ग्वादर अपने साथ इस्लामी देश पाकिस्तान द्वारा बरते जा रहे सौतेले बर्ताव को झेलते—झेलते आक्रोश के चरम पर है। वहां और चीजें तो भूल ही जाएं, बुनियादी जरूरतों के लिए भी आम नागरिकों को सड़क पर उतरना पड़ता है। वहां न रोजगार हैं, न वहां के संसाधनों से होने वाले मुनाफे से उन्हें कुछ दिया जाता है। यही वजह है कि वे शुरू से ही पाकिस्तान हुकूमत के विरुद्ध रहे हैं।
ग्वादर की राजनीतिक पार्टी जमाते-इस्लामी ने कल क्वेटा में प्रेस क्लब के सामने इमरान खान की सरकार की तरफ से ग्वादर के संदर्भ में किए समझौते को मूर्तरूप न देने के विरोध में सरकार के विरुद्ध जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान ‘ग्वादर को हक दो’ की मांग उठाई गई। प्रदर्शनकारियों ने ग्वादर से जुड़े करार के उल्लंघन को लेकर सरकार की जमकर भर्त्सना की।
द डॉन के अनुसार, जमाते इस्लामी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने बड़ी तादाद में पार्टी के झंडे, तख्तियां तथा बैनर थामे अपनी मांगों के साथ धरना दिया और प्रदर्शन किया। उन्होंने एक बड़ी विरोध रैली निकाली। वे केन्द्र और प्रांत सरकारों के विरुद्ध नारे लगा रहे थे।
पाकिस्तान के मशहूर अंग्रेजी दैनिक द डॉन के अनुसार, जमाते इस्लामी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने बड़ी तादाद में पार्टी के झंडे, तख्तियां तथा बैनर थामे अपनी मांगों के साथ धरना दिया और प्रदर्शन किया। उन्होंने एक बड़ी विरोध रैली निकाली। वे केन्द्र और प्रांत सरकारों के विरुद्ध नारे लगा रहे थे। इस बीच क्वेटावासियों तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि इस विरोध प्रदर्शन के चलते यूनिवर्सिटी, अस्पताल तथा अन्य दफ्तर बंद रहे।
जमाते इस्लामी पार्टी के नेताओं मौलाना हाशमी तथा हिदायत-उर-रहमान का कहना है कि इमरान सरकार ने अब तक उनकी मुश्किलों, उनके मुद्दों को हल नहीं किया है। उन्होंने सावधान किया कि अगर सरकार ने क्वेटा के मुद्दे सुलझाने का रास्ता नहीं निकाला तो अगले महीने एक लाख ग्वादरवासी विरोध मार्च निकालेंगे जिसमें बलूचिस्तान के लोग भी शामिल होंगे।
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