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बार—बार क्यों फिसलती है जीतनराम मांझी की जुबान!

by अरुण कुमार सिंह
Dec 21, 2021, 02:45 pm IST
in भारत, बिहार
गया में जीतनराम मांझी के विरोध में प्रदर्शन करते पंडा समाज के लोग

गया में जीतनराम मांझी के विरोध में प्रदर्शन करते पंडा समाज के लोग

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी अपने विवादास्पद बयानों के लिए फिर से एक बार चर्चा में हैं। लेकिन इस बार उन्हें लोगों का जबर्दस्त विरोध झेलना पड़ रहा है।

कुछ दिन पहले पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में जीतनराम मांझी ने कहा था, ''इन दिनों गरीब वर्ग के लोगों में धर्म—परायणता कुछ अधिक दिख रही है। हम लोग सत्यनारायण भगवान की पूजा का नाम भी नहीं जानते थे। अब हर टोले में सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। इतना भी शर्म-लाज नहीं है कि पंडित आते हैं और कहते हैं कि आपके यहां कुछ नहीं खाएंगे, बस कुछ नगद दे दीजिए।'' 
उनके इस बयान के बाद कई संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 20 दिसंबर को तो उनके गृह जिले गया में सैकड़ों लोगों ने जीतनराम मांझी के विरोध में नारे लगाकर उनके पुतले का दहन किया। इन लोगों का कहना था कि जीतनराम मांझी बार—बार एक जाति के लोगों को अपमानित कर रहे हैं। इसके लिए वे क्षमा मांगें, अन्यथा उनका हर तरह से बहिष्कार किया जाएगा। 
हालांकि जीतनराम पहले भी ऐसे अनेक बयान दे चुके हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने बिहार में जारी शराबबंदी पर कहा था कि शराब पीना गलत नहीं है। चिकित्सा विज्ञान भी कहता है कि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शराब का सेवन करना लाभकारी है। इससे पहले उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर ही प्रश्न उठा दिया था। उन्होंने कहा था, ''हम रामायण की कहानी को सत्य नहीं मानते हैं। यदि राम को कहा जाए कि वे महापुरुष थे, जीवित थे, तो इस बात पर मैं विश्वास नहीं करता हूं।'' उन्होंने जुलाई, 2021 में यह भी कहा था कि वे किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं। नवंबर, 2014 में उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीब लोगों को बिहार का मूल निवासी बताते हुए सवर्ण जाति के लोगों को विदेशी तक कह दिया था।

अरुण कुमार सिंह
समाचार संपादक at पाञ्चजन्य | Website

समाचार संपादक, पाञ्चजन्य | अरुण कुमार सिंह लगभग 25 वर्ष से पत्रकारिता में हैं। वर्तमान में साप्ताहिक पाञ्चजन्य के समाचार संपादक हैं।

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