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प्रेस नहीं, साहित्य का मंदिर है गीता प्रेस : राष्ट्रपति

गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुभारंभ किया, कहा- सनातन धर्म को व संस्कृति को बचाए रखने में गीता प्रेस की मंदिरों, तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण भूमिका। कार्यक्रम में सीएम योगी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी हुईं शामिल

लखनऊ ब्यूरो by लखनऊ ब्यूरो
Jun 4, 2022, 09:11 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गीता प्रेस एक सामान्य प्रिंटिंग प्रेस नहीं अपितु समाज का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य का मंदिर है। सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति शनिवार शाम धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रसिद्ध संस्था गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे जैसे सामान्य व्यक्तियों की अवधारणा रही है कि गीता प्रेस एक प्रेस होगा जहां मशीनें होंगी, कर्मचारी होंगे। पर, आज जो देखने को मिला है वह सिर्फ प्रेस नहीं बल्कि अद्भुत साहित्य मंदिर है। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास प्राचीन काल से धर्म और अध्यात्म से जुड़ा रहा है हमारी अनुपम संस्कृति को पूरे विश्व में सराहा गया है भारत के धार्मिक व आध्यात्मिक सांस्कृतिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में गीता प्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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गीता प्रेस की नींव में ही भगवत प्रेम

राष्ट्रपति श्री गोविंद ने गीता प्रेस के महत्व को रेखांकित करते हुए गीता के एक श्लोक का उद्धरण किया। ‘य इमं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति। भक्तिंमयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः।’ इसका अर्थ भी उन्होंने समझाया। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मेरे में पराभक्ति करके जो इस परम गोपनीय संवाद-(गीता-ग्रन्थ) को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझे ही प्राप्त होगा, इसमें कोई सन्देह नहीं है। श्री कोविंद ने कहा कि संभवतः इसी श्लोक की प्रेरणा से जयदयाल गोयंदका जी के मन मे गीता प्रेस की स्थापना का विचार आया होगा। जब इस प्रेस की नींव में ही भगवत प्रेम है तो इसका नाम गीता प्रेस होना स्वाभाविक ही था। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन हेतु विश्व की सबसे बड़ी संस्था है और इसने कठिन दौर में भी सस्ते दर पर पुस्तकें उपलब्ध कराने का क्रम जारी रखा है। स्थापना काल से अब तक 70 करोड़ से अधिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए उन्होंने गीता प्रेस परिवार को बधाई दी।

भारत की दर्शन व संस्कृत से लाभान्वित होगा पूरा विश्व

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि भारत की सीमाओं से बाहर भी गीता प्रेस अपनी शाखाएं स्थापित कर रहा है। गीता प्रेस में नेपाल में अपनी पहुंच को नई दिशा दी है। उम्मीद है कि पूरा विश्व भारत के दर्शन व संस्कृति से लाभान्वित होगा। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि विदेश यात्रा के दौरान वह भारतवंशियों से मिलते हैं। उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति अपार लालसा है। उनकी लालसा को पूर्ण करने में गीता प्रेस बड़ा स्रोत बन सकता है। विदेशों में गीता प्रेस के इस कार्य में राष्ट्रपति सचिवालय मदद उपलब्ध कराएगा।

गीता प्रेस आगमन पिछले जन्म के पुण्य का फल पर यात्रा अभी अधूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गीता प्रेस आगमन मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यह संयोग है या दैव योग, यह नहीं कह सकता लेकिन यह जरूर पिछले जन्मों के कुछ पुण्य का फल है। यहां कर्मचारियों से मिलने का अवसर मिला। उनकी निष्ठा, ईमानदारी, सद्भावना व अनुशासन अद्वितीय है। गीता प्रेस के मुख्य द्वार से लेकर यहां विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित ग्रन्थ अनेकता में एकता के सिद्धांत को दर्शाने वाले हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि गीता प्रेस व लीलाचित्र मंदिर आकर उन्हें अनुभव हुआ कि अभी उनकी यात्रा अधूरी है। उनकी इच्छा यहां एक बार और आने की है। ईश्वर से वह प्रार्थना करेंगे कि उनकी यह इच्छा जल्द पूरी हो।

धर्म व शासन का समाहित रूप हैं योगी आदित्यनाथ

राष्ट्रपति श्री गोविंद ने कहा कि प्राचीन काल से हमारे यहां धर्म और शासन एक दूसरे के पूरक कहे जाते हैं। यहां मौजूद योगी आदित्यनाथ भी इन दोनों भूमिकाओं के समाहित रूप हैं। वह मुख्यमंत्री भी हैं और पीठाधीश्वर भी। दोनों भूमिकाओं का एक में समाहित होना बहुत बड़ी बात है।

लीलाचित्र मंदिर देख अभिभूत हुए राष्ट्रपति

गीता प्रेस न केवल धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रतिष्ठित संस्था है बल्कि इसकी ख्याति इसके अनूठे लीलाचित्र मंदिर के लिए भी है। गीता प्रेस आगमन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश की प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविंद, राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सबसे पहले लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन किया। इसे देख प्रसन्नता के भाव मे वह अभिभूत नजर आए। लीलाचित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के सैकडों चित्र हैं। गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर और दादू के दोहों का अंकन भी मंदिर में किया गया है। इन सबका अवलोकन कर राष्ट्रपति भाव विभोर हो गए। वह बरबस ही बोल पड़े, ‘इस समय यह कार्य संभव नहीं है।’ लीलाचित्र मंदिर में उन्होंने सीडी के आकार की हस्तलिखित गीता देख यह जानने जिज्ञासा जताई कि इसने किसे लिखा है। लिखने वाले कि जानकारी न मिलने पर मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं मान लेता हूं कि जिसने गीता रची, उन्होंने ही लिखवाई होगी।’ श्री कोविंद लीलाचित्र मंदिर पहुंचने वाले दूसरे राष्ट्रपति हैं। 29 अप्रैल 1955 में इसका उद्घाटन करने देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद आए थे। तब उनके साथ गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में अगवानी करने को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज उपस्थित थे। आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गीता प्रेस/लीलाचित्र मंदिर आगमन पर मुख्यमंत्री के साथ ही गोरक्षपीठाधीश्वर की भूमिका निभा रहे योगी आदित्यनाथ अगवानी को मौजूद रहे।

विशुद्ध आध्यात्मिक संस्था है गीता प्रेस :राज्यपाल

गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष शुभारंभ समारोह के अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गीताप्रेस विशुद्ध आध्यात्मिक संस्था है। गीता प्रेस से प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कल्याण पत्रिका के आद्य संपादक भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सत्य, प्रेम, शांति के माध्यम से मानवता की सेवा करने के लिए गीता प्रेस की स्थापना हुई। आदर्श मानव व आदर्श समाज की स्थापना का भाव ही इसके मूल में है। यहां से प्रकाशित धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक पुस्तकों ने लोगों में आत्म चिंतन व आत्म शक्ति का जागरण किया है। इस संस्था को विश्व में सर्वाधिक सनातन साहित्य के प्रकाशन का गौरव प्राप्त है। राज्यपाल ने कहा कि घर घर रामचरितमानस व श्रीमद्भागवत गीता पहुंचाने का श्रेय गीता प्रेस को ही जाता है। उन्होंने कहा कि जब उद्देश्य पवित्र होगा तो समस्याओं पर विजय प्राप्त होगी। गीताप्रेस इसका साक्षात उदाहरण है।

आध्यात्मिक साहित्य से देश की अपूर्व सेवा कर रहा गीता प्रेस: मुख्यमंत्री

गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धार्मिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक साहित्य के माध्यम से गीता प्रेस देश की अपूर्व सेवा कर रहा है। साहित्य की सेवा कभी ना मिटने वाली सेवा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस दो शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर राष्ट्रपति का आगमन गौरवशाली क्षण है 1923 में 10 रुपये के किराए के भवन में जयदयाल गोयंदका जी ने जिस बीज का रोपण किया था आज वह वटवृक्ष बनकर देश दुनिया में घर-घर को धर्म संस्कार से जोड़कर देश सेवा का उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस से भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार का जुड़ना, कल्याण का प्रकाशन शुरू होना एक अद्भुत कार्य था। उस वक्त में भी कल्याण को घर घर तक पहुंचाया गया, जब इतनी व्यवस्थाएं नहीं होती थीं। सीएम योगी ने कहा कि गीता प्रेस की पुस्तकों में 9 तो विज्ञापन होता है और ना ही व्याकरण की अशुद्धि। गीता तत्व विवेचनी में श्लोकों की विवेचना कैसी सहज हिंदी में की गई है इसे कोई भी आत्मसात कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में गीता प्रेस की स्थापना का शताब्दी वर्ष आयोजित होना और इससे जुड़ना गोरखपुर वासियों व पाठकों के लिए उल्लेखनीय होगा।

इस अवसर पर सीएम योगी ने गीता प्रेस से गोरक्ष पीठ के जुड़ाव का उल्लेख भी किया उन्होंने कहा कि 1955 में जब देश के प्रथम राष्ट्रपति गीता प्रेस के मुख्य द्वार वह लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन करने आए थे तब उनके साथ मेरे दादा गुरु व तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी भी मौजूद थे आज राष्ट्रपति श्री गोविंद के आगमन पर यह सौभाग्य मुझे प्राप्त हो रहा है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में गीता प्रेस ट्रस्ट के महासचिव विष्णु प्रसाद चांदगोठिया, ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल, बैजनाथ अग्रवाल व अन्य ट्रस्टियों ने राष्ट्रपति, देश की प्रथम महिला नागरिक, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को उत्तरीय व स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत किया। स्वागत संबोधन देवीदयाल अग्रवाल व संचालन गीता प्रेस में मैनेजर लालमणि तिवारी ने किया।

दो ग्रंथों का विमोचन किया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने

गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल के समक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो ग्रंथों का विमोचन किया। इन दोनों ग्रंथों, तीन सौ रंगीन चित्रों के साथ आर्ट पेपर पर श्रीरामचरितमानस और गीता प्रेस के संस्थापक जयदयाल गोयंदका द्वारा रचित गीता तत्व विवेचनी का प्रकाशन शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया है। मुख्यमंत्री ने दोनों ग्रंथों की प्रथम प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की।

इनकी रही प्रमुख उपस्थिति

राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ल, राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्य डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल, सांसद गोरखपुर रविकिशन शुक्ल, सांसद बांसगांव कमलेश पासवान और महापौर सीताराम जायसवाल ।

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