कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपित शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने शरजील के खिलाफ राजद्रोह के आरोप तय करने का आदेश दिया है। शरजील की जमानत याचिका पर 4 अक्टूबर, 2021 को कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थीं। सुनवाई के दौरान उसकी ओर से वकील तनवीर अहमद मीर ने कहा था कि एक व्यक्ति आईआईटी बांबे से ग्रेजुएशन करता है। उसे एक अच्छी नौकरी का ऑफर मिलता है, फिर भी वो छोड़कर आधुनिक इतिहास पढ़ता है। ये उसका अपना फैसला था। मीर ने कहा था कि दिल्ली पुलिस कह रही है कि अस्सलाम-ओ-अलैकुम से भाषण शुरू होने का मतलब राजद्रोह था लेकिन क्या अगर आरोपित गुड मार्निंग से भाषण शुरू करता तो आरोप खत्म हो जाते।
मीर ने कहा था कि अभियोजन को अपनी मर्जी से कोई निष्कर्ष निकालने की आजादी नहीं होनी चाहिए। हम किसी व्यक्ति पर मुकदमा केवल कानून के बदौलत नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर करते हैं। दो वर्ष बीतने को है लेकिन अभी ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है। अगर कोई सरकार की नीतियों की आलोचना करता है तो उसके खिलाफ क्या कई सारे मुकदमे होने चाहिए। किसी नीति का विरोध करने के कई तरीके हो सकते हैं। ये रोड पर प्रदर्शन के जरिये भी हो सकता है। प्रदर्शन के दौरान कोई विवाद नहीं हो सकता है।
दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपित के पास कोई नया तथ्य नहीं है, सिवाय ये कहने के कि उसे प्रदर्शन करने का किसी भी हद तक अधिकार है। अगर सरकार आपकी बात नहीं सुन रही है तो आपको विरोध करने का अधिकार है। उनकी दलील है कि अगर आम आदमी भी प्रदर्शन से परेशान हो जाए तो भी उन्हें प्रदर्शन करने का अधिकार है। अमित प्रसाद ने अमित साहनी के फैसले का उदाहरण दिया था। विरोध प्रदर्शनों के लिए आम रास्तों को रोका जाना कतई ठीक नहीं है और ऐसे में प्रशासन अपना काम जरूर करेगा और अतिक्रमण और बाधाओं को हटाएगा।
अमित प्रसाद ने कहा था कि दूसरा आरोप हमारी असलाम अलैकुम की दलील पर लगाया है। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषणों को देखिए। उन्होंने कहा था कि क्या आरोपित गुड मार्निंग इत्यादि शब्दों से भाषण शुरू करता तो उसके आरोप वापस हो जाते। उन्होंने कहा था कि शरजील इमाम का भाषण एक खास समुदाय को टारगेट कर दिया गया था।
कोर्ट ने 24 नवंबर 2020 को उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ दायर पूरक चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ 22 नवंबर, 2020 को पूरक चार्जशीट दाखिल किया गया था। चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया, जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई।
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।
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