्कि कई नदियां अपना स्वरूप खो चुकी हैं। मगर कुछ कर्मठ पर्यावरण प्रहरी इन नदियों को पुनर्जीवित करने के काम में जुटे हुए हैं। फरवरी, 2013 में आर्ट आॅफ लिविंग के स्वयंसेवकों के एक समूह ने बंगलुरु के बाहरी क्षेत्र में, चार दशकों से अधिक समय से सूखी, कुमुदवती नदी को पुनर्जीवित किया। इसी तरह की अनेक पुनर्जीवन परियोजनाएं हाथ में ली गईं, जैसे कर्नाटक में अर्कवती, वेदवती और पलार नदियों की, तमिलनाडु में नागनदी की तथा महाराष्ट्र में घरणी, तेरणा, बेनीतुरा, तावरजा नदियों व बाभलगांव झील की; इनमें से कई परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के इंदौर वासियों ने जिले की 21 किमी लंबी कान्ह नदी और 15 किमी लंबी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया। जल संसाधन मंत्रालय राज्यों में ऐसी समाप्तप्राय नदियों को पुनर्जीवित करने की योजनाएं चला रहा है।

इसी तरह डॉ. माथुर ने जोधपुर के एक गांव के एक कुम्हार की कहानी साझा की। कुम्हारों की परंपरा मिट्टी से घड़े बनाना और पानी को सहेजना है। आईआईटी में इसकी जांच हुई। उसने घड़े में प्राकृतिक वाटर फिल्टर बनाया और आज इसका निर्यात हो रहा है। इस फिल्टर से मिलने वाले पानी के मानक को डब्लूएचओ प्रमाणित करता है। इस तरह हमारी परंपरा भी जीवित है, हमारा विज्ञान भी जीवित है, प्रकृति भी जीवित है और आजीविका भी जीवित है। कुदरत हमें भरपूर पानी देती है। हमें केवल इसको सहेजने की आवश्यकता है।

डॉ. माथुर ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी के एक सांगल साहब की कहानी साझा की जिनके पेटेंट पर दुनियाभर की सड़कें बनती हैं। ये भारत आए और इन्होंने कहा कि अब मुझे पेटेंट का इस्तेमाल नहीं करना है और सभी मुझसे ले लीजिए। खेत का पानी खेत में, घर की छत का पानी घर में और सड़क का पानी जमीन में सहेज लें तो हमारा काफी काम ठीक हो जाएगा। यहां पर आकर इन्होंने प्रमाणित किया और एक पार्किंग स्लॉट पर सड़क बनाई जिसमें बरसात का पूरा पानी आएगा और जमीन में तिर जाएगा। ऐसी तकनीक है इनके पास।

सरहदी जैसलमेर आज अकेला ऐसा स्थान है जहां सांझी खेती का प्रयोग हो रहा है। इस गांव में लगभग 400 लोग रहते हैं। डॉ. माथुर जब इनके घर गईं तो पानी नहीं, बिजली नहीं। ये पाकिस्तान से आए विस्थापित लोग हैं। कमाई का कोई साधन नहीं है। घर के सामने से बिजली का खंभा जाता है परंतु चोरी नहीं करते। उनका कहना है कि अंदर श्रीकृष्ण जी की पूजा करते हैं तो बाहर चोरी कैसे कर सकते हूं। इसके बारे में हमें सोचना चाहिए।

 

Topics: प्राकृतिक संसाधनपर्यावरणचक्रीय अर्थव्यवस्था
ShareTweetSendShareSend
Previous News

उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों से छीने विभाग, दूसरे मंत्रियों को दी जिम्मेदारी

Next News

33वां बलिदानी दिहाड़ा : सामूहिक हवन के बाद बलिदानियों को दी गई श्रद्धांजलि

संबंधित समाचार

उज्जैन में पंचमहाभूत पर गोष्ठी

उज्जैन में पंचमहाभूत पर गोष्ठी

दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का रोपण

दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का रोपण

‘थैली छोड़ो, थैला पकड़ो’ अभियान

‘थैली छोड़ो, थैला पकड़ो’ अभियान

भारत को भारत की आंखों से देखने का समय-स्वामी चिदानंद सरस्वती

भारत को भारत की आंखों से देखने का समय-स्वामी चिदानंद सरस्वती

ग्रीन हाइड्रोजन है देश का भविष्य : नितिन गडकरी

ग्रीन हाइड्रोजन है देश का भविष्य : नितिन गडकरी

तब खरीद-बेच सकेंगे कार्बन के्रडिट : सीपी गोयल

तब खरीद-बेच सकेंगे कार्बन के्रडिट : सीपी गोयल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

देश के युवावर्ग की आशाओं को आधार देने वाला है आम बजट-2023 : अभाविप

देश के युवावर्ग की आशाओं को आधार देने वाला है आम बजट-2023 : अभाविप

पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है भारत: निर्मला सीतारमण

पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है भारत: निर्मला सीतारमण

एयर मार्शल एपी सिंह वायु सेना के उप प्रमुख के पद पर नियुक्त

एयर मार्शल एपी सिंह वायु सेना के उप प्रमुख के पद पर नियुक्त

लव-जिहाद की शिकार लड़की कश्मीर से बरामद, हमीरपुर से फंसा कर लाया था इरफान

लव-जिहाद की शिकार लड़की कश्मीर से बरामद, हमीरपुर से फंसा कर लाया था इरफान

सावधान ! बुर्के में हो सकती हैं कपड़ा चुराने वाली महिलाएं, जानिए कैसे हुआ खुलासा

सावधान ! बुर्के में हो सकती हैं कपड़ा चुराने वाली महिलाएं, जानिए कैसे हुआ खुलासा

उत्तराखंड : पैरोल पर गए 300 से ज्यादा कैदी वापस नहीं लौटे, पुलिस महकमे में मचा हडकंप

उत्तराखंड : पैरोल पर गए 300 से ज्यादा कैदी वापस नहीं लौटे, पुलिस महकमे में मचा हडकंप

देवभूमि में अध्यात्म की शरण में है विराट अनुष्का, स्वामी दयानंद आश्रम में कर रहे निवास

देवभूमि में अध्यात्म की शरण में है विराट अनुष्का, स्वामी दयानंद आश्रम में कर रहे निवास

केंद्रीय बजट 2023 : बजट अर्थव्यवस्था की नब्ज पकड़ने वाला – फिक्की

केंद्रीय बजट 2023 : बजट अर्थव्यवस्था की नब्ज पकड़ने वाला – फिक्की

केंद्रीय बजट 2023 : अमृत काल का पहला ऐतिहासिक बजट विकसित भारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा – प्रधानमंत्री

केंद्रीय बजट 2023 : अमृत काल का पहला ऐतिहासिक बजट विकसित भारत के निर्माण के लिए मजबूत नींव तैयार करेगा – प्रधानमंत्री

केंद्रीय बजट 2023 : रक्षा क्षेत्र के लिए 5.94 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान

केंद्रीय बजट 2023 : रक्षा क्षेत्र के लिए 5.94 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies