ट्यूनीशिया अब नहीं रहेगा 'इस्लामी' मुल्क, अधिकांश आबादी कट्टरपंथ के विरुद्ध
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ट्यूनीशिया अब नहीं रहेगा ‘इस्लामी’ मुल्क, अधिकांश आबादी कट्टरपंथ के विरुद्ध

नए संविधान के लागू होने के बाद ट्यूनीशिया स्टेट का मजहब इस्लाम नहीं रहेगा

by WEB DESK
Jun 25, 2022, 02:00 pm IST
in विश्व
राष्ट्रपति कैस सईद

राष्ट्रपति कैस सईद

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अफ्रीका के देश ट्यूनीशिया में साल भर पहले तख्तापलट हुआ था। अब करीब एक साल बाद वहां के राष्ट्रपति कैस सईद एक ऐसा संवैधानिक मसौदा पारित करने वाले हैं, जिसके लागू होने बाद इस्लाम स्टेट के मजहब के नाते मान्य नहीं रहेगा। प्राप्त समाचारों के अनुसार, आज संविधान का वो मसौदा जनमत संग्रह के लिए सामने लाया जाने वाला है।

राष्ट्रपति ने पत्रकारों को संबोधिक करते हुए स्पष्ट किया है कि अब ट्यूनीशिया का जो संविधान लागू होगा उसके इस्लाम राज्य का अधिकृत मजहब नहीं रहेगा, बल्कि देश एक उम्मा का रूप ले लेगा। इसका समाचार प्र​काशित करते हुए मोरक्को वर्ल्ड न्यूज ने यह जानकारी दी है।

यहां बता दें कि अफ्रीका महाद्वीप में उत्तर में स्थित ट्यूनीशिया एक मुस्लिम बहुल देश तो है लेकिन अब स्टेट का मजहब इस्लाम इसलिए नहीं रहेगा क्योंकि यहां ज्यादातर आबादी कट्टरपंथ के विरुद्ध है। अब तक इस देश के संविधान में इस्लाम को स्टेट के मजहब के तौर पर अपनाया हुआ था। लेकिन नया संविधान ऐसी सुविधा नहीं देगा। ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद चाहते हैं कि इस्लाम स्टेट का मजहब न रहे। ट्यूनीशिया मुस्लिम बहुल होने के बावजूद शरिया को नहीं मानता। यहां के कानून भी ज्यादातर यूरोप के नागरिक कानून की तर्ज पर हैं।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष राष्ट्रपति कैस सईद ने ट्यूनीशियाई संसद को भंग करके जुलाई 2021 में सत्ता पूरी तरह से अपने काबू में ले ली ​थी। लेकिन अब ऐसे बहुत से नेता हैं जो इस्लाम को स्टेट के मजहब के तौर पर हटाने की पहल के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। ट्यूनीशिया की एक इस्लामिक पार्टी है, एन्हाडा जिसके नेता हैं रचेड घनौनी। उनका कहना है कि राजनीति में सबसे बड़ा अत्याचार है भ्रष्टाचार जिसे लोकतंत्र पर लौटकर ही खत्म किया जा सकता है।

नए संवैधानिक की मसौदा समिति के अध्यक्ष ट्यूनिस लॉ स्कूल के पूर्व डीन सदोक बेलैड का कहना है देश के नए संविधान में किसी भी संदर्भ में इस्लाम का जिक्र नहीं होगा। उनका यह भी कहना है कि ट्यूनीशिया के करीब 80 फीसदी लोग इस्लामिक राजनीति के विरुद्ध हैं, ये लोग कट्टरपंथ के विरुद्ध हैं।

यहां देखने वाली बात यह भी है कि अभी पिछले महीने ही राष्ट्रपति सईद ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसते हुए 57 जजों को बर्खास्त किया है। उन पर आतंकवादियों को बचाने तथा भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप थे।

Topics: fanatism#islamstatetunisiareligion
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