संकट हरने वाली संकष्टी चतुर्थी
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संकट हरने वाली संकष्टी चतुर्थी

by WEB DESK
Jan 20, 2022, 11:37 pm IST
in भारत, धर्म-संस्कृति, दिल्ली
गणेशजी

गणेशजी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
शास्त्रीय मान्यता है कि इस निर्जला व्रत का अनुष्ठान सर्वप्रथम माँ पार्वती ने अपने पुत्र गणेश की मंगलकामना के लिए किया था। तभी से हिंदू धर्म की महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के साथ इस निर्जला व्रत का अनुष्ठान करती आ रही हैं।

 

पूनम नेगी

सनातन धर्म में विघ्नहर्ता गणेश के अर्चन-वंदन के विविध व्रत-पर्वों में संकष्टी चतुर्थी प्रमुख पर्व है। 'संकष्टी' शब्द मूलतः संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली तिथि। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। शास्त्रीय मान्यता है कि इस निर्जला व्रत का अनुष्ठान सर्वप्रथम माँ पार्वती ने अपने पुत्र गणेश की मंगलकामना के लिए किया था। तभी से हिंदू धर्म की महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के साथ इस निर्जला व्रत का अनुष्ठान करती आ रही हैं। इस दिन व्रती माताओं द्वारा सूर्यास्त के उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य देकर जल, अक्षत-पुष्प, दीप-धूप, दूर्वा, रोली, मौली तथा पान-सुपारी आदि पूजन सामग्री से विघ्नहर्ता गणेश और चौथ माता (पार्वती) की विधि विधान से आराधना कर तिल के लड्डू का प्रसाद चढ़ाने की लोक परंपरा है। चूंकि यह समय शीत ऋतु का होता है, इसलिए इस पर्व पर गणेश जी को मोतीचूर व बेसन के स्थान पर तिल के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है। कारण की तिल ऊष्ण प्रवृति का आहार तो होता ही है; धर्मशास्त्रों में इसे देवान्न की संज्ञा भी दी गयी है। इस चतुर्थी पर्व को ‘सकट चौथ, 'माघी चतुर्थी' और ‘तिलचौथ’ आदि नामों से श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।

इस पर्व के शुभारम्भ से जुड़े कुछ अन्य रोचक पौराणिक कथानक व लोककथाएं चर्चित हैं। शिव पुराण में वर्णित कथा प्रसंग के अनुसार एक बार कैलाश पर महादेव शिव माता पार्वती और अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश के साथ बातचीत कर रहे थे; तभी विपदाओं में घिरे देवगण मदद मांगने भगवान शिव के पास पहुंचे। देवताओं की विनती सुन शिवजी ने कार्तिकेय व गणेश दोनों से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों के दूर करने में समर्थ है? जब दोनों ही पुत्रों ने स्वयं को इस दायित्व को निभाने में सक्षम बताया तो भगवान भोलेनाथ ने जिम्मेदारी देने से पूर्व दोनों की एक परीक्षा ली। वे बोले दोनों में से जो भी पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौट आएगा, उसी को यह जिम्मेदारी मिलेगी। यह सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर तत्काल पृथ्वी की परिक्रमा को निकल गये। पर गणेशजी पशोपेश में फंस गये कि वे अपने वाहन मूषकराज पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा कैसे कर सकेंगे! तभी उन्हें एक युक्ति सूझी और वे अपने स्थान से उठकर अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस अपने स्थान पर बैठ गये। कुछ समय बाद कार्तिकेय भी परिक्रमा करके लौट आये और स्वयं को विजेता बताने लगे। पर भगवान शिव ने निर्णय देने से पूर्व गणेश से पृथ्वी के बजाय की उनकी परिक्रमा करने का कारण पूछा तो गणेश जी बोले- शास्त्र कहते हैं कि व्यक्ति की सारी दुनिया उसके माता-पिता के चरणों में ही होती है। इसलिए आप दोनों की प्रदक्षिणा से मेरी धरती की परिक्रमा पूरी हुई। गणेश जी का यह उत्तर सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें ‘प्रथम पूज्य’ होने का आशीष देकर देवताओं के संकट दूर करने का दायित्व सौंपा दिया। 

आगे की कथा कहती है कि जिस दिन पार्वती नंदन गणेश ने दिन देवताओं की मदद कर उनके संकट दूर किये थे, वह पावन तिथि माघ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी थी। तभी से महादेव के आशीर्वाद से इस दिन गणपति के पूजन की परम्परा शुरू हो गयी। महाभारत में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण की सलाह पर धर्मराज युधिष्ठिर ने भी अपने जीवन के संकटों को दूर करने के लिए इस व्रत को किया था।

सकट चौथ से जुड़ी एक और लोककथा लोकप्रिय है। पुराने समय में एक गाँव में एक बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन बुढ़िया अपने बेटा- बहू के साथ रहती थी। वह गणेश जी की परम भक्त थी और बेटा- बहू के मिलकर श्रद्धा-भक्ति से नियमित उनका पूजन किया करती थी। एक बार माघ की संकष्टी चतुर्थी के दिन सभी गणेश जी की पूजा कर रहे थे; उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले- 'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।' बुढ़िया बोली- मुझसे तो मांगना ही नहीं आता। कैसे और क्या मांगू? तब गणेशजी बोले- अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले। पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले। बहू ने कहा- 'पोता मांग ले। बुढ़िया को लगा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उसने पड़ोसिनों से पूछा। पड़ोसिनों ने कहा- तू आंखों की रोशनी मांग ले। फिर तीनों पक्षों पर विचार कर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, आंखों की रोशनी दें, नाती-पोता दें और अंत में मोक्ष दें।' यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो तूने मांगा है, वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा। तथास्तु कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गये। तभी से उस बुढ़िया माई के जीवन से प्रेरणा लेकर महिलाएं अपने बच्चों की सलामती के लिए माघ की संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने लगीं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies