अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण कार्य का तीसरा चरण सोमवार को पूरे विधि-विधान से प्रारंभ किया गया। जून माह तक इस चरण के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने बताया कि सोमवार को अपराह्न 2.30 बजे श्रीराम जन्मभूमि पर राफ़्ट (आरएएफटी) के ऊपर पूजन विधि द्वारा ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक रखकर मंदिर की कुर्सी अर्थात फर्श (प्लिंथ) ऊंचा करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जून महीने में यह कार्य पूरा हो जाएगा। जन्मभूमि पर मंदिर की नींव का निर्माण कार्य शनिवार को पूरा हो गया था, जो निर्माण कार्य का दूसरा चरण था। चट्टान रूपी नींव में लोहे के एक भी तार का प्रयोग नहीं किया गया है। इस नींव के निर्माण में सीमेंट का भी प्रयोग बहुत कम किया गया है। इसमें आईआईटी मद्रास द्वारा बताए गए मिश्रण का प्रयोग किया है। इसमें 98 प्रतिशत घनत्व पर कंक्रीट डाली गई है। इसमें 1-1 मीटर पर लेयर हैं। गर्भगृह में 56 और बाहर 48 लेयर हैं। यह काम 09 महीने में पूरा हुआ। इस अवसर पर महन्त दिनेंद्र दास, बिमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉक्टर अनिल मिश्र, लार्सन एंड टूंब्रो के विनोद मेहता, टाटा के विनोद शुक्ला, ट्रस्ट की ओर से जगदीश आफले समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
अगले साल दिसंबर में पूरा हो जाएगा निर्माण कार्य
चंपत राय ने शनिवार को बताया था कि राम मंदिर का निर्माण कार्य दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद रामलला को नवनिर्मित मंदिर में विराजमान करा दिया जाएगा। जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले रामलला को अस्थायी रूप से बनाए गए लकड़ी के मंदिर में विराजमान किया गया। चट्टान रूपी नींव में लोहे के एक भी तार का प्रयोग नहीं किया गया है। इस नींव के निर्माण में सीमेंट का भी प्रयोग बहुत कम किया गया है। इसमें आईआईटी मद्रास द्वारा बताए गए मिश्रण का प्रयोग किया है। इसमें 98 प्रतिशत घनत्व पर कंक्रीट डाली गई है। इसमें 1-1 मीटर पर लेयर हैं। गर्भगृह में 56 और बाहर 48 लेयर हैं। यह काम नौ महीने में पूरा हुआ।
उन्होंने बताया कि अगले सप्ताह से मंदिर की फर्श को ऊंचा करने का काम शुरू हो जाएगा। फर्श ऊंचा करने के लिए 5, 3 और 2.5 फीट के 17 हजार ग्रेनाइट के पीस लगाए जाएंगे। यह फर्श करीब साढ़े छह मीटर ऊंचा होगा। छह महीने में यह काम पूरा होने के बाद जून से मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। 2.75 एकड़ में मंदिर का निर्माण होगा। इसके बाद साढ़े छह एकड़ जमीन को कवर करते हुए नौ मीटर मोटी दीवार बनाई जाएगी। पूरे मंदिर निर्माण में 17 लाख घन फीट पत्थर लगेगा।
राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में सामान्य दिनों में प्रतिदिन 50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है, जबकि किसी पर्व विशेष पर यह संख्या दो से ढाई लाख तक हो सकती है। मंदिर निर्माण में तीर्थयात्रियों की संख्या का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर चल रही गहमा-गहमी के बीच विहिप का क्या स्टैंड रहेगा, इस सवाल पर चंपत राय ने कहा कि अभी बारिश का समय है, कीचड़ है, फिसलन का डर रहता है, एक पैर जम जाए तब दूसरा पैर रखा जाएगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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