गुजरात के भरूच जिले में 100 से अधिक वनवासियों को पैसे का लालच देकर मुसलमान बनाने का मामला सामने आया है। कन्वर्जन के लिए विदेश से धन आता था। इस मामले में लंदन में रहने वाले हाजी अब्दुल्ला फेफड़ावाला के साथ 9 स्थानीय लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस के मुताबिक जिले के आमोद तालुका के कांकरिया गांव के वासवा हिंदू समुदाय के 37 परिवारों के 100 से अधिक वनवासियों को इस्लाम कबूलने के लिए पैसे और अन्य चीजों का लालच दिया गया। आरोपियों ने वासवा हिंदू समुदाय के लोगों की निरक्षरता और कमजोर आर्थिक स्थिति का फायदा उठाकर उन पर कन्वर्जन के लिए दबाव बनाया। जबरन कन्वर्जन के लिए लंदन में बैठे अब्दुल्ला फेफड़ावाला ने विदेश से धन इकट्ठा किया। गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) कानून-2003 के साथ-साथ भादंसं की धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश),153 (बी)(सी) (वैमनस्यता फैलाने की आशंका) और 506 (2) ( आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि गुजरात सरकार ने इसी साल यह संशोधित कानून लागू किया है। इसमें मजहब छिपाकर हिंदू लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसाना और धोखाधड़ी कर शादी करना अपराध माना गया है। इसमें दोषी पाए जाने पर 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है और आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा, मजहब छिपाकर शादी करने पर पांच साल की सजा होगी और दो लाख जुर्माना भी देना होगा। नाबालिग के साथ इसी तरह के अपराध पर 7 साल कैद और तीन लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
कौन है अब्दुल्ला फेफड़ावाला
अब्दुल्ला फेफड़ावाला गुजरात का एक व्यापारी है, जो भरूच जिले के नवीपुर का निवासी है। वह आईएसआई के इशारे पर कन्वर्जन गिरोह चलाता है और इसके लिए विदेश से पैसे भेजता है। अल फला नाम से उसका चैरिटेबल ट्रस्ट है। अब्दुल्ला अमेरिका, ब्रिटेन और दुबई से अपनी संस्था के माध्यम से हवाला के जरिए पैसे भेजता है। एक माह पहले वडोदरा अपराध शाखा ने उमर गौतम और सलाहुद्दीन से पूछताछ के बाद यह खुलासा किया था। सलाहुद्दीन वडोदरा का रहने वाला है। अब्दुल्ला इस ट्रस्ट के जरिए उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन के लिए धन मुहैया कराता था। उमर और सलाहुद्दीन ने यह भी कबूला था कि उन्होंने बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं की घुसपैठ कराई और उनकी मदद के लिए वे हर साल पश्चिम बंगाल भी जाते थे। दोनों घुसपैठियों को जरूरत का सामान उपलब्ध कराने के साथ उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में बसने में मदद भी करते थे।
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