राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री ओमप्रकाश गर्ग का छह नवंबर को पटना में निधन हो गया। वे 96 वर्ष के थे। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. आ. एन. सिंह ने बताया कि उन्हें श्वास संबंधी मामूली बीमारी थी।
श्री गर्ग मूलत: गाजियाबाद के रहने वाले थे। कानपुर से पढ़ाई समाप्त करके वे संघ के प्रचारक बने और उत्तर प्रदेश में संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। इसके बाद 1966 में उन्हें भारतीय जनसंघ का दायित्व दिया गया। 1967 में उत्तर प्रदेश में संविद सरकार के गठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
70 के दशक में उन्हें संघ कार्य के लिए बिहार भेजा गया था। इसके बाद वे बिहार में पूरी तरह रम गए। आपातकाल के दिनों में उन्होंने भूमिगत रहकर लगातार संघर्ष किया। पटना, गया और शाहबाद में संघ की जितनी गुप्त बैठकें होती थीं, उसके सूत्रधार ओमप्रकाश जी ही होते थे।
श्री गर्ग 1980 में बिहार के प्रांत प्रचारक बने। उनके नेतृत्व में पटना के गांधी मैदान में दो बड़े कार्यक्रम हुए, जिनकी चर्चा आज भी की जाती है। 1980 में पूर्वांचल शिशु संगम हुआ था। गांधी मैदान में 5,000 बच्चों के रहने की व्यवस्था की गई थी।
पटना की तत्कालीन आयुक्त राधा सिंह ने उनके संगठन कौशल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें अजातशत्रु कहा था। इसके बाद 1982 में गांधी मैदान में विराट हिंदू सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें सांसद महाराजा कर्ण सिंह, जोधपुर के महाराजा तथा बिहार के सांसद शंकर दयाल सिंह जैसे नेता उपस्थित थे।
श्री गर्ग को 1992 में संघ कार्य के लिए नेपाल भेजा गया। उन्होंने वहां अत्यंत कर्मठता के साथ कार्य प्रारंभ किया, जिसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है। नेपाली भाषा और हिंदी साहित्य के समन्वय को लेकर वे सतत सक्रिय रहे। उन दिनों भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में देशविरोधी गतिविधियां लगातार बढ़ रही थीं।
इस कारण उन्हें 2002 में सीमा जागरण मंच का कार्य सौंपा गया। उस समय श्री गर्ग का केंद्र लखनऊ था। उन्हें 2005 में विश्व हिंदू परिषद् का दायित्व मिला। वे 2006 में प्रौढ़ कार्यकर्ताओं के क्षेत्रीय प्रमुख बने। 2007 के प्रयाग कुंभ में तृतीय हिंदू विश्व सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें बिहार के कार्यकर्ताओं ने लगातार बारिश में भी उनके नेतृत्व में सेवा कार्य किया।
2010 में उन्हें विश्व हिंदू परिषद् काराष्ट्रीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद बढ़ती उम्र के कारण उन्होंने पद को छोड़ने की इच्छा व्यक्त की और केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने। ओमप्रकाश जी का इस क्षेत्र में सघन संपर्क था। बिहार में ऐसे हजारों घर हैं, जहां उन्हें परिवार का सदस्य माना जाता है।
सबके सुख-दु:ख में शामिल होना उनका स्वभाव था। वे सादगी, संयम एवं समन्वित जीवन के पर्याय थे। उनके व्यक्तित्व ने कई लोगों को प्रभावित किया। सैकड़ों युवक उनके जीवन से प्रभावित होकर सामाजिक कार्य में लगे। उनके प्रयासों से ही विश्व हिंदू परिषद् का प्रांतीय कार्यालय पटना में बना।
उन्होंने दधीचि देहदान समिति के आह्वान पर मरणोपरांत देहदान का संकल्प लिया था। इस कारण उनके शव को सात नवंबर को पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को दान कर दिया गया।
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